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Gorakhpur News: झांसी कांड के बाद सपा प्रमुख को क्यों याद आया गोरखपुर! क्या है इस कांड का सीएम सिटी से कनेक्शन

Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2017 में प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से 63 बच्चों की तड़प-तड़प कर मौत हो गई थी।

Purnima Srivastava
Published on: 16 Nov 2024 9:57 AM IST
Gorakhpur News: झांसी कांड के बाद सपा प्रमुख को क्यों याद आया गोरखपुर! क्या है इस कांड का सीएम सिटी से कनेक्शन
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गोरखपुर में वर्ष 2017 में हुए ऑक्सीजन कांड के बाद मृतक बच्चे को लेकर बिलखती मां (फाइल फोटो  ) 

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के झांसी में शुक्रवार (15 नवंबर) को मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भीषण आग लग गई, जिसमें 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इस कांड के बाद सियासत भी गरम हो गई है। इस कांड के बहाने सपा प्रमुख ने वर्ष 2017 के ऑक्सीजन कांड को याद किया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सीधा हमला किया है। सपा प्रमुख ने लिखा है कि गोरखपुर न दोहराया जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर झांसी और गोरखपुर का कनेक्शन क्या है। जिसे लेकर सपा प्रमुख हमलावर है।

दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2017 में प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से 63 बच्चों की तड़प-तड़प कर मौत हो गई थी। जिसके बाद गोरखपुर पहुंचे डिप्टी सीएम ने कहा था कि अगस्त में मौते होती रहती हैं। मामले में बाल रोग विभाग के डॉ.कफील खान को निशाना बनाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई हुई। कफील के खिलाफ कार्रवाई में कोर्ट से राहत भी मिली। कफील पूरे प्रकरण को लेकर किताब भी लिख चुके हैं। जिसमें उन्होंने 2017 की मनहूस रात के बारे में विस्तार से लिखा है।

63 बच्चे और 18 वयस्कों ने गंवा दी थी अपनी जान

10 अगस्त 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरकारी बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई। अगले कुछ दिनों में, अस्सी से अधिक मरीजों जिनमें 63 बच्चे और 18 वयस्कों ने अपनी जान गंवा दी। बच्चों की मौत में लापरवाही पाए जाने पर पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला, डॉ. कफील खान, एनेस्थीसिया के पूर्व हेड डॉ. सतीश कुमार, लेखा विभाग के सुधीर पांडेय और संजय त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया था। मामले में सभी की गिरफ्तारी भी हुई थी। ये सभी आरोपी लंबे समय तक जेल में भी रहे। पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ली थी। डीएम ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई थी। शुरूआत में डॉ.कफील को मीडिया में हीरो बनाकर पेश किया गया, लेकिन कुछ ही दिनों बाद, उन्हें निलंबित कर दिया गया, और उनके साथ 9 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और चिकित्सीय लापरवाही जैसे अन्य गंभीर आरोपों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई। आनन फानन उन्हें जेल भेज दिया गया।

जांच रिपोर्ट में ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता को दोषी माना गया

मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने के मामले में जांच समिति ने प्रधानाचार्य समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अलावा ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता कंपनी को प्रथमदृष्टया जिम्मेदार ठहराया। इसी समिति की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। तत्कालीन डीएम राजीव रौतेला की ओर से गठित पांच सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता कंपनी मेसर्स पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित कर दी, जिसके लिए वह जिम्मेदार है।

सपा प्रमुख अखिलेश ने लिखा-गोरखपुर न दोहराया जाए

झाँसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की मृत्यु एवं कई बच्चों के घायल होने का समाचार बेहद दुखद एवं चिंताजनक है। सबके प्रति संवेदनात्मक श्रद्धांजलि। आग का कारण ‘ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर’ में आग लगना बताया जा रहा है। ये सीधे-सीधे चिकत्सीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर ख़राब क्वॉलिटी के आक्सीजन कॉन्संट्रेटर का। इस मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, ‘सब ठीक होने के झूठे दावे’ छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए। जिन्होंने अपने बच्चे गंवाएं हैं, वो परिवारवाले ही इसका दुख-दर्द समझ सकते हैं। ये सरकारी ही नहीं, नैतिक ज़िम्मेदारी भी है। आशा है चुनावी राजनीति करनेवाले पारिवारिक विपदा की इस घड़ी में इसकी सच्ची जाँच करवाएंगे और अपने तथाकथित स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय में ऊपर-से-नीचे तक आमूलचूल परिवर्तन करेंगे। रही बात उप्र के ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ की तो उनसे कुछ नहीं कहना है क्योंकि उन्हीं के कारण आज उप्र में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की इतनी बदहाली हुई है। संकीर्ण-साम्प्रदायिक राजनीति की निम्न स्तरीय टिप्पणियाँ करने में उलझे मंत्री जी को तो शायद ये भी याद नहीं होगा कि वो ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ हैं। न तो उनके पास कोई शक्ति है न ही इच्छा शक्ति, बस उनके नाम की तख़्ती है। सबसे पहले उप्र भाजपा सरकार समस्त झुलसे बच्चों के लिए विश्वस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराए व जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है, उन समस्त शोक संतप्त परिवारों को 1-1 करोड़ संवेदना राशि दे।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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