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सर्वे: गोरखपुर में मिले टीबी के 166 नए मरीज, पब्लिक हेल्थ एक्शन में कराएं पंजीकरण, मिलेंगी ये सुविधाएं

Gorakhpur News : निजी क्षेत्र का कोई भी टीबी मरीज या चिकित्सक नोटिफिकेशन के संबंध में हेल्पलाइन नंबर 8299807923 पर सम्पर्क कर सकता है।

Purnima Srivastava
Published on: 5 Jan 2024 9:21 PM IST
Gorakhpur News
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अभियान के दौरान की फाइल फोटो (Social Media)

Gorakhpur News: निजी अस्पतालों, लैब और केमिस्ट के जरिये 166 नये टीबी मरीजों का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण किया गया है। इससे इन मरीजों को उपचार के दौरान ‘पब्लिक हेल्थ एक्शन’ का सीधा लाभ मिल सकेगा। पिछले वर्ष सात से 14 दिसम्बर तक चले अभियान के दौरान निजी अस्पतालों के जरिये 134, लैब के जरिये 16 और केमिस्ट के माध्यम से 16 नये टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन हो सका।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.गणेश यादव ने बताया कि, 'देश से वर्ष 2025 तक टीबी का उन्मूलन करने में गोरखपुर जिला भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दुबे के दिशा निर्देशन में सक्रिय योगदान दे रहा है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों को खोज कर निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत किया जाए और उन्हें पब्लिक हेल्थ एक्शन की सेवाओं से जोड़ा जाए। निजी क्षेत्र की अहम भूमिका को देखते हुए यह प्रावधान है कि अगर कोई निजी चिकित्सक किसी नये टीबी मरीज को नोटिफाई करता है तो उसे 500 रुपये उसके खाते में दिये जाते हैं। निजी चिकित्सक मरीज को नोटिफाई करने के बाद अपनी निगरानी में इलाज जारी रख सकते हैं और उसे सरकारी अस्पताल में भेजने के लिए बाध्य नहीं है। अगर ऐसे मरीज का इलाज पूरा हो जाता है तो चिकित्सक को 500 रुपये अतिरिक्त देने का प्रावधान किया गया है।'

पब्लिक हेल्थ एक्शन में मिलती हैं ये सुविधाएं

डॉ यादव ने बताया कि मरीज को नोटिफाई करने के बाद चिकित्सक अपना परामर्श शुल्क लेकर उसका इलाज जारी रख सकते हैं। ऐसे मरीजों को भी चिकित्सक की सहमति से सरकारी अस्पताल से दवाएं और महंगी जांचें सरकारी प्रावधानों के अनुसार उपलब्ध कराई जाती हैं। पब्लिक हेल्थ एक्शन के तहत निजी क्षेत्र के मरीजों को भी निक्षय पोषण योजना से जोड़ा जाता है और मरीज के बैंक खाते में प्रति माह 500 रुपये पोषक तत्वों से युक्त खानपान के लिए देने का प्रावधान है। इन मरीजों के निकट सम्पर्कियों की कांटैक्ट ट्रेसिंग कराई जाती है और मरीज के जिन निकट सम्पर्कियों में टीबी की बीमारी नहीं मिलती है उन्हें भी छह माह तक बचाव की दवा खिलाई जाती है। इन मरीजों को भी एचआईवी और मधुमेह जांच की सुविधा दी जाती है । निक्षय मित्रों के जरिये जरूरतमंद टीबी मरीजों को गोद दिलवा कर पोषण और मानसिक संबल के जरिये मदद की जाती है। अगर चिकित्सक अपनी सहमति से मरीज को सम्पूर्ण इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में रेफर कर देते हैं तो मरीज को सम्पूर्ण इलाज की सुविधा सरकारी क्षेत्र में दी जा सकती है ।

हेल्पलाइन नंबर 8299807923 पर करें सम्पर्क

ड्रिस्ट्रिक्ट पब्लिक प्राइवेट मिक्स (पीपीएम) समन्वयक अभय नारायण मिश्र ने बताया कि दिसम्बर में चले अभियान के दौरान 272 निजी चिकित्सकों, 21 लैब्स और 117 कैमिस्ट के यहां विजिट किया गया और नये मरीजों को नोटिफाई कराया गया। इससे पहले वर्ष 2021 में भी दो जनवरी से बारह जनवरी तक इसी प्रकार का अभियान चलाया गया था जिसमें निजी क्षेत्र के 427 प्रतिष्ठानों का विजिट किया गया। उस अभियान में 290 टीबी मरीजों को नोटिफाई कर पब्लिक हेल्थ एक्शन का लाभ दिया गया । इस कार्य में जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह और पीपीएम समन्वयक मिर्जा आफताब बेग का अहम योगदान रहा है। निजी क्षेत्र का कोई भी टीबी मरीज या चिकित्सक नोटिफिकेशन के संबंध में हेल्पलाइन नंबर 8299807923 पर सम्पर्क कर सकता है।

चिन्हित मरीजों को 500 रुपये की मदद

पाली ब्लॉक की 60 वर्षीय टीबी मरीज भानुमति (काल्पनिक नाम) ने बताया कि उन्हें करीब एक महीने के खांसी आ रही थी। उन्होंने अपने चिकित्सक को दिखाया तो उन्हें श्वसन रोग विशेषज्ञ के पास भेजा गया। वहां पता चला कि टीबी है। निजी अस्पताल से ही उनकी दवा शुरू की गयी है। पंद्रह दिन दवा खाने के बाद ही आराम मिल गया है। टीबी मरीज के बेटे श्रीराम ने बताया कि टीबी डिपार्टमेंट के लोगों ने फोन किया था और बताया कि उनकी मां का अभियान के दौरान 14 दिसम्बर को निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण किया गया है। उनसे बैंक डिटेल और आधार कार्ड मांगा गया और बताया गया है कि उन्हें प्रति माह 500 रुपये मिलेंगे। विभाग ने भरोसा दिया है कि अगर इलाज के दौरान कोई अन्य दिक्कत हो तो कभी भी सम्पर्क कर सकते हैं। साथ ही यह भी बताया गया कि उनके घर कांटैक्ट ट्रेसिंग की टीम जाएगी तो पूरे परिवार की जांच में सहयोग प्रदान करें और सभी लोग टीबी से बचाव की दवा अवश्य खाएं।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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