Gorakhpur News: जब आचार्य धर्मेन्द्र महाराज ने गोरक्षपीठ को बता दिया था, इनफेन्ट्री बटालियन का हेड क्वार्टर

Gorakhpur News: भगवान श्रीराम के मंदिर के पुनर्निमाण के लिए 16 वीं से 20 वीं सदी तक 79 युद्ध हो चुके थे। सदियों के इस संघर्ष को आधुनिक काल में जन-जन का आंदोलन बना देने का श्रेय गोरक्षपीठ को जाता है।

Purnima Srivastava
Published on: 7 Jan 2024 3:26 AM GMT
Gorakhpur News
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ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और महंत दिग्विजयनाथ जी महराज (Newstrack)

Gorakhpur News: आचार्य धर्मेन्द्र महाराज ने एक बार कहा था- महंत दिग्वियजनाथ ने गोरक्षपीठ को इनफेन्ट्री बटालियन का हेड क्वार्टर बना दिया और खुद उसके कमाण्डर इन चीफ बने। रामजन्म भूमि के मुक्ति संघर्ष में उनकी भूमिका वही है जो किसी मोबाइल सेट में उसके सिमकार्ड की होती है। असल में गोरक्षपीठ आजादी के बाद राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा हुआ है। सीएम योगी के दादा गुरु महंत दिग्विजयनाथ ने राम मंदिर को लेकर जो अलख जलाई थी, उसे खुद गोरक्षपीठाधीश्वर मुकाम पर पहुंचा रहे हैं।

भगवान श्रीराम के मंदिर के पुनर्निमाण के लिए 16 वीं से 20 वीं सदी तक 79 युद्ध हो चुके थे। सदियों के इस संघर्ष को आधुनिक काल में जन-जन का आंदोलन बना देने का श्रेय गोरक्षपीठ को जाता है। महंत गोपालनाथ के बाद उनके शिष्य योगिराज बाबा गम्भीरनाथ और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत ब्रह्मनाथ ने भी रामजन्मभूमि मुक्ति के लिए प्रयास जारी रखा। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया। और गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री की दोहरी भूमिका के बीच योगी आदित्यनाथ भव्य दिव्य मंदिर के अहम कर्ताधर्ता बने हुए हैं। अयोध्या में श्रीरामजन्भूमि पर बन रहे भव्य राममंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद तैयारियों पर नजर रखे हुए हैं।


महंत दिग्विजयनाथ की अहम भूमिका

16वीं सदी से चले आ रहे श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति संग्राम को निर्णायक मोड़ देने में रही महंत दिग्विजयनाथ की भूमिका अहम थी। उन्होंने ही मंदिर आंदोलन की नींव रखी और जन-जन को मंदिर आंदोलन से जोड़ा। गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ हर मोर्चे पर अगुवाई करते नज़र आए। महंत दिग्विजयनाथ 1967 में गोरखपुर से सांसद बने। 1969 में समाधि लेने तक वह लगातार रामजन्म भूमि आंदोलन में सक्रिय रहे। राममंदिर आंदोलन से जुड़े तथ्य तस्दीक करते हैं कि 23 दिसम्बर 1949 को भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापना और जन्मभूमि पर रामलला का प्राकट्य के विवाद के बीच अयोध्या थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई थी।

संत समाज मानता है कि उस रात जन्मभूमि पर रामलला का प्राकट्य हुआ था। रामलला प्राक्ट्य की सूचना के बाद देश भर से भक्तों के जत्थे श्रीराम का जयकारा लगाते हुए दिन-रात जन्मभूमि पर पहुंचने लगे। इसी दौरान पुलिस ने बलपूर्वक विवादित ढांचे का दरवाजा बंद कर ताला लगा दिया। पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ अयोध्या में अनशन शुरू हो गया। फैजाबाद के उस समय के डीएम केके नायर ने जन्मभूमि को विवादित स्थल घोषित कर दिया। आईपीसी की धारा-145 के तहत प्रशासन ने इस पूरे क्षेत्र को अपने अधिकार में ले लिया। तब महंत दिग्विजयनाथ ने रामलला की मूर्ति की नियमित पूजा-अर्चना की मांग की और डीएम ने इसकी व्यवस्था कराई।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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