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Ghazipur News: सीएमओ ऑफिस का स्टेनो ले रहा था घूस, तभी पहुंच गई एंटी-करप्शन की टीम

Ghazipur News: पीड़ित विजय विक्रम ने बताया की फाईल निस्तारण को लेकर महिनों से सीएमओ आफिस का चक्कर लगा रहा था । लेकिन स्टेनो अनील चौबे फाईल को आगे बढ़ाने का नाम नहीं ले रहे थे ।

Rajnish Mishra
Published on: 21 Jun 2024 10:54 AM IST
Ghazipur News: सीएमओ ऑफिस का स्टेनो ले रहा था घूस, तभी पहुंच गई एंटी-करप्शन की टीम
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CMO office Steno caught taking bribe  (photo: social media )

Ghazipur News: सरकार द्वारा मोटी तन्ख्वाह लेने के बावजूद भी सरकारी कर्मचारियों को जब तक बाहर से मोटी रकम ना मिल जाये तब तक पेट नहीं भरता है । पूरे प्रदेश में कहीं ना कहीं घूसखोर कर्मचारी मोटी रकम लेते हूए एंटीकरप्शन के हाथों पकड़े जा रहे है । ताजा मामला उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद का है । जहां सीएमओ आफिस के स्टेनो बाबू चालीस हजार डकारते हुए एंटीकरप्शन के हाथ लग गये ।

लाइसेंस रिन्यूअल के नाम पर चालीस हजार ले रहा था घूस

गाजीपुर के सीएमओ आफिस का स्टेनो अनील चौबे लाइसेंस रिन्यूअल के नाम पर जनपद के ही विजय विक्रम नामक व्यक्ति से चालीस हजार रिश्वत की मांग की थी। विजय विक्रम ने इसकी शिकायत एंटीकरप्शन टीम से कर दी । एंटीकरप्शन की टीम ने घूसखोर बाबू को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया । एंटीकरप्शन टीम द्वारा जाल में फसाने के लिए घूसखोर बाबू को विजय विक्रम ने रुपये देने के लिए पीजी कॉलेज बुलाया । सीएमओ आफिस के स्टेनो अनील चौबे पीजी कॉलेज आकर जैसे ही चालीस हजार पकड़ा वैसे ही एंटीकरप्शन ने रुपये लेते रंगे हाथ बाबू को पकड़ लिया ।

एंटीकरप्शन ने जैसे ही स्टेनो बाबू अनील चौबे को पकड़ा तो अनील चौबे के चेहरे पर से हवाईयां उड़ने लगी कि आखिर मोटी रकम लेने की बात एंटीकरप्शन वालों को कैसे पता लग गई । बहरहाल एंटीकरप्शन टीम ने रिश्वतखोर अनील चौबे को पकड़ कर शहर कोतवाली लेकर चले गये । जहां उसके विरुद्ध कागजी कार्रवाई की गई।

महिनों से चक्कर लगवा रहे थे बाबू

पीड़ित विजय विक्रम ने बताया की फाईल निस्तारण को लेकर मैं महिनों से सीएमओ आफिस का चक्कर लगा रहा था । लेकिन स्टेनो अनील चौबे फाईल को आगे बढ़ाने का नाम नहीं ले रहे थे । विजय ने बताया की फाईल को आगे बढ़ाने के लिए अनील ने मुझसे चालीस हजार रुपये की मोटी रकम की मांग कर दी । जिसकी शिकायत मैने एंटीकरप्शन की टीम से की । एंटीकरप्शन की टीम ने अनील चौबे को पकड़ने के लिए चालीस हजार रुपये देने के लिए कहां था ।

चालीस हजार में कितने हिस्सेदार

चालीस हजार मोटी रकम लेते हुए अनील चौबे तो पकड़ा गया यहां तक तो ठीक है । लेकिन सवाल अब ये उठता है कि चालीस हजार रूपये सिर्फ अनील चौबे ही डकारेगा या इसमें और लोग हिस्सेदार है । इसकी जांच तो जिलाधिकारी को अवश्य कराना चाहिए क्योंकि अनील चौबे जैसे लोग बली का बकरा बनते है । और इनके उपर के लोग बच जाते है । ये सिर्फ एक विभाग की बात नहीं है । हर विभाग में ऐसे लोग है ।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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