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गोरखपुर विकास प्राधिकरण पर आरोप, पत्रकारों के साथ की ठगी, जानें पूरा मामला

जुलाई-अगस्त 2018 में गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने राप्तीनगर विस्तार आवासीय योजना के अन्तर्गत ‘पत्रकारपुरम’ के लिए पत्रकारों से आवेदन मांगा था।

Roshni Khan
Published on: 21 Jan 2021 6:20 AM GMT
गोरखपुर विकास प्राधिकरण पर आरोप, पत्रकारों के साथ की ठगी, जानें पूरा मामला
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गोरखपुर: आवंटियों को छलने, झूठ बोलने के आरोपों से घिरे गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों पर पत्रकारों को ठगने का आरोप लग रहा है। जीडीए ने मानबेला में विकसित पत्रकारपुरम में पत्रकारों को 15.50 लाख रुपये में सेमी फर्निस्ड फ्लैट देने का लिखित वादा किया था। लेकिन यह कीमत सभी देयकों को लेकर 25 लाख के ऊपर पहुंच रही है। इतना ही नहीं जिन्होंने डिमांड सर्वे के नाम पर दो साल पहले 10 हजार रुपये जमा किये थे, उन्हें कई दिनों तक दौड़ाने के बाद 9,900 रुपये की वापसी हो रही है।

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पुस्तिका में शर्तों का जिक्र किया गया था

जुलाई-अगस्त 2018 में गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने राप्तीनगर विस्तार आवासीय योजना के अन्तर्गत ‘पत्रकारपुरम’ के लिए पत्रकारों से आवेदन मांगा था। आवेदन फॉर्म के साथ जीडीए की डिमांड सर्वे पुस्तिका 200 रुपये में दी गई थी। उस पुस्तिका में शर्तों का जिक्र किया गया था। डिमांड सर्वे के लिये पत्रकारों से 10 हजार रुपये जमा कराये गए। फ्लैट का अनुमानित मूल्य 15.50 लाख रुपये का लिखित उल्लेख जीडीए ने किया था। जीडीए के अधिकारी भी मानते हैं कि फ्लैट की कीमत अनुमानित से 10 प्रतिशत बढ़-घट सकती है। लेकिन सवाल यह है कि जीएसटी, फ्री-होल्ड आदि को मिलाकर फ्लैट की कीमत 25 लाख से ऊपर पहुंचेगी। पत्रकारों का कहना है कि जमा 10 हजार में से जीडीए 9900 रुपये ही लौटा रहा है।

यानी दो साल बाद मिलने वाली रकम का ब्याज देना तो दूर 100 रुपये काट लिया जा रहा है। पूछने पर जीडीए के एकाउंट सेक्शन के बाबू बता रहे हैं कि प्रशासनिक व्यय शुल्क काटा जा रहा है। जबकि जीडीए ने साफ तौर पर पुस्तिका में लिखा था 'डिमांड सर्वे की राशि 10 हजार रुपये ली जाएगी, जो उक्त भवनों के आवंटन के समय पंजीकरण धनराशि में समायोजित कर ली जाएगी। यदि भवनों का पंजीकरण 9 माह के अंदर नहीं किया जाता है तो यह धनराशि सामान्य साधारण ब्याज सहित वापस कर दी जाएगी।' जीडीए ने 9 महीने की बजाय करीब पौने दो साल बाद (जून 2020) पंजीकरण खोला। यानी कि एक वर्ष का अधिक वक्त लिया। फिर ब्याज क्यों नहीं दे रहे?

फ्लैट की कीमत 20.50 लाख पहुंच गई

योजना लांच करने के समय ब्रोशर में जीडीए ने फ्लैट की अनुमानित कीमत 15.50 लाख थी। जो वर्तमान में 20.50 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी पहले बताए गए अनुमानित मूल्य से 33 फीसद अधिक। जाहिर है, यह रकम 20-25 हजार रुपये महीने कमाने वाले पत्रकारों के साथ एक तरीके की ठगी ही है। जीएसटी और अन्य देयकों के बाद फ्लैट की कीमत 25 लाख तक पहुंच जाएगी। पत्रकारों का कहना है कि एग्रीमेंट की शर्तों को जीडीए ने तोड़ा है। सवा दो साल के ब्याज समेत रकम वापसी के बजाए कटौती की जा रही है।

gorakhpur-matter gorakhpur-matter (PC: social media)

एक पत्रकार ने सवाल किया है कि 'दूसरों को इंसाफ दिलाने के पेशे में हूं। मुझे ही कोई ठग दे तो क्या मुझे चुप रहना चाहिए? मुझे विश्वास है कि जीडीए ने यह ठगी सिर्फ मेरे साथ ही नहीं की है। अन्य पत्रकारों के साथ भी की होगी, जिन्होंने डिमांड सर्वे के लिए 10 हजार रुपये जमा किया था लेकिन जीडीए द्वारा मनमाने ढंग से फ्लैट का मूल्य बढ़ाने के कारण वे आगे की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सके। 9 महीने के अंदर पंजीकरण शुरू नहीं हुआ तो इसके लिए जिम्मेदार जीडीए है।

अनुमानित मूल्य 15.50 लाख की बजाय वास्तविक मूल्य यानी 33 प्रतिशत बढ़ाया तो भी लचीलेपन का फायदा उसने ही उठाया। फिर हम अपने 100 रुपये के साथ पौने दो साल के ब्याज का नुकसान क्यों उठाएं? जीडीए प्रशासनिक व्यय के नाम पर 100 रुपये काट सकता है तो हमने जो पौने दो साल तक जीडीए के चक्कर लगाए, उसमें हुए व्यय का भुगतान हमें कौन करेगा?'

पत्रकारों के लिए लांच योजना में डॉक्टर, वकील और शिक्षक भी

प्राधिकरण ने योजना पत्रकारों के लिए लांच की थी। उम्मीद से काफी अधिक रकम में फ़्लैट को देखते हुए पत्रकारों ने आवेदन की हिम्मत नहीं जुटाई। इसके बाद अफसरों ने योजना में डॉक्टर, शिक्षक, वकील के साथ सभी प्रोफेशनल को एंट्री दे दी। इसके बाद भी फ्लैट बुक नहीं हुए तो आम लोगों के लिए पंजीकरण खोला गया। अभी भी कई फ्लैट की बुकिंग नहीं हुई है। अब जीडीए ने पत्रकारों के लिए प्लॉट की योजना की कवायद शुरू की है। लेकिन सवाल यह है कि फ्लैट के नाम पर पत्रकारों से वादाखिलाफी करने वाला जीडीए किस रेट में जमीन मुहैया कराएगा।

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सिर्फ एक दरवाजा लगेगा फ्लैट में

मानबेला में बन रहे पत्रकारपुरम में जीडीए सिर्फ एक दरवाजा लगाकर आवंटियों को कब्जा देने की तैयारी में है। इसके अलावा सेमी फर्निस्ड फ्लैट में क्या होगा क्या नहीं इसे बताने वाला कोई नहीं है। लेटलतीफी के बीच जीडीए के अधिकारी ये बताने को तैयार नहीं है कि फ्लैट कब बनकर तैयार होगा। कब तक कब्जा मिलेगी?

रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव

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