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THE JUNGLE BOOK: अब तक फिक्शन में दिखा था जो मोगली, मिल गई वो रियल में

sujeetkumar
Published on: 6 April 2017 6:35 AM GMT
THE JUNGLE BOOK: अब तक फिक्शन में दिखा था जो मोगली, मिल गई वो रियल में
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बहराइच: बचपन से आप मोगली की कहानियां देखते और सुनते आ रहे हैं, वो एक ऐसा लड़का है, जो जंगल में भेडियों के बीच पला बढ़ा, लेकिन इस बार ये कोई काल्पनिक घटना नहीं है बल्कि एक सच्ची घटना है। बहराइच में 2 महीने पहले (25 जनवरी) को जंगल से एक आठ साल की बच्ची पाई गई। पुलिस की माने तो वह बच्ची भी जानवरों जैसी हरकतें करती है।

वह न तो बोलती है और न ही इंसानों जैसा व्यवहार करती है। हॉस्पिटल में 2 महीने तक चले इलाज से बच्ची के रहन- सहन में मामूली सुधार आया है। वह अब स्वस्थ तो होने लगी है, लेकिन उसे गोद लेने को कोई तैयार नहीं है। चाइल्ड लाइन ने भी बच्ची को रखने से इनकार कर दिया है।

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कैसे और कहां मिली बच्ची

यूपी डायल 100 में तैनात एसआई सुरेश यादव 25 जनवरी को कतर्नियाघाट सैंचुरी के मोतीपुर रेंज में गश्त कर रहे थे। मोतीपुर थानाध्यक्ष राम अवतार यादव ने बताया कि जब पुलिस टीम रेंज के खपरा वन चैकी के पास पहुंची तो जंगलों में बंदरो से घिरी एक निर्वस्त्र आठ वर्षीय बच्ची दिखाई दी। निर्जन वन में बच्ची को देख पुलिसकर्मी दंग रह गए।

एसआई सुरेश ने उसे साथ लेना चाहा तो बंदर विरोध पर उतर आए और उन्हें चीखना शुरू कर दिया।

बच्ची भी पुलिसकर्मियों को देख बंदरों की तरह हरकतें करने लगी, लेकिन पुलिसकर्मी कड़ी मशक्कत के बाद उसे अपने साथ ले आए। उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस को बच्ची काफी जख्मी अवस्था में मिली थी, जिसे जंगली जानवरों ने जख्मी किया था। वो ना तो इंसान की तरह बात करती है, और ना ही उनकी बातों को समझ पाती है। हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा है, लेकिन डाक्टरों को देखते ही वह चिल्ला उठती है। जिसकी वजह से मेडिकल और नर्सिंग स्टाफ को इलाज के वक्त दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

एसओ राम अवतार ने बताया कि इस मामले में न तो कोई केस दर्ज है, और न ही उसके परिजनों का कोई अता-पता है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें बंदरो की तरह चीखती है...

पहले ऐसा था व्यवहार

-इंसानो से डरती थी।

-न कपड़े पहनती थी न पहनना जानती थी।

-इंसानो की तरह खाद्य पदार्थ हाथों से उठाने के बजाये जानवरों की तरह मुंह से खाना खाती थी।

-खाने से पहले खाद्यपदार्थ को जमीन पर फेंक देती थी।

-चारों हाथो और पैरों से चलती थी।

-बंदरो की तरह चीखती थी।

-नित्य क्रियाएं बता नहीं पाती थी।

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इलाज के बाद व्यवहार में आया बदलाव

-इंसानो से डरना कुछ कम हुआ है।

-अब कपड़े पहनती है, लेकिन पहनना सीख नहीं सकी है।

-अब खाद्य पदार्थ फेंकती नहीं, लेकिन हाथो से खाना उठा नहीं पाती है।

-अभी भी बंदरो की तरह चीखती है।

डॉ डीके सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक

-ये बच्ची किसकी हैं, कहां से आई है, ये किसी को नहीं पता।

-बच्ची कब से जंगल में जानवरों के बीच है, ये भी कोई नहीं बता पा रहा है।

-बच्ची का इलाज किया जा रहा है, लेकिन उसकी भाषा अभी भी जानवरों की तरह है।

-इस लिए इलाज में भी तमाम दिक्कतें आ रही हैं।

-कुछ शरारती तत्वों ने बच्ची को गुटखा खाना सिखा दिया है।

-अब वह गुटखे का रैपर चाटती है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें कौन है मोगली और कहां से आया वो...

-बच्चे बचपन से ही मोगली को पसंद करते आ रहे हैं, उनके लिए मोगली किसी हीरो से कम नहीं।

-मोगली (कार्टून) फिल्म का गाना आज भी बड़े और बच्चों के दिल पर छाया हुआ है।

-द जंगल बुक (The Jungle Book) साल 1894 में नोबेल पुरस्कार विजेता रुडयार्ड किपलिंग (अंग्रेजी लेखक) की कहानियों का एक संग्रह है।

-इन कहानियों को पहली बार 1893-94 में पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया था।

-मूल कहानियों के साथ छपे कुछ चित्रों को रुडयार्ड के पिता जॉन लॉकवुड किपलिंग ने बनाया था।

-रुडयार्ड किपलिंग का जन्म भारत में हुआ था और उन्होंने अपनी शैशव अवस्था के प्रथम छह वर्ष भारत में बिताए।

-बाद में दस साल इंग्लैंड में रहने के बाद वो फिर भारत लौटे और लगभग अगले साढ़े छह साल तक यहीं रह कर काम किया।

-इन कहानियों को रुडयार्ड ने तब लिखा था जब वो वर्मोंट में रहते थे।

-जंगल बुक के कथानक में मोगली नामक एक बालक है जो जंगल में खो जाता है और उसका पालन पोषण भेड़ियों का एक झुंड करता है, अंत में वह गांव लौट जाता है।

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