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शादी के लिए नगर निगम नहीं ढूंढ पाया एक भी जोड़ा, 25 फरवरी तक करना था आवेदन
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत जिले की 496 गरीब कन्याओं के हाथ पीले कराए जाने हैं। इनमें से 29 शादियां कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। लेकिन निगम प्रशासन के अलावा 70 पार्षद और डूडा शादी कराने के लिए एक जोड़ा नहीं ढूंढ पाया। जबकि आवेदन करने की अंतिम तिथि 25 फरवरी तय की गई थी।
गोरखपुर: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत जिले की 496 गरीब कन्याओं के हाथ पीले कराए जाने हैं। इनमें से 29 शादियां कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। लेकिन निगम प्रशासन के अलावा 70 पार्षद और डूडा शादी कराने के लिए एक जोड़ा नहीं ढूंढ पाया। जबकि आवेदन करने की अंतिम तिथि 25 फरवरी तय की गई थी।
वहां उपचुनाव के लिए आचार संहिता का हवाला देकर नगर निगम अपना पल्ला झाड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने गरीब बेटियों विवाह और विधवा और तलाकशुदा महिलाओं के पुनर्विवाह के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की शुरुआत की है। इस योजना का लाभ समाज के सभी वर्गों को मिलेगा। इसके लिए शासन ने धनराशि भी आवंटित करा दी है। सामूहिक विवाह कराने का जिम्मा नगर निगम के अलावा अन्य विभागों के पास है। न्यूनतम 10 जोड़ों का विवाह होना है एक जोड़े के विवाह पर 35,000 का खर्चा आएगा। नगर निगम बिना सूचना दिए ही वर वधू की तलाश कर रहा है। इसी का नतीजा है कि अब तक एक भी पंजीकरण नहीं हुआ है। दूसरी तरफ निगम प्रशासन का दावा है कि इसके लिए सभी 70 वार्डों के पार्षदों को पत्र भेजकर आवेदन कराने का अनुरोध किया गया है।
इसके बाद भी आवेदन नहीं हुए हैं सामूहिक विवाह योजना के तहत दांपत्य जीवन में खुशहाली और गृहस्थी की स्थापना के लिए बीस हजार रुपए कन्या के खाते में भेजा जाएगा।0 विधवा तलाकशुदा महिलाओं के मामले में 25,000 हजार की सहायता सीधे खाते में भेजी जाएगी। विवाह संस्कार के लिए कपड़े चांदी के गहने के अलावा 7 बर्तन के लिए हर जोड़ों पर 10 हजार खर्च होगा। तलाकशुदा के मामले में यह राशि 5000 होगी।
वहीं इस मामले पर अपर नगर आयुक्त व सामूहिक विवाह के प्रभारी डीके सिन्हा ने बताया कि आचार संहिता लगने के वजह से दिक्कत पेश आ रही है सभी पार्षदों को पत्र भेजकर आवेदन कराने को कहा गया है आचार संहिता खत्म होने के बाद प्रचार-प्रसार तेज किया जाएगा।