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Gorakhpur: बच्चियों से रेप में मुकदमें दर्ज हो रहे पर नहीं मिल रही सजा, गोरखपुर मंडल में दर्ज 117 केस में चौंकाने वाला खुलासा

Gorakhpur News: पांच महीने में बच्चियों से अपराध में नामजद हुए 65 प्रतिशत आरोपी सबूतों और गवाहों के अभाव में छूट गए। पुलिस सिर्फ 35 प्रतिशत अभियुक्तों को ही सजा दिला पाई है।

Purnima Srivastava
Published on: 18 Jun 2024 2:01 AM GMT
POCSO Act
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POCSO Act   (फोटो: सोशल मीडिया )

Gorakhpur News: नाबालिग बच्चों/ बच्चियों के साथ बढ़ते अपराध के मामलों को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2012 कानून को सख्त किया था। इसी सख्ती का नतीजा था कि नाबालिग से जुड़े अपराध के लिए पाक्सो एक्ट के कानून ने जन्म लिया। बच्चियों से अपराध के मामलों में सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाई गईं। पुलिस ने पाक्सो एक्ट में खूब मुकदमें भी दर्ज किये लेकिन अभियुक्तों को सजा दिलाने की दर काफी कम है। कोर्ट में मुकर गए गवाह गोरखपुर मंडल में चार जिलों गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज में बीते पांच महीने में पाक्सो एक्ट से जुड़े 117 केस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया जिसमें महज 48 केस के आरोपित ही दोषी पाए गए जबकि 69 केस से जुड़े आरोपितों को सबूतों और गवाहों के अभाव में कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया।

पांच महीने में बच्चियों से अपराध में नामजद हुए 65 प्रतिशत आरोपी सबूतों और गवाहों के अभाव में छूट गए। पुलिस सिर्फ 35 प्रतिशत अभियुक्तों को ही सजा दिला पाई है। ये तथ्य गम्भीर लापरवाही की तरफ इशारा कर रही है। पुलिस की दलील है कि बच्चियों या बच्चों से अपराध के मामलों में आरोपितों को दोषी मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। लेकिन सजा सबूत-गवाह के आधार पर होता है। कई गवाह कोर्ट में जाकर अपने बयान से मुकर गए। जिससे सजा की संख्या में कमी दिख रही है। बच्चियों से अपराध के मामले में सबसे फिसड्डी गोरखपुर दिख रहा है। जहां दर्ज 38 केस में से पुलिस सिर्फ 15 में ही आरोपितों को सजा दिला सकी। देवरिया में 5 केस में फैसला हुआ सभी में आरोपित को सजा मिली। कुशीनगर में 29 केस में हुए फैसले में से 21 केस में आरोपित बरी हो गए। महराजगंज में 45 केस में फैसला हुआ। सिर्फ 20 को सजा हुई, 25 में आरोपित बरी हो गए।

पुलिस विवेचना में कर रही लापरवाही

वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश पांडेय बताते हैं कि 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. पॉक्सो कानून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी मौजूदगी में करने का प्रावधान है। आरोपित छूटने की वजह यह है कि पुलिस विवेचना को लेकर लापरवाह है। 354 और 363,366 जैसी धारा के साथ जुड़े पाक्सो एक्ट में ज्यादातर केस में गवाह भी आगे चलकर होस्टाइल हो जा रहा है। 376 की धारा में भी आरोपित छूट रहे हैं, हालांकि इसकी संख्या कम है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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