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Gorakhpur News: एक्सरे मशीन में फिट होगा एआई टूल, फेफड़े की 16 तरह की बीमारियां पर तत्काल मिलेगी रिपोर्ट

Gorakhpur News: गोरखपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर व देहरादून के ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सात्विक वत्स और उनके साथी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रांत शर्मा ने इस एआई टूल को विकसित किया है।

Purnima Srivastava
Published on: 30 Jun 2024 2:29 AM GMT
Gorakhpur News
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एआई एक्सरे की प्रतिकात्मक तस्वीर (Pic:Social Media)

Gorakhpur News: स्वास्थ्य के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्रांतिकारी साबित होने जा रहा है। अब डिजिटल एक्सरे मशीन में एआई टूल को कनेक्ट कर फेफड़े की 16 तरह की बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। ज्यादातर रिपोर्ट एआई मशीन से खुद जारी हो जाएगी। जहां मशीन को बीमारी समझ में नहीं आएगी वह चिकित्सक को इसे रेफर कर देगा। इस एआई टूल को विकसित किया है गोरखपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर व देहरादून के ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सात्विक वत्स और उनके साथी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रांत शर्मा ने।

असल में फेफड़ों की बीमारी में एक्सरे प्राथमिक जांच मानी जाती है। लेकिन अब एक्सरे जांच के जरिए फेफड़ों में होने वाली 16 पैटर्न से जुड़ी बीमारियों का पता फौरन लग जाएगा। 70 फीसदी तक सटीक रिपोर्ट मशीन खुद देगी। उससे कम सटीक होने पर मशीन खुद-ब-खुद रिपोर्ट को चिकित्सक से परामर्श की सलाह देगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल से, जो डिजिटल एक्स-रे मशीन में इंस्टॉल हो जाएगा। मशीन को लेकर शोध करने वाले डॉ. सात्विक बताते हैं कि एआई टूल को इस तरह विकसित किया गया है कि वह किसी भी बीमारी में फेफड़ों में हो रहे बदलाव के पैटर्न को पहचान सके। इस टूल की मदद से 16 प्रकार के पैटर्न को पहचानने में सफलता मिल गई है। यह पैटर्न अलग-अलग बीमारियों के होते हैं।

इन देशों के वैज्ञानिकों की टीम ने किया शोध

गोरखपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर व देहरादून के ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सात्विक वत्स और उनके साथी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रांत शर्मा ने इस एआई टूल को विकसित किया है। इस शोध में जेएनयू, नई दिल्ली के डॉ. करन सिंह और एम्स गोरखपुर के चिकित्सक भी शामिल रहे। इस टूल को विकसित करने के लिए भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया, इटली व स्पेन के डेढ़ लाख से अधिक मरीजों का ब्योरा जुटाया गया। रिसर्च में आंकड़ों को संदर्भित करने के लिए तीन रेडियोलॉजिस्टों को भी शामिल किया गया। चेस्ट फिजिशियन व मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट भी इसमें शामिल रहे।

इन बीमारियों का पता चलेगा सिंपल एक्सरे से

फेफड़ों के किसी हिस्से का दब जाना, हृदय का आकार बढ़ जाना, फेफड़ों के बाहर की झिल्ली के बीच पानी भर जाना, फेफड़ों में किसी संक्रमण का प्रवेश, गांठ और फेफड़ों की टीबी, फेफड़ों के बाहर की झिल्ली के बीच हवा भरना या झिल्ली का मोटा हो जाना, फेफड़ों के अंदर पानी भरना, फेफड़ों का सिकुड़ना या जाला बनना, डायफ्रॉम में हार्निया।


Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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