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गोरखपुर: शिलान्यास के 10 साल बाद चिड़ियाघर में दिखेंगे शेर-भालू, जानिए खास बातें

शिलान्यास के दस साल बाद लोकार्पण को तैयार शहीद अशफाकउल्ला खां प्राणी उद्यान अधिकांश वन्यजीव लखनऊ और कानपुर के चिड़ियाघर से लाए गए हैं।

Newstrack
Published on: 26 March 2021 2:45 PM IST
गोरखपुर: शिलान्यास के 10 साल बाद चिड़ियाघर में दिखेंगे शेर-भालू, जानिए खास बातें
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गोरखपुर: शिलान्यास के दस साल बाद चिड़ियाघर में दिखेंगे शेर-भालू, जानें खूबियां (PC: social media)

गोरखपुर: गोरखपुर के विकास की दृष्टि से 27 मार्च इतिहास बनने जा रहा है। जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 260 करोड़ की लागत से बने चिड़ियाघर को पूर्वांचल के लोगों को समर्पित करेंगे। चिड़ियाघर में शेर, शेरनी से लेकर मगरमच्छ तक पहुंच चुके हैं। जल्द ही इजराइल से जेब्रा भी मंगाए जाएंगे। अपनी तमाम खूबियों से यह देश-प्रदेश का नायाब चिड़ियाघर है।

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शिलान्यास के दस साल बाद लोकार्पण को तैयार शहीद अशफाकउल्ला खां प्राणी उद्यान अधिकांश वन्यजीव लखनऊ और कानपुर के चिड़ियाघर से लाए गए हैं। पर्यटकों के लिए चिड़ियाघर परिसर में दो कैफेटेरिया, बस सफारी, बुजुर्गों के लिए बैटरी चालित गोल्फ कर और जल्द ही पीपीपी मॉडल पर टॉय ट्रेन की सुविधा भी उपलब्ध होगी। चिड़ियाघर के इंट्रेंस प्लाजा को गोरखनाथ मंदिर की थीम पर और यहां के साइनेज, कैफेटेरिया, कियॉस्क, फाउंटेन, हॉस्पिटल को महात्मा बुद्ध के थीम पर विकसित किया गया। यही नहीं, चिड़ियाघर में लायन और राइनोसोरस एन्क्लोजर, पीकॉक एवियरी, सरपेंटेरियम, बटरफ्लाई पार्क, 7 डी थिएटर, गोल्फ कार आदि चिड़िया घर की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं।

gorakhpur gorakhpur (PC: social media)

विशाल वेटलैंड वाला पहला चिड़ियाघर

चिड़ियाघर 34 एकड़ के विशाल वेटलैंड वाला पहला चिड़ियाघर है। इस वेटलैंड के संरक्षण पर ध्यान देने से यहां दो सालों से स्थानीय पक्षियों के साथ बहुतायत में प्रवासी पक्षी विचरण करने आ रहे हैं। इसके अलावा तमाम खूबियां इसे नायाब बना रही हैं। इंडोर बटरफ्लाई पार्क, सरपेंटेरियम (सांप घर) और वाक थ्रू एवियरी सहित कई नायाब खूबियां हैं। सीएम योगी के निर्देश पर चिड़ियाघर में 48 सीटर 7-डी थियेटर भी बनाया गया है। यह सरकारी क्षेत्र का पहला 7-डी थियेटर है। इस अत्याधुनिक थियेटर में शो के दौरान बारिश, बिजली, बुलबुले, धुआं और कोहरा आदि के साथ सुगंध का भी अहसास होगा। इसके निर्माण पर सवा दो करोड़ रुपए की लागत आई है। इसमें शो के दौरान 13 तरह के स्पेशल इफेक्ट देखे और महसूस किए जा सकेंगे।

चिड़ियाघर में ओडीओपी प्रोडक्ट को भी प्लेटफार्म

गोरखपुर के चिड़ियाघर में ओडीओपी प्रोडक्ट को भी प्लेटफार्म दिया गया है। इससे पर्यटकों को यहीं ओडीओपी उत्पाद देखने और खरीदने की सुविधा भी मिलेगी। यहां के ओडीओपी शोकेस से टेराकोटा जैसे विश्व प्रसिद्ध पारम्परिक उत्पाद की ब्रांडिंग भी और मजबूत होगी।

153 वन्यजीवों से आबाद हुए चिड़ियाघर के बाड़े

चिड़ियाघर में वन्यजीवों के लाने का सिलसिला कुसम्ही जंगल स्थित विनोद वन से शुरू हुआ। वर्तमान में यहां 153 वन्यजीवों से बाड़े आबाद हैं। इटावा लायन सफारी से यहां गुजरात के बब्बर शेरों की फरवरी में आमद हुई। चीता, तेंदुआ, दरियाई घोड़ा, हिरण, बारासिंघा, चीतल, सियार, अजगर, रसल वाइपर, बोनट मकाक (बंदर की एक प्रजाति), सांभर, लोमड़ी (फाक्स), काकड़ (बार्किंग डियर), पाढ़ा (हॉग डियर), घड़ियाल, जंगली बिल्ली, कछुआ, साही, तोता, मोर आदि यहां लाए जा चुके हैं।

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दस साल पहले हुए था शिलान्यास

चिड़ियाघर का शिलान्यास 18 मई 2011 को तत्कालीन बसपा सरकार में हुआ था। वर्ष 2012 में सपा की सरकार बनी और 2016 तक चिड़ियाघर का प्रोजेक्ट पूरी तरह उपेक्षित रहा। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से ले आउट अनुमोदित कराने, निर्माण कार्य शुरू कराने से लेकर पूर्ण करने और बाड़ों को वन्यजीवों से आबाद करने का कार्य सीएम योगी ने किया। महापौर सीताराम जायसवाल कहते हैं कि योगी सरकार ने अगस्त 2018 में 181.83 करोड़ रुपए का अनुमोदन कराकर निर्माण का शुभारंभ कराया। इसमें तेजी लाने को जनवरी 2019 में व्यय वित्त समिति से अनुमोदन बढ़ाकर 259.15 करोड़ (जीएसटी समेत) किया।

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गोरखपुर चिड़ियाघर के मास्टर ले आउट को सीजेडए में फाइनल कराने का काम भी सीएम योगी के निर्देश पर अक्टूबर 2017 में किया गया। वहीं हियुवा नेता और उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक चिड़ियाघर कागजी प्रोजेक्ट तक ही सीमित था, काम के नाम पर शून्यता और उपलब्धियों के नाम पर सात प्रोजेक्ट मैनजरों का कार्यकाल था। वर्ष 2011 से यहां कार्य की प्रगति के नाम पर निर्माण कार्य कराने वाली संस्था राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजरों का ट्रांसफर ही होता रहा। जनवरी 2018 तक सात प्रोजेक्ट मैनेजर बदले गए।

गोरखपुर चिड़ियाघर : एक नज़र में

कुल क्षेत्रफल - 121.342 एकड़

लागत - करीब 260 करोड़ रुपये

कुल बाड़े - 33

रखे जाने वाले वन्यजीवों की कुल संख्या - 387

अब तक लाए गए वन्यजीव - 31 प्रजातियों के 153

रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव

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