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Gorakhpur News: अंधा युग में शानदार अभिनय से कलाकारों ने मंच पर जीवंत किया महाभारत काल

Gorakhpur News: नाटक एक क्षण के लिये भी दर्शकों को बोझिल न लगे, इसका भरपूर जतन निर्देशक अखिलेश नारायण ने किया जिसके चलते उन्हें स्क्रिप्ट को संपादित भी करना पड़ा और इसमें वे पूरी तरह कामयाब रहे।

Purnima Srivastava
Published on: 3 Feb 2025 9:58 PM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News ( Photo - Social Media) 

Gorakhpur News: एकलव्य थियेटर देहरादून की ओर से सोमवार को भारतीय रंग महोत्सव के पहले दिन उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में धर्मवीर भारती के लिखे नाटक अंधा युग का मंचन दर्शको से खचाखच भरे हाल में किया गया। नाटक में कलाकारों ने अपनी शानदार अदाकारी से महाभारत काल को मंच पर जीवंत किया। नाटक के मंचन के दौरान दर्शकों ने कलाकारों का ताली बजाकर भरपूर साथ दिया। ‘अंधा युग’ नाटक शुरू होते ही दर्शकों को बांध लेता है और आखिरी तक बांधे रखता है। यह इस नाटक की सबसे बड़ी खूबी थी और यही उसकी सफलता। अंधा युग नाटक की जीवंतता उसकी कथावस्तु के साथ के साथ उसकी काव्यामयी भाषा में समाहित है और कलाकारों ने अपनी संवाद अदायगी में उस काव्यात्मकता को बखूबी निभाया।

नाटक की कथावस्तु महाभारत युद्ध के आखिरी दिन पर केन्द्रित है जहां युद्ध की निरर्थता के साथ-साथ प्रतिहिंसा अपने पूरे उभार में है। अश्वत्थामा इसी प्रति हिंसा में अपने क्ररतम रूप में आता है तो गांधारी कृष्ण को मृत्यु का अभिशाप दे देती है। न्याय-अन्याय, आस्था-अनास्था, सत्ता और लोभ का अंधापन ही अंधायुग है। धृतराष्ट्र दृष्टिहीन हैं तो उन्माद में दूसरे भी विवेक और दृष्टि खो बैठते हैं। ऐसे गंभीर नाटक की प्रस्तुति निर्देशक के साथ ही कलाकारों के लिये बड़ी चुनौती होती है। और बेहतर करने की संभावनाओं के साथ सभी कलाकारों ने अपने-अपने चरित्रों को बखूबी निभाया।

नाटक एक क्षण के लिये भी दर्शकों को बोझिल न लगे, इसका भरपूर जतन निर्देशक अखिलेश नारायण ने किया जिसके चलते उन्हें स्क्रिप्ट को संपादित भी करना पड़ा और इसमें वे पूरी तरह कामयाब रहे। पिछले 6 दशक में कई छोटे-बड़े निर्देशकों के साथ इस नाटक की हजारों प्रस्तुतियां हो चुकी हैं उनमें किसी तरह की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि हर निर्देशक की शैली और फलसफा अपना होता है। नाटक की भव्यता लाइट, सेट, कास्ट्यिूम, प्राप्स आदि सब में थी जिसे दर्शकों ने भरपूर महसूस किया।

लगभग अस्सी मिनट की प्रस्तुति में जागृति कोठरी,अखिलेश नारायण, जय सिंह, ऋतिक सिमल्टी, प्रियांशु बिष्ट, हेमलता पांडेय, कृष्णा नन्द, नितिन वर्मा, अधिराज पाल, हिमांशु अस, करण मंडोला, परमजीत, आकाश गुप्ता, सुप्रिया और विशाल ने अपनी जीवंत भूमिका निभाई। अखिलेश नारायण के निर्देशन में तुषार बिष्ट ने लाइट जबकि पुनीत ने रूपसज्जा और शिवम् थपलियाल ने संगीत से नाटक को रोचक बनाया।

अतिरिक्त संवाद अतुल सत्य कौशिक का रहा और प्रस्तुति नियंत्रक महेश नारायण रहे। इससे पहले भारत रंग महोत्सव का शुभारम्भ दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर पूनम टंडन, प्रदीप कुमार मोहंती, रजिस्ट्रार, एनएसडी, रवि शंकर खरे, पूर्व अध्यक्ष बी एन ए, विक्रम चौधरी सहित गणमान्य अतिथियों ने किया। अपने उद्बोधन में कुलपति प्रो.पूनम टंडन ने कहा कि आने वाले समय में गोरखपुर थिएटर सिटी के नाम से जाना जाएगा

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम गोरखपुर के रंगमंच के प्रति उत्साह व समर्पण को दिखाता है। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से कैसे रख सकते हैं यह रंगमंच हमें आसानी से सिखाता है । उन्होंने कहा कि जो बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं या विभिन्न कारणों से आत्महत्या गले लगाते हैं,अगर उनको थिएटर से जोड़ा जाए तो मानसिक रूप से मजबूत होंगे और आत्महत्या जैसा कृत नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि हमारे छात्र थिएटर की विधा में अधिक से अधिक संख्या में जुड़े और इसके लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय आपके साथ है। एनएसडी के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार मोहंती ने कहा कि भारंगम 25 साल से चल रहा है यह विश्व का सबसे बड़ा फेस्टिवल है।

नाट्य शास्त्र में ऐसीकोई कला नहीं है जो इसमें नहीं है। उन्होंने गोरखपुर के रंगकर्म और यहां की संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि हमें गोरखपुर में सबसे पहले कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए था। भारतेन्दु नाट्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रवि शंकर खरे ने कहा कि पहली बार भारंगम का हिस्सा गोरखपुर को बनाया गया है। यह हमारे गोरखपुर के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने इसके लिए एनएसडी तथा सभी कार्यक्रताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। श्री खरे ने कहा कि अगले साल भी भारंगम-भारत रंग महोत्सव का आयोजन गोरखपुर में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली द्वारा किया जायेगा।

समाजसेवी विक्रम चौधरी ने कहा कि गोरखपुर में यह एक महत्वपूर्ण शुरूआत है और गोरखपुर इसका हक़दार भी है। उन्होंने कहा कि यह अनवरत चलते रहना चाहिए। इससे पहले अतिथियों का स्वागत आयोजन के समन्वयक एवं अभियान थियेटर के निदेशक श्रीनारायण पांडेय ने करते हुए गोरखपुर के रंगकर्म की उपलब्धियों को साझा किया। अभ्यागतों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए एनएसडी के पी बैटरी भूपत ने गोरखपुर की जनता को धन्यवाद दिया और सात फरवरी तक चलने वाले भारत रंग महोत्सव में आने की अपील की।

4 फ़रवरी को होगा नाटक मायापुरी

मंगलवार 4 फ़रवरी को अतुल सरकार के निर्देशन में थिएलाइट कोलकाता पश्चिम बंगाल की ओर से नाटक मायापुरी की प्रस्तुति बाबा योगिराज गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह में शाम 6 बजे से किया जायेगा



Shalini singh

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