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New Criminal Laws: अंग्रेजों के कानून से मिली आजादी, नया कानून लागू

Ghazipur News: भारतीय न्याय संहिता बीएनस 163 साल पुरे संहिता आईपीसी की जगह लेगा। इसमें 511 की जगह 358 खंड होगें। इसमें 21 नये अपराध जोड़े गये है। तो वहीं 41अपराधो में सजा की अवधि बढ़ा दी गई है।

Rajnish Mishra
Published on: 1 July 2024 7:04 PM IST
New Criminal Laws
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New Criminal Laws (Pic: Social Media)

Ghazipur News: अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून से भारत को आज आजादी मिल गई है। आज से यानी एक जूलाई से पुरे देश में भारत का अपना कानून लागू हो गया है। भारत सरकार द्वारा संसद में नये कानून को संसद में पास कराने के बाद इस कानून को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा गया था जहां सन् 2023 में राष्ट्रपति ने नये कानून को मंजूरी दे दी।

भारतीय न्याय संहिता (BNS)

भारतीय न्याय संहिता बीएनस 163 साल पुरे संहिता आईपीसी की जगह लेगा। इसमें 511 की जगह 358 खंड होगें। इसमें 21 नये अपराध जोड़े गये है। तो वहीं 41अपराधो में सजा की अवधि बढ़ा दी गई है। 82 में जुर्माना राशि बढ़ा दी गई है। 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरु की गई है। 6 अपराधों सजा के रूप में सामुदायिक सेवा का प्रावधान है। इसमें 19 धाराएं निरस्त की गई है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा

बीएनएसएस भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी 1973 की जगह लेगा। इसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माना लगाने की राशि को बढ़ा दी गई है। अपराध से अर्जित आय को जब्त करने की प्रक्रिया में शामिल किया गया है। तीन से सात साल वाले अपराध में प्रारंभिक जांच होगी। गंभीर अपराध की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे।

भारतीय साक्ष्य विधेयक भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह शामिल किया गया है। इसमें दो नई धाराएं और उप धाराएं जोड़ी गई है। पहले 167 खंड थे अब इसे बढ़ा कर 170 किया गया है। 24 खंडों में संशोधन किया गया है तो वहीं 6 निरस्त हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान को साक्ष्य के रुप में परिभाषा में शामिल किया गया है। साक्ष्य के रुप में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल कानूनी मान्यता होगी।

नाबालिग से दुष्कर्म पर सजा

नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म को पाक्सो के साथ सुसंगत किया गया है। जिसके तहत आजीवन कारावास या मृत्युदंड दंड का प्रावधान किया गया है। वहीं सामुहिक दुष्कर्म में आजीवन कारावास या 20 बर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है। यौन उत्पीडन के मामले में पीड़ित की चिकित्सा जांच रिपोर्ट को मेडिकल जांच अधिकारी पुलिस अधिकारी को सात दिन के भीतर रिपोर्ट मुहैया करायेगा।

महिलाओं के लिए नया कानून

इस कानून के तहत महिलाओं के साथ अपराध होता है तो महिला मजिस्ट्रेट के सामने महिला का बयान दर्ज कराना होगा। अगर महिला मजिस्ट्रेट के अनुपस्थिति के दौरान पुरुष मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कर सकता है। लेकिन पीड़ित महिला के साथ एक महिला का रहना अनिवार्य है।

घर तक मिलेगी पुलिस मदद

इस नये कानून के तहत महिलाओं व 15 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति अथवा 60 से उपर का व्यक्ति जो गंभीर रोग से ग्रसित है अथवा विकलांग है तो उस दौरान उसे थाने जाने की जरूरत नहीं है पुलिस घर पर ही मदद करेगी। वहीं हीट एंड रन के मामले में इस कानून के तहत कोई वाहन चालक हीट एंड रन कर के भाग जाता है तो उसको दस साल की सजा का प्रावधान है। अगर वाहन चालक घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाता है तो उसका सजा कम करने का भी प्रावधान है।

आतंकवाद को लेकर नया कानून

भारतीय नये कानून के तहत अगर कोई देश में आतंकवादी गतिविधियों में पकड़ा जाता है तो नये कानून के तहत आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड का प्रावधान है। इस कानून के तहत देश में आतंक फैलाने वालों को जमानत नहीं मिलेगा। वहीं भारतीय नये कानून में मांबलिचिंग को जघन्य अपराध माना है। हिंसा में दोष सिद्ध होने पर मौत की सजा का प्रावधान है।

क्या अब लगेगी हथकड़ी

रेप हत्या जैसे अपराधों में अपराधियों को हथकड़ी लगाने का प्रावधान है। पुछताछ से लेकर कोर्ट में हाजिर करने तक आरोपियों को हथकड़ी लगाया जा सकता है। तो वहीं नये कानून के तहत एफआईआर की कापी पीड़ित व आरोपी को एफआईआर रिपोर्ट चार्जशीट बयान अपराध स्वीकारने समेत अन्य दस्तावेज 14 दिनों के भीतर मिलेगी।

ई एफआईआर का जबाब कब मिलेगा

भारतीय नये कानून के तहत एक महिला ई एफआईआर रिपोर्ट दर्ज करा सकती है। जिसका तुरंत संज्ञान लेते हुए दो दिनो के भीतर इसका जबाब दिया जायेगा। वहीं इस नये कानून में समन को लेकर भी बदलाव किया गया है। अब समन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी भेजा जा सकता है।

हिरासत की अवधि 15 से 90 दिनों तक

बीएन एसएस के तहत हिरासत की अवधि 15 दिनों से लेकर 60 या 90 दिनों तक हो सकती है। इस कानून में हिरासत के दौरान पुलिस अपने शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकती है। पुलिस को हिरासत में लिये गये आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा। वहीं छोटे मामलों में 24 घंटे के अंदर हिरासत से रिहाई हो सकती है।

पुलिस के लिए भी कानून

भारतीय कानून के तहत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये लोगों की सूची व उनके रिस्तेदारो को सूचना देने के लिए थाने में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा।

बीएन एसएस में खास बातें

नये कानून में 35 धाराओं में समय सीमा जोड़ी गई है। जिससे न्याय में तेजी हो सकती है। पीड़ित और मुखबिरों को जांच की सूचना पुलिस 90 दिनों के भीतर देगी। मजिस्ट्रेट द्वारा आरोप पर पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना होगा। किसी भी आपराधिक केस के खत्म होने के बाद फैसले की घोषणा 45 दिनों के भीतर करनी होगी। सत्र न्यायालय किसी भी बरी या दोष सिद्ध होने पर तीस दिनों के भीतर निर्णय करेगा। सत्र न्यायालय अधिकृत कानूनी कारणों के आधार पर इसे 45 दिन के लिए बढ़ा सकती है।



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Durgesh Sharma

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