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शिशु बाल गृह अनाथ बच्चों के लिए है वरदान, देता है नई जिंदगी-परिवार

Admin
Published on: 13 March 2016 12:05 PM GMT
शिशु बाल गृह अनाथ बच्चों के लिए है वरदान, देता है नई जिंदगी-परिवार
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गोंडा: गोंडा में स्थित शिशु बाल गृह उन बच्चों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है जिन्हें उनके मां-बाप ने पैदा होने के बाद सड़कों पर ठोकर खाने के लिए छोड़ दिया। ये संस्थान न केवल इन बच्चों को नई जिंदगी देता है बल्कि एक नया परिवार भी दिलाता है।

शिशु बाल गृह में कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनको आंख खोले अभी एक माह भी नहीं हुए हैं। इन बच्चों को देख केवल एक ही सवाल दिमाग में उमड़ता है कि आखिर वह कौन सी मजबूरी है जिसकी वजह से इनके मां-बाप ने इन्हें सडकों पर तड़पता हुआ छोड़ दिया।

क्या कहना है शिशु बाल गृह के प्रभारी उपेंद्र सिंह का

प्रभारी उपेंद्र सिंह एक बच्चे की जानकारी देते हुए बताते हैं कि श्रावस्ती जनपद की मशहूर अंगुली-माल गुफा में घूमने गए एक पर्यटक ने उनको फोन पर बताया कि गुफा के अंदर एक नवजात शिशु पड़ा हुआ है और उसकी सांसे अभी चल रही हैं।ये सुनकर उन्होने आनन फानन में अपने कार्यकर्ताओं को श्रावस्ती भेजा और बच्चे को वहां से उठाकर कागजीखाना पूर्ति के बाद उसको अपने यहां ले आएं।

बच्चा जिंदा तो जरूर था लेकिन उसके पैर टेढ़े थे। इसकी वजह से बच्चे को मेडिकल ट्रीटमेंट दिलाना पड़ा। अब वो बच्चा शिशु बाल गृह में अपनी उन मुंहबोली माताओं के साथ धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है, जिससे उनका खून का कोई रिश्ता नहीं है। शिशु बाल गृह में लगभग आधा दर्जन ऐसी महिलाएं हैं जो यशोदा की तरह इन बच्चों का लालन-पालन करती हैं।

ले सकते हैं बच्चों को गोद

अगर कोई ऐसा दंपति है, जिनके कोई बच्चा नहीं है तो वो इन बच्चों को गोद ले सकते हैं। इसके लिए बकायदा सरकारी बेवसाइट पर बच्चों का विवरण डाला जाता है।जब भारत में इनको कोई गोद लेने वाला नही मिलता है तो इसकी सूचना इंटरनेशनल बेवसाइट पर डाली जाती है। इसके जरिए दुनिया के किसी भी कोने का व्यक्ति इन बच्चों को अपना सकता है।

भारत हो या विदेश किसी भी बच्चों को गोद लेने के लिए पहली शर्त तो यही होती है कि अगर उसके कोई लड़की नहीं है तो वह लड़की गोद ले सकता है। अगर उसके कोई लड़का नहीं है तो वो लड़के को गोद ले सकता है, लेकिन जिन दंपति को पहले से बच्चे मौजूद है वो किसी भी अनाथ बच्चे को गोद नहीं ले सकता।

10 साल बाद भेज दिया जाता है दूसरे अनाथालय

गोंडा का जो शिशु बाल गृह है, ये किसी भी बच्चे को 10 साल तक ही रख सकता है। अगर 10 साल के अंदर किसी ने बच्चे को गोद नहीं लिया तो वो ऐसे अनाथालय भेज दिए जाते है जहां पर दस साल से ऊपर के बच्चे रहते हैं। इस शिशु बाल गृह में बच्चों की नियमित चेंकिग होती है और उनके खान-पान के लिए एक आहार चार्ट होता है। जिसके तहत ही उनका खान-पान किया जाता है। इन बच्चों की सही देखभाल हो रही है या नहीं । इसके लिए कई सरकारी एजेंसियां है, जो बराबर इसका निरीक्षण करती रहती हैं।

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