Gorakhpur News: वार्डों के परिसीमन में फंसे पेंच, सीएम से चर्चा के बाद तय होगा वार्डों का वजूद

Gorakhpur News: नगर निगम में कई ऐसे वार्ड हैं जिनकी जनसंख्या 9000 से कम है। ऐसे में इन वार्डों के भूगोल में सर्वाधिक बदलाव होगा।

Purnima Srivastava
Published on: 17 July 2022 6:53 AM GMT
Municipal Corporation Gorakhpur
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नगर निगम गोरखपुर (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Gorakhpur News: मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में नगर निगम (Municipal Corporation Gorakhpur) के परिसीमन को लेकर पेंच फंसा हुआ है। नगर निगम ने शासन के प्रस्ताव के मुताबिक 70 वार्डों का नये सिरे से परिसीमन कर शासन को प्रस्ताव भेज चुका है। लेकिन भाजपा की महानगर इकाई से लेकर भाजपा के पार्षद दावेदार संतुष्ट नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) को खुद हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। नगर आयुक्त अविनाश सिंह रविवार को लखनऊ में हैं। उम्मीद है कि वह मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। जिसके बाद तय होगा कि नगर निगम गोरखपुर में कितने वार्डों का वजूद रहेगा। पहले के प्रस्ताव पर मुहर लगेगी या फिर वार्डों की संख्या 90 होगी। निकाय चुनाव नवम्बर-दिसम्बर में प्रस्तावित है।

नगर निगम की नियमावली के मुताबिक, 6 से 9 लाख की आबादी वाले शहरों में 70 से अधिक वार्ड नहीं हो सकते हैं। नगर निगम में शामिल 32 गांव के बाद भी शहर की आबादी 2011 की जनगणना के आधार पर 9 लाख नहीं पहुंच सकी है। 32 गांव की आबादी शामिल करने के बाद भी शहर की जनसंख्या 7,70,772 ही है। हालांकि जानकार मान रहे हैं वर्तमान में शहर की वास्तविक आबादी 14 लाख से अधिक है। निकाय के मानक के मुताबिक एक वार्ड की औसत जनसंख्या 11,116 हो सकती है। परिसीमन के समय वार्डों के निर्धारण में औसत जनसंख्या में 15 फीसदी जनसंख्या जोड़ी जा सकती है या कम की जा सकती है। ऐसे में एक वार्ड की जनसंख्या 9000 से कम और 12,500 से अधिक नहीं हो सकती है। परिसीमन के जुटे अधिक वार्डों का नये सिरे से निर्धारण के समय उत्तर से पश्चिम कोना मिलाएंगे। ऐसे में कई वार्डों की भूगोल बदलना तय है। सर्वाधिक असर छोटे वार्डों पर पड़ेगा।

इन वार्डों के वजूद पर खतरा

नगर निगम में कई ऐसे वार्ड हैं जिनकी जनसंख्या 9000 से कम है। ऐसे में इन वार्डों के भूगोल में सर्वाधिक बदलाव होगा। इन वार्डों में बिछिया रेलवे कालोनी, कृष्णानगर, पुर्दिलपुर, लोहियानगर, रेलवे बौलिया कालोनी आदि शामिल है। इन वार्डों में दूसरे वार्डों की आबादी को शामिल किया जा सकता है। या फिर नये सिरे से वार्डों का गठन किया जा सकता है। नियम के मुताबिक प्रत्येक दस वर्ष में वार्ड का नाम और भौगोलिक स्थिति में बदलाव हो सकता है। अंतिम बार वार्डों के भूगोल में बदलाव 2006 में हुआ था। हालांकि पार्षदों का बड़ा वर्ग 2021 की जनसंख्या के आधार पर वार्डों का गठन चाहता है। उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा का कहना है कि 'वर्तमान में शहर की आबादी 10 लाख से कही अधिक है। कम जनसंख्या के आकड़े से निगम को कई केन्द्रीय फंड नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में 2021 की जनसंख्या के आधार पर वार्डों के गठन से विकास को नई रफ्तार मिलेगी।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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