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मानव काया के अंतिम पड़ाव को भी राप्ती ने लिया अपने आगोश में
गोरखपुर: जिले में आई भयानक बाढ़ ने काफी कुछ बदल दिया है। जिंदगी तो दूर मौत भी इससे अछूती नही रह गयी है। ऐसा ही कुछ हाल गोरखपुर बैकुंठ धाम का है। जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है, स्थिति तो तब और भयावह हो गई जब राप्ती ने राजघाट पर दाह संस्कार तक की जगह को अपने आगोश में ले लिया।
ऐसे परिवारों के सामने चुनौती खड़ी हो गई है, जिनके यहां किसी का निधन हो गया हो। मजबूरी में वे राजघाट पुल के नीचे उतरने वाले ढाले पर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। यदि राप्ती का उफान ऐसे ही जारी रहा तो ढाला भी बाढ़ में डूबते देर नहीं लगेगी, तब स्थिति की भयावहता की केवल कल्पना की जा सकती है।
आमतौर पर सामान्य दिनों में राप्ती तट राजघाट पर नदी के किनारे दाह संस्कार किया जाता है। हालांकि घाट से थोड़ा पहले बने बैकुंठ धाम पर भी लोग दाह संस्कार करते हैं। सबसे पहले राप्ती ने अपने किनारे के घाट को अपने आगोश में लिए। फिर लोगो के लिए अंत्येष्टि के लिए बैकुंठ धाम सहारा बना। लेकिन लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण वह भी जगह जल में विलीन हो चुका है।