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गोरखपुर: झिझक छोड़ चौराहों पर अपनी ऑटो में सवारी भरती हैं संगीता चौधरी
शहर के उत्तरी जटेपुर काली मंदिर के पास रहने वाली संगीता चौधरी ने 12 साल पहले काले ऑटो की स्टीयरिंग थामी तो कइयों ने सवाल उठाए।
गोरखपुर: वैसे तो आप पुरूषों को ही चौराहों पर खड़े होकर सवारी को पुकारते, बिठाते सुना और देखा होगा। लेकिन गोरखपुर की पहली महिला ऑटो चालक संगीता चौधरी उन महिलाओं के लिए मिसाल हैं जो कुछ कार्यों को पुरूषों के लिए रिर्जव मानती हैं। संगीता पिछले 12 वर्षों में बिना झिझक गोरखपुर में ऑटो चलाती हैं। वह महापौर का चुनाव लड़ी। हार मिली तो फिर दोबारा स्टीयरिंग थामने में संकोच नहीं किया। उनकी देखा-देखी अब आधा दर्जन महिलाओं पिंक ऑटो चला रही हैं।
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परिवार वाले भी अनमने तरीके से ही तैयार थे
शहर के उत्तरी जटेपुर काली मंदिर के पास रहने वाली संगीता चौधरी ने 12 साल पहले काले ऑटो की स्टीयरिंग थामी तो कइयों ने सवाल उठाए। परिवार वाले भी अनमने तरीके से ही तैयार थे। लेकिन सामाजिक तानों से बेपरवाह संगीता ऑटो को रफ्तार देती रहीं। नतीजा उनकी जिंदगी की गाड़ी भी पटरी पर आ गई। पुरुषों से कदमताल कर सड़कों पर फर्राटा भरने वाली संगीता की देखादेखी न सिर्फ आधा दर्जन से ज्यादा महिलाएं ऑटो चालक बन चुकी हैं, बल्कि पिंक ऑटो का चलन भी बढ़ने लगा है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है
पिंक आटो के लिए महिलाओं को प्रेरित करने वाली चालक संगीता बताती हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। रजिस्ट्रेशन के दौरान महिला चालकों का उत्साह बढ़ाने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षित भी किया गया। संगीता के ही प्रयास से संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) ने 8 जुलाई 2015 को पिंक ऑटो को लेकर सहमति दी।
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परिवार की राजमंदी के बाद पकड़ी स्टीयरिंग
वर्ष 2009 में परिवार की रजामंदी मिलने के बाद संगीता ने ऑटो चलाना शुरू किया था। शुरू-शुरू में उन्हें थोड़ा अजीब लगा लेकिन उन्होंने दृढ़निश्चय कर कदम आगे बढ़ाए और धर्मशाला-गोरखनाथ-बरगदवा रूट पर अपने काम में डटी रहीं। संगीता को ऑटो चलाते आज 12 साल के करीब हो गए। सड़क पर फर्राटा भरते संगीता की तरफ हर किसी का ध्यान आकृष्ट होता है। इधर सरकार और प्रशासन का साथ मिला तो वह पिंक ऑटो चलाने लगीं। संगीता की झिझक तोड़ने के बाद वंदना, शिल्पी, मंजू समेत आधा दर्जन महिलाएं पिंक ऑटो चला रही हैं।
रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव
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