Gorakhpur News: यूपी में एक और जिला वजूद में आएगा! पूर्व मुख्यमंत्री के नाम पर हो सकता है नये जिले का नाम

Gorakhpur News: यह जिला महराजगंज और गोरखपुर के तीन तहसीलों को मिलाकर बन सकता है। पहले भी फरेंदा को जिला बनाने की मांग होती रही है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आरएन सिंह तो इसे लेकर लंबा अभियान चला चुके हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 14 Sep 2024 10:25 AM GMT
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Pic: Newstrack)

Gorakhpur News: यूपी में एक और जिला वजूद में आने वाला है। इसे लेकर चर्चाएं तेज है। यह जिला महराजगंज और गोरखपुर के तीन तहसीलों को मिलाकर बन सकता है। पहले भी फरेंदा को जिला बनाने की मांग होती रही है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आरएन सिंह तो इसे लेकर लंबा अभियान चला चुके हैं। इस जिले का नाम पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के नाम रखे जाने की अटकले हैं। अटकले हैं कि महराजगंज का नौतनवा, फरेंदा और गोरखपुर के कैम्पियरगंज तहसील को मिलाकर नये जिले का गठन संभावित है।

नये जिले को लेकर राजस्व विभाग का एक पत्र भी वायरल हो रहा है। जिसमें गोरखपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर जिला बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा है। वायरल पत्र जुलाई महीने में लिखा गया है। इस पर कई अधिकारियों की टिप्पणी भी है। वैसे महराजगंज जिले को तोड़कर फरेंदा को नया जिला बनाने की मांग काफी पुरानी है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आरएन सिंह इसे लेकर लंबे समय तक अभियान भी चला चुके है। इसकी मांग को लेकर वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिल चुके हैं।

नये जिले के सृजन को लेकर लोगों के तर्क भी मजबूत है। महराजगंज जिला मुख्यालय से भारत नेपाल सीमा का सोनौली बॉर्डर करीब 80 किलोमीटर है। ऐसे में प्रशासनिक कार्य में दिक्कत होती है। इसी तरह गोरखपुर का कैम्पियरगंज भी मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है। ऐसे में फरेंदा को जिला मुख्यालय बनाया जाता है तो नौतनवा और कैम्पियरगंज से इसकी दूरी काफी कम होगी। इससे प्रशासनिक कार्य होने में भी सहूलियत होगी।

फरेंदा जिला बनाओ मंच के तले हो चुका है आंदोलन

फरेंदा जिला बनाओ मंच के संयोजक डा. आरएन सिंह के नेतृत्व में कई बार मार्च निकालकर फरेंदा को जिला बनाने की मांग बुलंद हो चुकी है। संयोजक डा. आरएन ¨सिंह ने कहा कि नौतनवा, सोनौली एवं फरेंदा को मिलाकर जिला बनाया जाना क्षेत्रीय नागरिकों के हित में है। यह अत्यंत आवश्यक भी है। नौतनवा, सोनौली और फरेंदा से से जनपद मुख्यालय की दूरी अधिक है। इस कारण क्षेत्रीय लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

Durgesh Sharma

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