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World Hemophilia Day: हीमोफीलिया की होती है निःशुल्क जांच, इलाज के भी नहीं लगते पैसे

World hemophilia day: जिला अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. बीके सुमन का कहना है कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में हीमोफीलिया का लक्षण दिखने पर खून की निःशुल्क जांच करवाई जाती है ।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Monika
Published on: 17 April 2022 7:45 AM IST
symptoms of hemophilia
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विश्व हीमोफीलिया दिवस (photo: social media )  

Gorakhpur News: रक्तस्राव संबंधित अनुवांशिक बीमारी हीमोफीलिया (World hemophilia day) की जांच और इलाज निःशुल्क है। अगर आसानी से खरोच लगने की आदत हो, नाक से आसानी से न बंद होने वाला खून बहे, दांत निकालते समय और रूट कैनाल थेरेपी में अत्यधिक खून बहे, जोड़ो में सूजन या असहनीय पीड़ा हो, बच्चों के दांत टूटने व नये दांत निकलने में मसूढ़े से लगातार खून आए और पेशाब के रास्ते खून बहे तो यह हीमोफीलिया का लक्षण symptoms of hemophilia) हो सकता है । ऐसे में जिला अस्पताल या बीआरडी मेडिकल कालेज में जांच करवा कर इलाज शुरू कर देना चाहिए।

जिला अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. बीके सुमन का कहना है कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में हीमोफीलिया का लक्षण दिखने पर खून की निःशुल्क जांच करवाई जाती है । अगर हीमोफीलिया की पुष्टि होती है तो मरीज को इलाज के लिए मेडिकल कालेज रेफर कर दिया जाता है । इलाज के दौरान अगर ब्लड फैक्टर फ्यूजन की आवश्यकता होती है तो जिला अस्पताल यह सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराता है । इस बीमारी का संपूर्ण उपचार तो नहीं है लेकिन जिस फैक्टर की कमी होती है उसे देकर मरीज के जीवन की रक्षा की जाती है ।

डॉ सुमन ने बताया कि खास सावधानियां बरत कर और हीमोफीलिया प्रतिरोधक फैक्टर के जरिये इस बीमारी को नियंत्रित किया जाता है । इस बीमारी में आंत या दिमाग के हिस्से में होने वाले रक्तस्राव से जान भी जा सकती है । जोड़ो में सूजन के साथ जब इस बीमारी में अक्सर दर्द होता है तो यह आंतरिक रक्तस्राव के कारण होता है जो आगे चल कर दिव्यांगता में परिवर्तित हो सकता है। यह बीमारी दो प्रकार की होती है । जिन लोगों में रक्त का थक्का जमाने वाले फैक्टर आठ की कमी होती है उन्हें हीमोफीलिया ए होता है और जिनमें फैक्टर नौ की कमी होती है उन्हें हीमोफीलिया बी होता है। मरीज में जिस फैक्टर की कमी होती है उसे इंजेक्शन के जरिये नस में दिया जाता है, ताकि रक्तस्राव न हो। इसके मरीजों के लिए सही समय पर इंजेक्शन लेना, नित्य आवश्यक व्यायाम करना, दांतों के बारे में शिक्षित करना, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी व सी जैसी बीमारियों से बचाना आवश्यक है ।

बच्चों में भी होती है बीमारी

जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अजय देवकुलियार का कहना है कि नवजात में हीमोफीलिया की पहचान नहीं हो पाती है लेकिन जब वह दो से तीन महीने के हो जाते हैं तो पहचान हो जाती है । ऐसे बच्चे जिला अस्पताल व बीआरडी मेडिकल कालेज में इलाज करवाते हैं । हीमोफीलिया व इसके जैसे रक्तस्राव संबंधित विकारों से बचाव के लिए विटामिन-के का इंजेक्शन सभी नवजात को लगाया जाता है। यह इंजेक्शन सभी राजकीय स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क है ।

इसलिए मनाते हैं दिवस

हीमोफीलिया के साथ-साथ अन्य अनुवांशिक खून बहने वाले विकारों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया की स्थापना करने वाले फ्रैंक कैनबेल का जन्म इसी दिन हुआ था। इस साल इस दिवस की वैश्विक थीम है-सभी के लिए सुलभ उपलब्ध। नेशनल हेल्थ पोर्टल पर चार अप्रैल 2019 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक 10000 पुरुषों में से एक पुरुष के इस बीमारी से ग्रसित होने का जोखिम होता है । महिलाएं आनुवांशिक इकाइयों के वाहक के तौर पर भूमिका निभाती हैं। अस्सी फीसदी से ज्यादे मामले हीमोफीलिया ए के ही पाए जाते हैं ।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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