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Gorakhpur news: स्मार्ट फूड्स को नियमित आहार में शामिल करने की आवश्यकता : डॉ. शाही

Gorakhpur news: विशेषज्ञों ने बताया सहजन में दूध से 17 गुना ज्यादा कैल्सियम होता है।

Purnima Srivastava
Published on: 20 Feb 2023 4:29 PM GMT
Gorakhpur news: स्मार्ट फूड्स को नियमित आहार में शामिल करने की आवश्यकता : डॉ. शाही
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Gorakhpur news: शरीर के प्रत्येक अंग को स्वस्थ्य रखने के लिए हर तरह के पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन जरूरी होता है। सुरक्षित, किफायती और समाज के हर एक तबके की पहुंच में आये, ऐसे स्मार्ट फूड को नियमित आहार में शामिल करने की आवश्यकता है। स्मार्ट या सुपर फूड्स को पोषक तत्वों का पावरहाउस माना जाता है।

यह बातें सैम हिगिनबाटम कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, प्रयागराज में जेनेटिक्स एवं प्लांट ब्राडिंग विभागाध्यक्ष डॉ. वैदुर्य प्रताप शाही ने कहीं। डॉ. शाही महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के तहत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस (आयुर्वेद कॉलेज) में चल रहे बीएएमएस के नवप्रवेशी विद्यार्थियों के 15 दिवसीय दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) के छठवें दिन (सोमवार) के प्रथम के व्याख्यान को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। 'औषधीय पौधों की पहचान: संस्कृत ग्रन्थों से न्यूक्लियोटाइड्स तक की यात्रा' विषय पर व्याख्यान देते हुए डॉ. शाही ने कहा कि स्मार्ट फूड से हमें विटामिन, मिनरल एवं अन्य पोषक तत्वों के साथ ही एन्टीआक्सिडेन्ट और फ्लवेंनाइड जैसे अतिरिक्त पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। ये प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारियों से रक्षा करते हैं।

सुपर या स्मार्ट फूड है सहजन

उन्होंने कहा कि ऐसे ही एक बहु उपयोगी सुपर फूड मोरिंगा ओलिफेरा है जिसे हिन्दी में सहजन, मुनगा कहते हैं। यह अनेकानेक पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें पालक से 25 गुना ज्यादा आयरन तत्व, केला से 15 गुना ज्यादा पोटैशियम तत्व, अण्डे से 1.5 गुना ज्यादा ऐमिनोएसिड, दूध से 17 गुना ज्यादा कैल्सियम होता है। इसकी 13 प्रजाति है जिसमें से 2 प्रजाति भारत में पायी जाती है। यह हमारे सस्कृत ग्रंथो में वर्णित है। यह कफ पित्त दोष को शान्त करने के साथ भूख को बढ़ाने, प्लीहा रोग नाशक, नेत्र विकार में अत्यन्त हितकारी है। इसका उपयोग जल को स्वच्छ करने और हाथ की सफाई के लिए भी किया जाता है।

जर्मनी, अफ्रीका, यूरोप आदि देशों में इसकी गुणवत्ता को जानकर इसका बहुतायत से प्रयोग हो रहा है। इसके लिए आयुर्वेद के विद्यार्थियों को आगे आना होगा। विद्यार्थी अपने संहिताओ में वर्णिक औषधि पौधों का अध्ययन करें। साथ में अपने आस-पास के लोगों को इनके गुणों के बारे में जानकारी दें। किसानों को इस तरह के सुपर फूड की खेती करने के लिये प्रेरित करना चाहिए जिससे कि उनकी आय भी बढ़े और उन पदार्थो की आपूर्ति हो। हमारे प्राचीन ऋषियों द्वारा रचित गजायुर्वेद, वृक्षायुर्वेद, अश्वायुर्वेद में अनेक महत्वपूर्ण औषधीय पौधों का वर्णन मिलता है। जर्मनी आदि यूरोपीय देश हमारे साहित्य का अध्ययन कर उसमें वर्णित तथ्यों को अपना रहे हैं।

जो आयु का ज्ञान कराए वह आयुर्वेद : डॉ. परमेश्वरप्पा

दीक्षा पाठ्यचर्या के दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता परमेश्वरप्पा शिवप्पा, एसोसिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष विकृति विज्ञान, इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहा कि जो आयु का ज्ञान कराए वो आयुर्वेद है। उन्होंने कहा कि बीमारी को ध्यान में रखकर भोजन करना चाहिए, ऋतु के अनुसार भोजन करना चाहिए। आहार-विहार का ध्यान रखना चाहिए। इनके अनियमितता से रोग होते हैं। वैद्य को किसी अन्य विधा से अपने को तुलना नहीं करना चाहिए।

अपनी विशेषज्ञता अपने आयुर्वेद की जानकारी में बढ़ाना चाहिए। आयुर्वेद का जानकार वैद्य भी अल्ट्रासाउंड, एक्स रे आदि चेकअप यदि कराना आवश्यक है तो लिख सकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद क्षेत्र में शोध आवश्यक है। आप सभी विद्यार्थियों को अभी से अपना लक्ष्य बनाना चाहिए कि आपको आयुर्वेद के किस क्षेत्र का विशेषज्ञ बनना है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में रस औषधियों के प्रयोग से शीघ्र परिणाम में मिलता है जो एलोपेथ चिकित्सा से अच्छा है। कोविड के समय आयुर्वेद के प्रति लोगो का रुझान बढ़ा है।

बेसिक लाइफ सपोर्ट का ज्ञान अधिकाधिक लोगों को हो : डॉ. सुरेखा किशोर

सोमवार को एक अन्य सत्र में डॉ. सुरेखा किशोर, कार्यकारी निदेशक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान गोरखपुर ने बेसिक लाइफ सपोर्ट एण्ड फर्स्ट एड विषय पर वर्चुअल व्याख्यान देते हुए कहा कि अगर कोई हादसे में घायल हो जाये या चलते-चलते सड़क पर बेहोश होकर गिर जाये तो किसी भी व्यक्ति का प्रथम कर्तव्य उसकी सहायता होना चाहिए। इसके लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट का ज्ञान होना जरूरी है जो लोगों को अस्पताल पंहुचने से पहले या उस स्थिति में दी जाती है, जहाँ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होती है। ऐसे में उसकी नब्ज देखें, गर्दन की नाड़ी, नाक पर हाथ लगाकर देखें की उसकी सांसे चल रही हैं।

इसके बाद उसकी छाती खत्म होने व पेट शुरू होने वाली जगह पर अपने एक हाथ की हथेली पर दूसरे हाथ को रखकर उसे प्रेस करें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें इसके बाद उसे अस्पताल पहुँचाने की व्यवस्था करें। इस तरीके से हम बहुत से व्यक्तियों के जीवन की रक्षा कर सकतें है। डॉ. किशोर ने कहा कि बुनियादी चिकित्सा सहायता का ज्ञान ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य, डॉ. मंजूनाथ एनएस सहित कालेज के सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During her career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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