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Gorakhpur News:पांच सालों में 36 जिलों में औसत भूजल स्तर गिरावट में आई कमी, 22 जुलाई तक भूजल को लेकर जागरूक करेंगे 24 विभाग

Gorakhpur News: जनसंख्या वृद्धि, बढ़ते औद्योगिकीकरण और करीब 70 प्रतिशत सिंचाई के लिए भूजल संसाधन पर निर्भरता के चलते कई क्षेत्रों में भूजल के अति दोहन की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

Purnima Srivastava
Published on: 16 July 2024 9:01 PM IST (Updated on: 16 July 2024 9:02 PM IST)
Gorakhpur News
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Gorakhpur News: भूगर्भीय जल की महत्ता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश सरकार 16 से 22 जुलाई तक भूजल सप्ताह मना रही है। ‘जल संरक्षण का करो प्रयास-जल ही है जीवन की आस’ थीम पर चलने वाले इस अभियान में विभिन्न विभागों की सहभागिता से आम जन को भूगर्भ जल के अनियोजित दोहन से बचने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसके लिए जनपद से लेकर तहसील और ब्लॉक स्तर तक जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित होंगे।

जनसंख्या वृद्धि, बढ़ते औद्योगिकीकरण और करीब 70 प्रतिशत सिंचाई के लिए भूजल संसाधन पर निर्भरता के चलते कई क्षेत्रों में भूजल के अति दोहन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। वर्ष 2020 में प्रदेश के सुरक्षित विकास खंडों की संख्या 745 थी जो वर्ष 2023 के आकलन के अनुसार घटकर 599 हो चुकी है। साथ ही 2020 में प्रदेश के अति दोहित और क्रिटिकल विकास खंडों की संख्या मात्र 20 थी जो अब करीब पांच गुना बढ़कर वर्तमान आकलन में 95 हो गई है। भूजल संसाधन के नवीनतम आकलन 2023 के मुताबिक वर्तमान में प्रदेश के 53 विकास खंड अति दोहित, 42 विकास खंड क्रिटिकल और 172 विकास खंड सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में वर्गीकृत किए गए हैं।

दो दर्जन विभागों को जन जागरूकता बढ़ाने की दी गई जिम्मेदारी

भूजल का समेकित प्रबंधन योगी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। चूंकि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निजी दिलचस्पी का भी विषय है और उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बहुत पहले से गोरखनाथ मंदिर परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का सफल प्रयोग कर रखा है, इसलिए सीएम बनने के बाद उन्होंने भूगर्भ जल संरक्षण के लिए कई स्तर पर संजीदा प्रयास किए हैं। उनके निर्देश पर इसके लिए वाटर रिचार्जिंग के विभिन्न कार्यों जैसे अमृत सरोवरों का निर्माण, तालाबों का जीर्णोद्धार, रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना, सिंचाई में जल अपव्यय रोकने के लिए ड्रिप इरिगेशन एवं स्प्रिंकलर को प्रोत्साहन जैसे कार्य हो रहे हैं तो वहीं अविवेकपूर्ण भूजल दोहन को भी विनियमन की परिधि में लाया गया है।

इसके लिए अक्टूबर 2019 से उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन एवं विनियमन) अधिनियम को लागू किया गया है। भूजल प्रबंधन की दिशा में उठाए जा रहे इन प्रयासों से बीते पांच सालों में प्रदेश के 36 जिलों में औसत भूजल स्तर गिरावट में कमी आई है। भूगर्भ जल प्रबंधन की स्थिति और बेहतर हो सके, इसके लिए 22 जुलाई तक चलने वाले भूजल सप्ताह में सिंचाई विभाग, वन विभाग, जल निगम, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग समेत करीब दो दर्जन विभागों को जन जागरूकता बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है।



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Shalini singh

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