Doctor's Day Special: डॉ.अश्वनी के जज्बे से बदल गई जर्जर अस्पताल की सूरत, नर्सिंग होम वाले परेशान

Gorakhpur News: कोविड के कठिन दौर में एक चिकित्सक के जज्बे ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) को न केवल पहली बार कायाकल्प का खिताब दिलवाया,बल्कि अस्पताल की सूरत भी बदल दी।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Shweta
Published on: 1 July 2021 4:07 AM GMT (Updated on: 1 July 2021 4:43 AM GMT)
डॉ.अश्वनी
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डॉ.अश्वनी (डिजाइन फोटो)

Doctor's Day Special: कोविड के कठिन दौर में एक चिकित्सक के जज्बे ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) को न केवल पहली बार कायाकल्प का खिताब दिलवाया,बल्कि अस्पताल की सूरत भी बदल दी। वैसे तो अस्पताल में बदलाव की इबारत प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने ज्वाइन करने के बाद ही लिखनी शुरू कर दी थी लेकिन कई अहम चुनौतियों का समाधान कोविड काल में ही किया। कायाकल्प के लिए मूल्यांकन भी कोरोना प्रोटोकॉल के बीच हुआ और पहले ही प्रयास में 83.1 फीसदी के जनपद स्तर पर सर्वाधिक अंक के साथ यह अवार्ड जीत लिया। अब इस पीएचसी की पहचान सीएचसी के तौर पर होती है और सीएचसी भटहट की पहचान हैं वहां के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अश्विनी चौरसिया। चिकित्सक के मेहनत का नतीजा है कि आसपास के नर्सिंग होम संचालक भी परेशान हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित भटहट सीएचसी कभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) हुआ करता था। केंद्र की छत पर जमी गंदगी से ऐसा जलजमाव होता था कि बरसात के दिनों में दिवारों की सीलन से मरीज, चिकित्सक, कर्मचारी और मरीज सभी परेशान रहते थे। अस्पताल में इंफ्रास्ट्रक्चर तो था, लेकिन व्यवस्थित नहीं था। इंफेक्शन कंट्रोल के उपायों पर भी बहुत जोर नहीं था।

प्रसव कक्ष सुदृढ़ नहीं था और सिस्टम की कमी थी। 25 जून 2019 को इस केंद्र का प्रभार संभाला डॉ. अश्विनी चौरसिया ने और इसके बाद अस्पताल में एक-एक करके परिवर्तन होने लगे। क्षेत्रीय अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी एनक्वास डॉ.नंद कुमार का कहना है कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने निश्चित तौर पर भटहट सीएचसी की सूरत में काफी बदलाव किया है। कायाकल्प में अच्छा प्रदर्शन कर चुकी पीएचसी के लिए प्रयास है कि इसे सीएचसी श्रेणी में नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन (एनक्वास) भी दिलवाया जाए।

सीसीटीवी कैमरे से होती है निगरानी

डॉ. चौरसिया ने सबसे पहले अस्पताल की छत पर जमा काई को साफ करवा कर दिवारों की ऑयल पेंटिंग करवाई गई और पूरे बिल्डिंग का रंग-रोगन करवाया गया। अस्पताल में छह इंटरकॉम, 14 सीसीटीवी कैमरे, सरकारी बजट से सभी कमरे के लिए नयी आलमारी, सभी कमरों के लिए नये फर्नीचर लगवाए गए। एक बड़ा सुलभ शौचालय भी बनवाया गया है। ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (बीपीएमयू) कक्ष को कार्पोरेट ऑफिस जैसी सूरत दी गयी है। अस्पताल में पहले दो बेड का इमर्जेंसी वार्ड था, लेकिन उन्होंने इसे तीन बेड का करवाया।

लगी है डिस्पेंशर सैनेट्री पैड की मशीन

डॉ. चौरसिया के प्रयासों से फीमेल ओपीडी, ईटीसी, ड्रेसिंग एंड इंजेक्शन रूम के मरीजों के लिए अलग से वेटिंग एरिया बनाया गया है। लेबर वार्ड के पास में ही डिस्पेंशर सैनेट्री पैड की मशीन लगवायी गयी जहां से बिना किसी से मांगे सैनेटरी पैड प्राप्त किया जा सकता है, जबकि शौचालय के पास इमीनेटर सैनिटरी पैड मशीन लगवायी गयी जहां यूज किये जा चुके पैड को नष्ट किया जाता है। लेबर वार्ड के बगल में कंगारू मदर केयर (केएमसी) वार्ड बनाया गया जहां स्टॉफ माताओं को प्रशिक्षित कर सुविधा देता है । 35 किलोमीटर परिधि के मरीजों को यह अस्पताल सुविधा प्रदान कर रहा है। इस पर 2.25 लाख की आबादी का लोड है। यहां ज्यादतर लोग अपने साधनों से ही पहुंचते हैं। इस सीएचसी के अन्तर्गत तीन पीएचसी आती है जो करीब आठ से दस किलोमीटर की दूरी पर हैं।

आमलोगों से लेकर जनप्रतिनिधि भी मुरीद

क्षेत्र के संभ्रांत व्यक्ति और बीज प्रमाणीकरण संस्था उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष (दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री) राधेश्याम सिंह भटहट सीएचसी के साफ-सफाई के मुरीद हैं। उनका कहना है कि डॉ. अश्विनी चौरसिया सफाई के प्रति बेहद सतर्क और संवेदनशील हैं। कोविड काल में सतर्कता के साथ अस्पताल में सेवा दी गयी है और यह उन्होंने खुद के निरीक्षण में भी पाया है। क्षेत्र के फुलविरया गांव के सुधीर सिंह का कहना है कि उन्हें सबसे अच्छी व्यवस्था यह लगी कि कोविड के समय पंजीकरण पर्ची मरीज के हाथ में नहीं दी जाती है। काउंटर से पर्ची सीधे चिकित्सक के पास जाती है और नॉन टच पॉलिसी का पालन कर लोगों की कोरोना से सुरक्षा की जाती है।

Shweta

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