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Gorakhpur News: सीएम सिटी गोरखपुर में सात साल में लगे 2.75 करोड़ पौधे, वन क्षेत्र घट गया 4.51 वर्ग मीटर, है न आश्चर्य

Gorakhpur News: 2023 में 79.00 वर्ग किलोमीटर से घटकर 74.49 वर्ग किलोमीटर हो गया। विभाग एक कारण यह भी मान रहा है कि सात सालों के अंदर जो भी पौधे लगे वह देखरेख के अभाव में सूख गए। इसके अलावा जो बड़े और पुराने पेड़ तैयार हो चुके थे, उन्हें कई परियोजनाओं के चलते काटना पड़ा है।

Purnima Srivastava
Published on: 22 Dec 2024 9:22 AM IST
Gorakhpur News: सीएम सिटी गोरखपुर में सात साल में लगे 2.75 करोड़ पौधे, वन क्षेत्र घट गया 4.51 वर्ग मीटर, है न आश्चर्य
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 सीएम सिटी गोरखपुर में सात साल में लगे 2.75 करोड़ पौधे, वन क्षेत्र घट गया 4.51 वर्ग मीटर, है न आश्चर्य (newstrack)

Gorakhpur News: प्रदेश का वन क्षेत्र बढ़ने में यूपी भले ही देश में नंबर दो पर हो लेकिन मुख्यमंत्री का गृह जिले गोरखपुर में वन क्षेत्र 4 साल में 4.51 किलोमीटर कम हो गया है। वह भी तब जब सात साल में 27 विभागों ने अभियान चलाकर 2.75 करोड़ से अधिक पौधों को लगाया है।

पौने तीन करोड़ रिकॉर्ड पौधरोपण का दावा करना वाले वन विभाग के कहानी की कलई आईएसएफआर ( फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया) में खुल गई है। आंकड़े तस्दीक कर रहे हैं कि गोरखपुर में वन आवरण चार सालों में बढ़ने के बजाए 4.51 वर्ग किलोमीटर कम हो गया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में वन आवरण क्षेत्रफल 76 वर्ग किलोमीटर था, जो 2019 में बढ़कर 79 वर्ग किलोमीटर पहुंच गया था। इन सबके बीच 2021 में महज 0.06 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसके बाद वन विभाग ने यह उम्मीद पाल रखी थी कि 2023 के सर्वे रिपोर्ट में वन आवरण बढ़ेगा, लेकिन इससे उलट हुआ।

खुले जंगल के क्षेत्रफल जिले में 2021 में 28 वर्ग किलोमीटर थे, जो 2023 में घटकर 24.91 वर्ग किलोमीटर रह गए हैं। जबकि, मध्यम घनत्व वाले जंगल 23 वर्ग किलोमीटर में थे, जो घटकर 21.60 वर्ग किलोमीटर हो गए हैं। अधिक घनत्व वाले जंगलों की बात करें तो इसमें मामूली अंतर है। वन विभाग के मुबातिक अधिक घनत्व वाले जंगलों की पहचान सूरज की रोशनी से की जाती है। बताया जाता है कि अगर सूरज की रोशनी 30 फीसदी ही जंगल की जमीन पर आते हैं तो उसे अधिक घनत्व वाले जंगल की श्रेणी में रखा जाता है। मध्यम घनत्व वाले जंगलों में सूरज की रोशनी 40 से 45 फीसदी जमीन पर पड़ती है।

इसलिए घट गया वनक्षेत्र

2023 में 79.00 वर्ग किलोमीटर से घटकर 74.49 वर्ग किलोमीटर हो गया। विभाग एक कारण यह भी मान रहा है कि सात सालों के अंदर जो भी पौधे लगे वह देखरेख के अभाव में सूख गए। इसके अलावा जो बड़े और पुराने पेड़ तैयार हो चुके थे, उन्हें कई परियोजनाओं के चलते काटना पड़ा है। उसके बदले लगाए गए पौधे अभी तैयार नहीं हो सके हैं।

योजनाओं की भेंट चढ़ गए हजारों पेड़

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुबे की कमान मिलने के बाद 2017 से गोरखपुर में विकास की सैकड़ों योजनाएं चल रही हैं। फोरलेन के नाम पर एक लाख से अधिक पुराने पेड़ को काट दिया गया। पर्यावरण प्रेमी कहते हैं कि 80 से 100 साल पुराने सैकड़ों पेड़ काट दिए गए हैं। इन्हें बचाने की कोशिश होनी चाहिए थी।



Ragini Sinha

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