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Gorakhpur News: नवजात की सेहत के प्रति रहें सतर्क, परेशानी हो तो 102 नंबर एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाएं

Gorakhpur News: स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों से अपील की है कि अगर बच्चे को हाइपोथर्मिया, निमोनिया, बुखार या स्वास्थ्य संबंधित कोई भी दिक्कत हो तो बिना देरी किये नजदीकी सरकारी अस्पताल पर पहुंचें।

Purnima Srivastava
Published on: 6 Nov 2024 9:05 PM IST
Gorakhpur News ( Pic- News Track)
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Gorakhpur News ( Pic- News Track)

Gorakhpur News: छठ पर्व के बाद ठंडक और बढ़ेगी। ऐसे मौसम में नवजात शिशु के संक्रमण और बीमारियों से पीड़ित होने पर शीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों से अपील की है कि अगर बच्चे को हाइपोथर्मिया, निमोनिया, बुखार या स्वास्थ्य संबंधित कोई भी दिक्कत हो तो बिना देरी किये नजदीकी सरकारी अस्पताल पर पहुंचें। शिशुओं और उनके एक अभिभावक को 102 नंबर एम्बुलेंस से अस्पताल जाने और घर वापस लौटने की सुविधा सरकारी खर्चे पर प्रदान की जा रही है। नवजात शिशु की मां को यह ध्यान रखना है कि बच्चे के जन्म से छह माह तक सिर्फ स्तनपान उसे रोगों से लड़ने की ताकत देता है, इसलिए माताएं शिशु को अपना दूध पिलाना बंद न करें।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में 102 नंबर की 50 एम्बुलेंस हैं। उन्हें निर्देश है कि मां और उसके दो साल की उम्र तक के बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर उनके घर से पिक एंड ड्रॉप की सुविधा प्रदान करें। बच्चे के जन्म से लेकर 28 दिन तक की अवस्था को नवजात शिशु की श्रेणी में रखा गया है। बच्चे की स्वास्थ्य की दृष्टि से यह अवधि बेहद संवेदनशील होती है। खासतौर से सर्दियों में पैदा होने वाले बच्चों के प्रति अधिक एहतियात बरतनी है। सरकारी अस्पताल पर संस्थागत प्रसव ही नवजात शिशु के लिए भी सुरक्षित होता है । वहां बने नवजात शिशु देखभाल कार्नर पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के उपकरण और सुविधाएं मौजूद हैं।

संस्थागत प्रसव के बाद अतिशीघ्र बच्चों का जीरो डोज टीकाकरण किया जाता है और शीघ्र स्तनपान करवाया जाता है। मां या घर के सदस्य को कंगारू मदर केयर (केएमसी) का भी प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे वह नवजात शिशु को हाइपोथर्मिया से बचा सकती हैं। कम वजन के बच्चों का वजन बढ़ाने में भी केएमसी की अहम भूमिका है। डॉ. दूबे ने बताया कि जो नवजात शिशु और उनकी मां अस्पताल से छुट्टी पाकर घर चले जाते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर आशा कार्यकर्ता की मदद लेनी चाहिए। अभिभावक खुद भी फोन करके एम्बुलेंस के जरिये ऐसे शिशुओं को अस्पताल पहुंचा सकते हैं। सभी सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं के देखभाल की प्राथमिक सुविधा उपलब्ध है। शिशु को ज्यादा दिक्कत होने पर चिकित्सक द्वारा उन्हें आवश्यकतानुसार न्यू बोर्न स्टेबिलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) और स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के लिए रेफर कर दिया जाता है । रेफरल के दौरान भी नवजात शिशु और मां को एम्बुलेंस से ही अस्पताल पहुंचाया जाता है।

यहां पर सक्रिय हैं एनबीएसयू

सीएमओ ने बताया कि जिले में बेलघाट, चौरीचौरा, जंगल कौड़िया, बांसगांव और पिपराईच सीएचसी पर, जबकि कैम्पियरगंज पीएचसी पर एनबीएसयू सक्रिय है। नवजात शिशु को स्वास्थ्य संबंधित दिक्कत पर चिकित्सक की निगरानी में वहां बच्चों का इलाज होता है।

गंभीर दिक्कत पर एसएनसीयू की सुविधा

नवजात शिशु में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दिक्कत होने पर जिला महिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में रेफर किया जाता है, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपस्थिति में देखभाल की जाती है। अति गंभीर स्वास्थ्य संकट की स्थिति में चिकित्सक नवजात शिशु को बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में रेफर किया जाताहै। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफरल के दौरान भी एम्बुलेंस की सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

शीघ्र अस्पताल पहुंचना जरूरी

सीएमओ डॉ. दूबे ने कहा कि नवजात शिशु में स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दिक्कत होने पर सीधे बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाने की आवश्यकता नहीं है। बेहतर है कि पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर एम्बुलेंस की सहायता से पहुंचे। शीघ्र उपचार शुरू होने से नवजात के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होने की संभावना होती है। सिर्फ उन्हीं बच्चों को एनबीएसयू, एसएनसीयू या एनआईसीयू भेजा जाता है जिन्हें चिकित्सक के परामर्श के अनुसार वहां भेजना आवश्यक है।

यह लक्षण दिखें तो ले जाएं अस्पताल

नाक बंद होने से सांस लेने और मां का दूध पीने में भी दिक्कत

सांस छोड़ने पर घरघराहट की आवाज़

खांसी या बलगम

बुखार आना या बच्चे का सुस्त रहना

ठंड लगने पर उल्टी या दस्त की समस्या



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Shalini Rai

Shalini Rai

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