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Kaiserganj Lok Sabha: पत्नी को टिकट देने पर भी क्यों नहीं मान रहें भाजपा बृजभूषण शरण सिंह, जानिए वजह
Kaiserganj Lok Sabha: साल 1996 में भी पार्टी ने बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनकी पत्नी केतकी सिंह को टिकट दिया था। लेकिन इस बार बृजभूषण पत्नी को टिकट देने की बात पर भी सहमत नहीं हैं।
Kaiserganj Lok Sabha: लोकसभा चुनाव में विपक्ष की छींटाकशी से बचने के लिए यौन उत्पीड़न मामले में फंसे बृजभूषण शरण सिंह को भाजपा टिकट नहीं देना चाहती है। इसलिए भाजपा ने अभी तक कैसरगंज लोकसभा सीट से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। लेकिन बृजभूषण शरण सिंह नहीं मान रहें और अघोषित रैलियां निकाल रहे हैं। राजनीतिक दबाव के चलते अब बृजभूषण भाजपा के लिए गले की हड्डी बन चुके हैं।
भाजपा की बात नहीं मान रहें बृजभूषण
कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। कैसरगंज सीट से बिना टिकट मिले ही बृजभूषण शरण सिंह चुनावी मैदान में उतर गए हैं। पैनल की अनुमति लिए बिना ही बृजभूषण ने कई चुनावी काफिले निकालें। जिनमें से एक रैली के लिए बृजभूषण को चुनाव आयोग की नाराजगी झेलनी पड़ी। इस सिलसिले में 13 अप्रैल को उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।
भाजपा पहले भी बृजभूषण का काट चुकी है टिकट
भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनकी पत्नी को देने का फैसला किया है। लेकिन बृजभूषण को पार्टी का यह प्रस्ताव रास नहीं आया। हालांकि इससे पहले साल 1996 में भी पार्टी ने बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनकी पत्नी केतकी सिंह को टिकट दिया था। उस समय बृजभूषण गोंडा सीट से उम्मीदवार थे। तब उनकी पत्नी केतकी सिंह ने कांग्रेस को भारी मतों से हराया था। लेकिन इस बार बृजभूषण पत्नी को टिकट देने की बात पर भी सहमत नहीं हैं।
नाराजगी में भाजपा को भी चौंका सकते हैं बृजभूषण
यहां साफ नजर आ रहा है कि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को अगर टिकट नहीं मिला तो वह कभी भी पार्टी का नुकसान कर सकते हैं। इसका उदाहरण पार्टी पहले भी देख चुकी है। जब लोकसभा में भारत-अमेरिका परमाणु संधि को लेकर यूपीए सरकार विश्वास मत हासिल कर रही थी। तब भाजपा से नाराज बृजभूषण ने पार्टी ह्विप का उल्लंघन करते हुए यूपीए के पक्ष में अपना मत दे दिया था। इस कारण भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। अब वही स्थित भाजपा के सामने फिर से आकर खड़ी हो गई है।
बृजभूषण शरण सिंह से नाराज है जाट समाज
गौरतलब है कि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का नाम महिला पहलवान के यौन उत्पीड़न से जुड़ा है। जिसके चलते हरियाणा और पश्चिमी यूपी में लोग बृजभूषण का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि इन क्षेत्रों में जाट समाज की आबादी ज्यादा है। हरियाणा में 28 प्रतिशत मतदाता जाट समाज से हैं। पश्चिमी यूपी में भी जाट समाज भाजपा के खिलाफ है। हरियाणा में खासकर बृजभूषण शरण सिंह पर निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होने से पहलवानों में काफी नाराजगी है। यहां के लगभग हर गांव में जाट समुदाय के पहलवान हैं। ऐसे में भाजपा के सामने यह बड़ी चुनौती है कि कैसरगंज लोकसभा सीट से किसे उम्मीदवार चुने, जिससे जाट समाज की वोट भी प्रभावित ना हों।
क्यों नहीं मान रहें बृजभूषण
भाजपा कैसरगंज लोकसभा सीट से बृजभूषण का टिकट काटकर उनकी पत्नी केतकी सिंह को देने का ऑफर दे चुकी है। लेकन बृजभूषण इस बात पर राज़ी नहीं हुए हैं। इसका कारण यह है कि अगर बृजभूषण भाजपा की टिकट पर चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनपर लगे आरोप सिद्ध हो जाते हैं। यहां विपक्ष को भी यह कहने का मौका मिल जाएगा कि पार्टी ने उन्हें टिकट इसलिए नहीं दिया है क्योंकि पार्टी भी उन्हें यौन उत्पीड़न का दोषी मानती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले भी कैसरगंज सीट को लेकर भाजपा पर तंज कस चुके हैं।