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Ghaziabad: बच्ची ने निगला 10 का सिक्का, मुश्किल से बची जान...डॉ बीपी त्यागी बने मसीहा
Ghaziabad News: वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी ने स्वास्थ्य मंत्री को ऑफर दिया है कि अगर वह चाहे तो ईएनटी मामलों में वह सरकारी अस्पतालों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं।
Ghaziabad News: गाज़ियाबाद के सरकारी अस्पताल में बुधवार (24 जनवरी) को उस वक़्त अफरातफरी का माहौल रहा जब खबर मिली कि, इशिका नाम की एक बच्ची ने 10 का सिक्का निगल लिया। आनन-फानन में परिजन बच्ची को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। बच्ची के लिए मसीहा बनकर सामने आए डॉ बीपी त्यागी (Dr BP Tyagi)। उन्होंने इशिका की जान बचाई, जिसके बाद परिवार ने राहत की सांस ली।
आपको बता दें, जिले के वरिष्ठ चिकित्सक और राष्ट्रवादी जनसत्ता दल के प्रदेश महासचिव डॉ बीपी त्यागी अक्सर चर्चा में रहते हैं। कई मौकों पर लोगों को उनकी परेशानियों से निजात दिलाने में उनकी भूमिका रही है। यही बात उन्होंने एक बार फिर आज साबित किया। बुधवार को उन्होंने एक बच्ची की जान बचाकर परिवार को राहत पहुंचाई।
जानिए क्या है मामला?
जानकारी के अनुसार, मोरटी के साई ग्रीन सिटी निवासी ओमप्रकाश डॉ बीपी त्यागी के आरडीसी स्थित हर्ष पॉलीक्लिनिक पर इमरजेंसी में पहुंचे। उनकी बेटी इशिका ने 10 रुपए का सिक्का गलती से निगल लिया था, जो उसके गले में जा अटका। डॉ बीपी त्यागी ने तुरंत इशिका का इलाज शुरू किया। उन्होंने सफलतापूर्वक बच्ची के गले से 10 का सिक्का निकालकर मरीज की जान बचाई।
इस घटना में सरकारी अस्पताल की कार्यशैली की पोल फिर खुल गई। पीड़ित सबसे पहले अपनी बेटी को लेकर संजय नगर स्थित संयुक्त अस्पताल ही पहुंचा। लेकिन, वहां उसे कोई राहत नहीं मिली। जहां से उसे महेंद्र एनक्लेव स्थित नवयुग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। क्योंकि, पीड़ित आरडीसी में ही काम करता था इसलिए वह सीधा डॉ बीपी त्यागी के पास पहुंचा। सीएमओ से उनका पक्ष जानना चाहा तो पता चला कि वह बैठक में व्यस्त थे।
डॉ बीपी त्यागी ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र
इस घटना के बाद वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर सरकारी अस्पतालों को ईएनटी मामलों में पूरी सहायता देने का प्रस्ताव दिया है। उनका कहना है कि जिस तरह से सरकारी अस्पताल ईएनटी के मरीजों को बाहर या दिल्ली जाने के लिए रेफर कर रहे हैं, उससे उन्हें काफी दुख होता है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को ऑफर दिया है कि अगर वह चाहे तो ईएनटी मामलों में वह सरकारी अस्पतालों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं। ताकि, शहर के मरीजों को ईएनटी के इलाज के लिए भटकना ना पड़े।