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बहराइच : घाघरा का बढ़ता जा रहा प्रकोप, उजाड़ना पड़ रहा अपनी ही आशियाना

रिमझिम-रिमझिम बारिशों की फुहारें शायद आम लोगों को अच्छी लगे, लेकिन घाघरा के किनारे बसे लोगों की रूह कांप उठती है। क्योंकि उन्हें गर्मी से तो जरूर पल भर के लिए छुटकारा मिल जाता है, लेकिन कुछ ही देर बाद उन्हें अपने ही बनाएं हाथ से उन आशियानों को उजाड़ना पड़ता है।

priyankajoshi
Published on: 7 July 2017 1:40 PM GMT
बहराइच : घाघरा का बढ़ता जा रहा प्रकोप, उजाड़ना पड़ रहा अपनी ही आशियाना
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बहराइच : रिमझिम-रिमझिम बारिशों की फुहारें शायद आम लोगों को अच्छी लगे, लेकिन घाघरा के किनारे बसे लोगों की रूह कांप उठती है। क्योंकि उन्हें गर्मी से तो जरूर पल भर के लिए छुटकारा मिल जाता है, लेकिन कुछ ही देर बाद उन्हें अपने ही बनाएं हाथ से उन आशियानों को उजाड़ना पड़ता है।

लोगों को इसका कारण मालूम है क्योंकि ऐसा न करने पर घाघरा की लहरों में उनकी बनाई हुई सारी गृहस्थी नष्ट हो जाएगी। घाघरा के किनारे बसे लोग अब नए आशियाने ढूंढने को मजबूर है और अपना आशियाना उजाड़कर दूसरी जगह ले जा रहे हैं।

तेजी से बढ़ता जलस्तर

गोपिया बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण घाघरा का जलस्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। जलस्तर बढ़ने से घाघरा उफना चुकी है जिससे कटान और तेज हो गई है। कटान शुरू होने से तटवर्ती ग्रामीणों में दहशत व्याप्त हो गई है। प्रत्येक तटवर्ती ग्रामीण आशियानों को उजाड़कर सुरक्षित ठिकानों को तलाशने में जुटे हुए हैं। मुख्य रूप से महसी तहसील के गोलागंज, कायमपुर, जर्मापुर और पचदेवरी को घाघरा निशाना बनाए हुए है।

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कृषि योग्य भूमि हुई धारा में समाहित

इन गांवों की कृषि योग्य भूमि घाघरा में समाहित हो रही है। जबकि चुरईपुरवा, अरनवा, अहिरनपुरवा के किनारों को लहरें तेजी से खंगाल रही हैं। गोलागंज की सावित्री देवी पत्नी पेशकार सिंह की 12 बीघा, जनार्दन सिंह पुत्र शिवपाल सिंह की 12 बीघा, शीतला सिंह पुत्र शिवपाल सिंह की 12 बीघा, राज बहादुर सिंह पुत्र शिवपाल सिंह की 12 बीघा, शारदा सिंह की 12 बीघा, कल्यान सिंह, छीलई, गोपाल, बाबू, शंकर, ललन, दीनदयाल, सुरेश आदि की करीब 70 बीघा कृषि योग्य भूमि धारा में समाहित हो गई ।

घाघरा का प्रकोप

कायमपुर के आशाराम पुत्र सूरजबली का मंगरवल में 12 साल पहले, कपरवल में 10 साल पहले, सुकईपुर में 9 साल पहले घर घाघरा में कट गया। फिर उन्होंने कायमपुर में घर बनाया। इस बार फिर से इनका घर कटने लगा। आशाराम के 3 पुत्र और 3 पुत्रियां हैं। 6 बीघा खेती की जमीन भी धारा में कट चुकी है। अब वह कहां जाए, क्या करें कुछ सूझता नहीं। यह कहानी सिर्फ आशाराम की नहीं दर्जनों लोगों की है। जो बार-बार घाघरा के प्रकोप का शिकार हो रहे हैं।

ग्रामीणों को मिलेगा सहयोग

जलस्तर बढ़ता देख फ्लड पीएसी कटान प्रभावित क्षेत्र बौण्डी पहुंच गई है। सीतापुर की बाढ़ राहत दल सेकेंड बटालियन पीएसी बल के प्लाटून कमांडर राजेंद्र सिह ने बताया कि 30 सदस्य पीएसी बटालियन कटान प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों के सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहेगी।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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