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गोमती रिवर फ्रंट घोटाला खुलने पर लग सकता है विराम, 5वीं जांच शुरू, नतीजा शून्य
यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का दौरा कर परियोजना में अनियमितताओं पर अफसरों को कड़ी फटकार लगाई थी।
लखनऊ : गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की पोल अब नहीं खुल सकेगी। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (सीबीआई) के इस घोटाले से हाथ खींच लेने के बाद अब मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्लू) को सौंपी गई है। जानकारी के मुताबिक, सरकार इस एजेंसी को अन्य विभागों और निजी व्यक्तियों से संबंधित मामले भी जांच के लिए सौंप सकती है। इसमें एजेंसी सरकारी धन के नुकसान के पुख्ता सबूत जुटाकर आगे की कार्रवाई के लिए सरकार की जानकारी में ला सकती है। यदि यह जांच आरोपी इंजीनियरों की आय से अधिक संपत्ति की जांच तक सीमित होकर रह गई तो फिर इस घोटाले के खुलने की संभावना पर विराम लग जाएगा।
यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का दौरा कर परियोजना में अनियमितताओं पर अफसरों को कड़ी फटकार लगाई थी। उसके बाद नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अगुवाई में चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी।
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कमेटी की इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने परियोजना के घोटाले की जांच न्यायिक आयोग से कराने का फैसला लिया। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सिंचाई विभाग के इंजीनियरों पर राजधानी के गोमतीनगर थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी गई।
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इसके थोड़े दिन बाद ही सरकार ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। विभागीय जानकारों के मुताबिक, जब सीबीआई ने इस मामले की पड़ताल में रूचि नहीं ली। मुख्य सचिव राजीव कुमार ने इस मामले की जांच तकनीकी समिति से कराने का फैसला लिया।
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सूत्रों के मुताबिक, शासन के इस फैसले को भी अभी ज्यादा दिन नहीं बीते थे कि अब इस घोटाले की जांच ईओडब्लू से कराने का निर्णय लिया गया। इस तरह देखा जाए तो योगी सरकार बनने के बाद आठ महीने में प्रकरण की पांचवीं जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, पर अभी तक नतीजा शून्य है।