TRENDING TAGS :
Ground report : कबीर और बुद्ध की धरती पर जाति ही मुद्दा
गोरखपुर: संतकबीरनगर से गठबंधन के प्रत्याशी भीष्मशंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी द्वारा 6 मई को फेसबुक पर की गई पोस्ट चर्चा में है। मुलायम सिंह यादव और पंडित हरिशंकर तिवारी की बरसों पुरानी फोटो को फेसबुक पर अपलोड कर कुशल तिवारी ने लिखा है कि तिवारी परिवार और मुलायम सिंह परिवार का संबंध दशकों पुराना है। मुलायम सिंह यादव और मेरे पिता की दोस्ती कई दशक पुरानी है। यह सुखद संयोग है इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए भाई अखिलेश यादव मेरे सहयोग व समर्थन में संतकबीर नगर आ रहे हैं।
डुमरियागंज में भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल के समर्थन में जनसभा करने आए अयोध्या के एक संत ने अपने भाषण में कहा कि यह चुनाव भारत पाकिस्तान के युद्ध सरीखा है। ऐसा न हो कि हम हार जाएं और वह जीत जाएं। वोट देने निकलें तो चेहरा देख लें। कौन आपका है और कौन उनका। वहीं गठबंधन प्रत्याशी आफताब आलम इन दिनों सूरत, मुंबई और चेन्नई के वोटरों को लेकर फिक्रमंद हैं। डुमरियागंज से इन शहरों के लिए लगातार लग्जरी बसें दौड़ रही हैं ताकि एक लाख से अधिक परदेशी वोटरों को बूथों तक पहुंचाया जा सके।
बस्ती के पॉलीटेक्निक मैदान में 4 मई को तीन लोकसभा सीटों के वोटरों को संबोधित करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि गठबंधन और कांग्रेस के नेताओं के लिए अभी दिल्ली दूर है। राहुल गांधी का प्रधानमंत्री बनने का सपना, सपना ही रह जाएगा। महमिलावटी गठबंधन वाले अब एक दूसरे का गला काटने पर लगे हैं। 23 मई के बाद नई लड़ाई शुरू होगी, यही लोग एक-दूसरे से कहेंगे आप कौन? पहले मैं। जो सपा-बसपा वाले गली के गुंडों से नहीं निपट सकते, वो आतंकवाद से लडऩे की बात कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें : मनोहर सरकार ने हरियाणा को गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार से मुक्ति दी: अमित शाह
सियासत की इन तीन तस्वीरों के अपने निहितार्थ हैं। अपना गुणाभाग। अपनी जोड़तोड़। एक तरफ जहां जातियों को एकजुट रख जीत की रणनीति बनाई जा रही है, तो वहीं मुस्लिम वोटों को एकजुट रखने की कोशिशें हैं। वहीं पीएम मोदी लगातार इन कोशिशों में दिख रहे हैं कि चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर हो। वोटिंग मोदी के नाम पर हो। जाहिर है, मोदी और राष्ट्रवाद की सियासत कामयाब रही तो जाति के नाम पर बन रहे समीकरण को दरकिनार किया जा सके। देखना दिलचस्प होगा कि स्टार प्रचारक और उम्मीदवार इसमें कितना कामयाब होते हैं।
बस्ती मंडल की तीन लोकसभा सीटों - डुमरियागंज, संतकबीर नगर और बस्ती का ऐतिहासिक महत्व है। अयोध्या से सटे होने के कारण तीनों जिलों के वोटरों ने राम मंदिर आंदोलन और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को करीब से देखा है। डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र का कपिलवस्तु भगवान बुद्ध की क्रीड़ास्थली रहा है तो संतकबीर नगर जाति और धर्म की दीवारों को तोडऩे के अग्रदूत संत कबीर दास की परिनिर्वाण स्थली। तीनों सीटों पर 12 मई को वोटिंग हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने वोटरों को सहेजने में लगे हुए हैं। भाजपा के सामने चुनौती है कि वह 2014 के प्रदर्शन को दोहराए। तब भाजपा ने मंडल की तीनों सीट पर कब्जा किया था।
यह भी पढ़ें : बौखलाहट में गाली गलौज पर उतर आए हैं गठबंधन के नेता: CM योगी
बस्ती सीट भाजपा के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इसे पीएम मोदी की 4 मई की सभा से समझा जा सकता है। बस्ती में ही कुछ महीने पहले भाजपा ने किसान सम्मेलन किया था और योगी आदित्यनाथ की कई सभाएं यहां हो चुकी हैं। बस्ती सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। भाजपा ने जहां वर्तमान सांसद हरीश द्विवेदी पर भरोसा जताया है तो गठबंधन ने रामप्रसाद चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस की तलाश सपा सरकार में पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह के रूप में पूरी हुई है। हरीश द्विवेदी पहली बार मोदी लहर में 2014 में सांसद बने। इससे पहले 2012 में बस्ती सदर सीट से विधानसभा चुनाव में उतरे थे लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। 2014 के चुनाव में उन्हें 3,57,680 मत मिले थे, जबकि प्रमुख प्रतिद्वंद्वी सपा दिग्गज राजकिशोर सिंह के भाई ब्रजकिशोर डिंपल को 3,24,118 वोटों से संतोष करना पड़ा था। बसपा, सपा और रालोद गठबंधन के प्रत्याशी रामप्रसाद चौधरी भी दूसरी बार लोकसभा में पहुंचने के लिए किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा के हरीश द्विवेदी मोदी मैजिक के सहारे वैतरणी पार करने की कोशिशों में हैं। वहीं गठबंधन उम्मीदवार को मुस्लिम, दलित और यादव वोट के साथ चौधरी बिरादरी के वोटों पर भरोसा है। सपा सरकार में बस्ती में कैबिनेट मंत्री रहे राजकिशोर सिंह की कभी तूती बोलती थी, लेकिन बदली परिस्थितियों में उन्हें 'हाथ' का साथ लेना पड़ा है। वह राजपूत वोटों के साथ मुस्लिम और दलित वोटों में सेंधमारी कर जीत का गुणाभाग करते दिख रहे हैं।
हरैया के एक स्कूल में गणित के प्रवक्ता प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि 2014 में जिस तरह मोदी का जादू था, वैसी स्थिति नहीं दिख रही है। इस बार चुनाव में जाति हावी दिख रही है।
बस्ती शहर की आवास विकास कालोनी के चौराहे पर चुनावी चर्चा में व्यस्त दिलीप कुमार कहते हैं कि भाजपा प्रत्याशी के पास मोदी का गुणगान करने के सिवा कोई एजेंडा नहीं है। मेडिकल कॉलेज को सांसद अपनी उपलब्धि बता रहे हैं। बड़ा सवाल है कि क्या सिर्फ मेडिकल कॉलेज उन्हें संसद पहुंचाएगा? गन्ना किसानों का करोड़ों का बकाया भाजपा को परेशान किए हुए है।
सोनहा थानाक्षेत्र के परसा लगड़ा गांव के दौलत राम चौधरी कहते हैं कि वाल्टरगंज और बजाज चीनी मिल पर ढाई लाख गन्ना मूल्य बकाया है। गांव के करीब 50 लोगों का गन्ना भुगतान नहीं हुआ है।
सोनूपार क्षेत्र के गांव कैतहा में किसान सम्मान निधि का लाभ 12 लोगों को मिला है। गांव के रामप्रकाश यादव कहते हैं कि प्रधान की कृपा जिस पर बरसी है, उसी के खाते में 2 हजार रुपए मिले हैं।
यूपी के सबसे बड़े गांव में शुमार गनेशपुर के रहमत को पीएम आवास का लाभ मिला है। वह कहते हैं कि अधिकारियों और कर्मचारियों को खुश किए बिना कोई किस्त जारी नहीं हुई। ढाई लाख की बजाए सिर्फ दो लाख रुपए मिले। खेत बेचकर एक लाख रुपया मकान में लगाना पड़ा।
कबीर की धरती पर जाति जिधर, जीत उधर
जाति और धर्म की बेडिय़ों को लेकर जिंदगी भर संघर्ष करने वाले संत कबीरदास की परिनिर्वाण स्थली संतकबीर नगर में सिर्फ जाति का ही गुणाभाग देखने को मिल रहा है। जातिगत स्वाभिमान सांसद-विधायक के 'जूताकांड' के बाद और बढ़ गया है। ब्राह्मण और राजपूत खेमा अलग-अलग मोर्चेबंदी में दिख रहा है। भाजपा ने शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है। वहीं शरद के पिता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया से उतार कर ब्राह्मणों के वोट को साधने की कोशिश हुई है। गठबंधन ने पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्म शंकर तिवारी को उतारा है। कांग्रेस ने अपने जिलाध्यक्ष और पूर्व में घोषित उम्मीदवार परवेज का टिकट काटकर 8 बार दलबदल करने वाले दो बार के सांसद भालचंद को टिकट थमाया है। संतकबीर नगर में यादव और मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ करने के लिए जोड़तोड़ चरम पर है। भीष्म शंकर जहां मुलायम सिंह यादव से पारिवारिक रिश्तों की दुहाई देकर यादव वोटरों को सहेजने की कोशिश में हैं तो वहीं भालचंद अपने को सुख-दुख का साथी बताकर यादवों को अपने पाले में करने की कोशिश में हैं। कांग्रेस प्रत्याशी की सेंधमारी मुस्लिम वोटों में भी दिख रही है। वहीं गोरखपुर उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ के तीन दशक पुराने तिलिस्म को चुनौती देकर सपा के टिकट पर जीत हासिल करने वाले प्रवीण निषाद भाजपा के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। एचआरपीजी कॉलेज में शिक्षक रहे डा. सत्येन्द्र श्रीवास्तव कहते हैं कि जातिवाद का ऐसा खेल पूर्व के किसी चुनाव में नहीं दिखा था।
डुमरियागंज में गठबंधन और भाजपा में सीधा मुकाबला
भगवान बुद्ध की क्रीड़ास्थली रही कपिलवस्तु में सियासत के सभी दांवपेंच दिख रहे हैं। यहां का चुनाव मुस्लिम बनाम अन्य के बीच सिमटता दिख रहा है। करीब 19 लाख वोटरों में छह लाख वोटर मुस्लिम है। ऐसे में समझना मुश्किल नहीं है कि मुस्लिम जिधर एकजुट होंगे जीत उधर होगी। बसपा के टिकट पर लड़ रहे आफताब आलम बाहरी उम्मीदवार के आरोपों के बीच मुस्लिम वोटों को सहेजने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुस्लिम वोटों में सेंधमारी पीस पार्टी के डॉ. अयूब भी कर रहे हैं। 2014 के चुनाव में अयूब को करीब एक लाख वोट मिले थे। डुमरियागंज के मुस्लिमों का एक वर्ग भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल के साथ भी दिखता है। लेकिन इस बार अयोध्या के एक संत जिस प्रकार अपने भाषणों में भारत-पाकिस्तान का मुद्दा उछाल रहे हैं, उसे देखते हुए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें परवान चढ़ती दिख रही हैं।
वरिष्ठ पत्रकार आसिफ इकबाल कहते हैं कि पीस पार्टी को इस बार मुस्लिमों का पिछले बार जैसा समर्थन नहीं है।
पूर्वांचल बैंक में शाखा प्रबंधक शिवकुमार कहते हैं कि लोगों में सर्जिकल स्ट्राइक, उज्जवला, सौभाग्य और पीएम आवास जैसे योजनाओं पर चर्चा होती है, लेकिन जाति की जकडऩ से ये मुद्दे वोटिंग के दिन तक बरकरार रहेंगे, मुश्किल ही दिखता है।
डुमरियागंज के एक मदरसे में शिक्षक बदरेआलम का कहना है कि मुस्लिम 80 फीसदी भी साथ आए तो गठबंधन चुनाव जीत लेगा। दलित और यादव वोट जीत के अंतर को बढ़ाएंगे।
2014 का चुनावी हाल
डुमरियागंज
जगदंबिका पाल (भाजपा) - 2,98,845
मोहम्मद मुकीम (बसपा) - 1,95,257
माता प्रसाद (सपा) - 1,74,778
वसुंधरा (कांग्रेस) - 88,117
बस्ती
हरीश द्विवेदी (भाजपा) - 3,57,680
ब्रजकिशोर सिंह (सपा) - 3,24,118
रामप्रसाद चौधरी (बसपा) - 2,83,747
अंबिका सिंह (कांग्रेस) - 27,673
संतकबीर नगर
शरद त्रिपाठी (भाजपा) - 3,48,892
भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल - 2,50,914
भालचंद यादव (सपा) - 2,40,169
रोहित पांडेय (कांग्रेस) - 22,029