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Gorakhpur News: जान जोखिम में लेकर स्कूल पहुंच रहे 25 हजार बच्चे, हर महीने होती है 17 Cr. की कमाई
Gorakhpur News: स्कूल प्रबंधक एक बच्चे से 1500 से लेकर 2500 रुपये प्रति माह वसूलते हैं। इस तरह से देखें तो स्कूल प्रबंधन की जेब में हर महीने बच्चों की सुरक्षा को दरकिनार करने के बाद भी 17 करोड़ से अधिक की रकम पहुंच रही है।
दुर्घटनाग्रस्त स्कूल बस फाइल फोटो (Pic: Social Media)
Gorakhpur News: स्कूल बसों की दुघर्टना आम हो गई हैं। तमाम हादसों में बच्चों की मौत हो चुकी है तो दुघर्टना की खबरें रोज आ रही हैं। जुलाई का महीना गुजरने को है, लेकिन गोरखपुर में अभी भी 389 स्कूली बसें अनफिट हैं। एक बस में 50 से 70 बच्चे सफर करते हैं। ऐसे में साफ है कि रोज 25 हजार से अधिक बच्चे स्कूल जाते हैं। दिलचस्प यह है कि ये आरटीओ में पंजीकृत बसों का आकड़ा है। कस्बाई इलाकों में तमाम बसें, मिनी बस और ऑटो ऐसे संचालित हो रहे हैं, जो 15 साल की उम्र पूरी कर कबाड़ हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 2246 स्कूल वाहन पंजीकृत हैं। मार्च में नया वित्तीय वर्ष शुरू हुआ तो विभाग ने यह कहते हुए अभियान चलाने का दावा किया कि 529 स्कूल वाहन अनफिट है। इसके खिलाफ आरटीओ की ओर से स्कूल प्रबंधकों को नोटिस दिया गया है। कई अनफिट स्कूल बसों का परमिट भी निरस्त किया गया है। इस सख्ती के बाद भी जिले में 389 स्कूली बसें अनफिट हैं। इस कार्रवाई के बावजूद भी कुछ स्कूलों के प्रबंधक वाहनों का फिटनेस कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इन वाहनों की खराब स्थिति के कारण रास्ते में कहीं भी ब्रेक फेल, टायर फटने या इंजन में खराबी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। यह अनफिट वाहन नौनिहालों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं।
बता दें कि पिछले साल सिकरीगंज के यूएस एकेडमी की बस दुघर्टना ग्रस्त हो गई थी। जिसमें दो बच्चों की मौत हो गई थी। 15 से अधिक बच्चे घायल हुए थे। एआरटीओ अरुण कुमार रस्मी जवाब देते हैं। उनका कहना है कि जिले में अभी 389 स्कूल वाहन अनफिट होने के बावजूद भी नौनिहालों को बैठाकर धड़ल्ले से फर्राटा भर रहे हैं। अनफिट वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के साथ स्कूल संचालकों को भी अपने वाहनों की फिटनेस और रजिस्ट्रेशन का ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसका नतीजा है कि अब अधिक से अधिक स्कूल संचालक अपने वाहनों का फिटनेस टेस्ट कराने के बाद उन्हें सड़क पर उतार रहे हैं। अनफिट वाहनों की संख्या में कमी आई है। बच्चों की यात्रा सुरक्षित और अधिक व्यवस्थित होगी।
1500 से लेकर 2500 रुपये तक वसूलते हैं
स्कूल प्रबंधक एक बच्चे से 1500 से लेकर 2500 रुपये प्रति माह वसूलते हैं। इस तरह से देखें तो स्कूल प्रबंधन की जेब में हर महीने बच्चों की सुरक्षा को दरकिनार करने के बाद भी 17 करोड़ से अधिक की रकम पहुंच रही है। कई स्कूलों में इतनी बसें हैं, जितनी कई डिपो में नहीं हैं। गोरखपुर में जंगल धूषण में एक प्राइवेट स्कूल में तो 40 से अधिक बसें हैं। वहीं 15 से अधिक छोटे वाहन हैं। अभिभावक दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि कुछ स्कूल वाहन चालक अधिक पैसे कमाने के लिए तेज रफ्तार से चलाते हैं और कई स्कूलों का चक्कर लगाते हैं। इससे बच्चों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
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