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Gorakhpur News: सरकारी अस्पतालों के आयुष्मान मित्रों को दो साल से वेतन नहीं, अब इसलिए शुरू हुई बर्खास्तगी...

Gorakhpur News: जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान मित्र को हर महीने 150 मरीजों के भर्ती का टार्गेट मिला है। इसके बाद ही उनकी नौकरी बचेगी।

Purnima Srivastava
Published on: 17 Jun 2024 2:55 AM GMT
Gorakhpur News
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आयुष्मान कार्ड प्रतीकात्मक तस्वीर (Pic: Newstrack)

Gorakhpur News: प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में तैनात आयुष्मान मित्रों की नौकरी संकट में है। पहले तो उन्हें दो साल से मानदेय नहीं दिया जा रहा है। जब उन्होंने मानदेय की मांग की तो मरीज भर्ती कराने का टॉरगेट दे दिया गया। टारगेट पूरा नहीं होने पर उन्हें बर्खास्त किया जा रहा है। गोरखपुर में पांच सरकारी अस्पतालों में तैनात आयुष्मान मित्रों को अब तक बर्खास्त किया जा चुका है।

केन्द्र सरकार की योजना के तहत जिले में सरकारी अस्पतालों में 26 आयुष्मान मित्र तैनात हैं। शुरुआत में तो इनकी तैनाती स्वास्थ्य विभाग द्वारा संविदा पर हुई थी। बाद में इनको सेवा प्रदाता फर्म रायटर इन्फार्मेशन के जरिए आउटसोर्सिंग पर कर दिया गया है। इन्हें पांच हजार रुपए बतौर मानदेय मिलते हैं। कुछ आयुष्मान मित्रों को डेढ़ से दो साल तक मानदेय ही नहीं मिला। अब उनकी मुसीबत बढ़ गई है। सेवा प्रदाता फर्म ने आयुष्मान मित्रों को मरीजों को भर्ती करने का टारगेट दे रखा है। सीएचसी में तैनात हर आयुष्मान मित्र को अस्पताल में काम से कम 70 आयुष्मान मरीज भर्ती कराने हैं।

जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान मित्र को हर महीने 150 मरीजों के भर्ती का टार्गेट मिला है। इसके बाद ही उनकी नौकरी बचेगी। आयुष्मान मित्र ने बताया कि सीएचसी पीएचसी में दूर की बात है। जिला अस्पताल तक में आयुष्मान मरीज भर्ती होने से इनकार कर देते हैं। जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे ज्यादातर मरीज आयुष्मान दायरे से बाहर होते हैं। जिनके पास पहले से आयुष्मान कार्ड है। वह जिला अस्पताल से प्राथमिक इलाज कराने के बाद निजी अस्पताल चले जाते हैं। बर्खास्त हुए आयुष्मान मित्र जिला अस्पताल, बड़हलगंज, गोला, जंगल कौड़िया और बांसगांव में तैनात थे। इस मामले में पीड़ित आयुष्मान मित्रों ने सीएम पोर्टल पर शिकायत की है। उन्होंने कहा कि मरीज को भर्ती होने के लिए समझाने की जिम्मेदारी चिकित्सक की है। मरीज को चिकित्सक व अस्पताल पर भरोसा होगा तो वह भर्ती अवश्य होगा।

सेवा प्रदाता फर्म ने कहा, मेरे ऊपर दबाव

सीएचसी-पीएचसी में भर्ती नहीं होना चाहते मरीज एक आयुष्मान मित्र ने बताया कि गांव में मौजूद सीएचसी व पीएचसी बदहाल हैं। वहां डॉक्टर नहीं रहते। अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। बीमार होने पर उसी अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी बाहर इलाज कराते हैं। ऐसे में मरीज वहां अपना इलाज नहीं करना चाहते। है। सेवा प्रदाता फर्म रायटर इन्फार्मेशन के समन्वयक वैद्यनाथ चौरसिया ने बताया कि लक्ष्य पूरा न होने पर बर्खास्तगी होगी। जिन आयुष्मान मित्रों को बर्खास्त किया गया। उनका मरीजों को भर्ती कराने का मासिक औसत 20 से कम था। आयुष्मान मित्रों से मरीजों को भर्ती कराने का दबाव फर्म पर सीएमओ, साचीज और शासन से मिल रहा है।



Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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