Ghaziabad: GDA के एक बाबू ने कहां से अर्जित की करोड़ों की संपत्ति?

Ghaziabad News: जीडीए के इलेक्ट्रिक विभाग में तैनात एक मामूली क्लर्क कैसे करोड़पति बन गया? आखिर कहां से आता है इतना धन? कैसे बनाई इतनी संपत्ति? देखते ही देखते एक साधारण सरकारी मुलाजिम करोड़ों का मालिक बन गया।

Neeraj Pal
Report Neeraj Pal
Published on: 23 Jan 2024 10:48 AM GMT
Ghaziabad News
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गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (Social Media)

Ghaziabad News : भ्रष्टाचार के मामलों से बदनाम गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (Ghaziabad Development Authority) के अधिकारियों के ऐसे कारनामे रहे हैं, जिसने जीडीए को भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया। अधिकारियों, दलालों ने शहर के विकास के नाम पर खुद भी अकूत संपत्ति जमा की। इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा जीडीए में तैनात एक सुपरवाइजर मुकेश शर्मा की हो रही है। इस शख्स ने राज नगर, पटेल नगर जैसे पॉश इलाके में करोड़ों रुपए कीमत के शानदार मकान ख़रीदे। मुकेश शर्मा वह नाम है, जो अब एक 'धनकुबेर' के नाम से जाना जाता है।

इलेक्ट्रिक विभाग में तैनात क्लर्क बना करोड़पति

जीडीए के इलेक्ट्रिक विभाग में तैनात एक मामूली क्लर्क कैसे करोड़पति बन गया? आखिर कहां से आता है इतना धन? कैसे बनाई इतनी संपत्ति? देखते ही देखते एक साधारण सरकारी मुलाजिम करोड़ों का मालिक बन गया। जीडीए बाबू मुकेश शर्मा वह नाम है जिनके चर्चे अब जीडीए की चारदीवारी से निकलकर आम लोगों में हो रही है। जी हां, वह भी इसलिए कि बाबू अब 'बाबू' नहीं रहा। अब शर्मा जी हो गए। अब उसके नाम को बड़े अदब से लिया जाता है। लिया भी क्यों न जाए, साहब की गिनती शहर के करोड़पतियों में जो होने लगी। यह जानकारी शायद बाबू मुकेश शर्मा के आका जीडीए उपाध्यक्ष को भी नहीं होगी। उनके अधीनस्थ अवर अभियंता व अन्य बाबू को है, लेकिन सब के सब हमाम में नंगे नजर आ रहे हैं।

कारनामा सभी को पता, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ रही

जीडीए के इलेक्ट्रिक विभाग में तैनात बाबू मुकेश शर्मा ने नंद ग्राम व नई बस्ती में आधा दर्जन से अधिक दुकानों को अवैध रूप से खड़ा कर दिया। ऐसा नहीं है कि मुकेश शर्मा की शिकायत जीडीए अधिकारियों से ना की गई हो, लेकिन मामला विभागीय होने के कारण फाइल आगे नहीं बढ़ रही। जबकि, संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी है। मुकेश शर्मा जिसने जीडीए में रहते हुए करोड़ों की अकूत चल-अचल संपत्ति अर्जित कर ली। हालांकि, मुकेश शर्मा के मामले की शिकायत जीडीए में की गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जिम्मेदार अधिकारी हाथ पीछे किए हैं। मामला विभाग का जो है। इसलिए फाइल एक टेबल से खिसकती नजर नहीं आ रही। यही वजह है कि सुपरवाइजर मुकेश शर्मा छाती ठोककर आज भी जीडीए में नौकरी कर रहा है।

पहले खानापूर्ति हुई, अब तो वो भी नहीं

बताया जाता है कि, पूर्व में अवैध रूप से बनाई गई मार्किट की शिकायत जीडीए में तैनात सुपरवाइजर संबंधित अधिकारियों ने की गई थी। तब जीडीए ने खानापूर्ति करते हुए अवैध निर्माण को तोड़ा था। लेकिन, बाद में उसी जगह दोबारा एक दर्जन से ज्यादा दुकानें बना दी गईं। मार्केट के पीछे फ्लैट बना दिए गए। शिकायत के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। बस फाइल चल रही है। सम्बन्धित जेई ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि मौके का निरीक्षण करने पर अवैध निर्माण पाया गया जिसे ध्वस्त किया जाना है। अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कब होगी यह तो जीडीए अधिकारी ही बेहतर जानते हैं।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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