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Gorakhpur News: जीवित मिथक रहे जुगानी भाई, भोजपुरी के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.रवींद्र श्रीवास्तव की श्रद्धांजलि सभा में जुटा शहर के प्रबुद्ध वर्ग

Gorakhpur News: प्रेस क्लब के अध्यक्ष रीतेश मिश्र ने कहा कि जुगानी भाई बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी भोजपुरी भाषा-साहित्य की सेवा स्मरणीय है।

Purnima Srivastava
Published on: 2 March 2025 7:41 PM IST
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Gorakhpur News: पूर्वांचल हिन्दी मंच एवं गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में भोजपुरी क बेटा, लोकभूषण डा.रवीन्द्र श्रीवास्तव 'जुगानी भाई 'की पुण्य-स्मृति में प्रेस-क्लब के सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में नगर के साहित्यकारों ने जुगानी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण किया।

श्रद्धांजलि के क्रम में डा. वेदप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि जुगानी भाई ने आकाशवाणी के एक अधिकारी, कलाकार के रूप में, एक कवि के रूप में और विद्वान -विचारक विमर्शकार के रूप में भोजपुरी भाषा-साहित्य की सेवा की। लोक ने उन्हें उनके कार्यों की गुणवत्ता के निमित्त, समादृत भी किया। प्रो.रामदरश राय ने कहा कि जुगानी भाई जीवित मिथक रहे। उनके जैसा कवि-व्यक्तित्व और वाणीशैली का दूसरा कवि उनके जमाने में नहीं देखा।

वास्तव में आकाशवाणी को जुगानी ने बनाया और जुगानी को आकाशवाणी ने। डा. उमाकान्त राय ने कहा कि शब्दों की सुन्दर कसावट और कर्णप्रिय अभिव्यक्ति जुगानी की विशेषता थी। डा. लालमणि तिवारी ने कहा कि भोजपुरी भाषा के मानवर्द्धन में जुगानी जी ने कोई कोर कसर नहीं छोडा। उनका पचास वर्ष का जीवन भोजपुरी को समर्पित रहा।

डा.संजयन त्रिपाठी ने कहा कि जुगानी जी की भोजपुरी वाणी का काव्यात्मक सुर-निनाद मुझे बेहद प्रीतिकर और आत्मीय लगता था। प्रेस क्लब के अध्यक्ष रीतेश मिश्र ने कहा कि जुगानी भाई बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी भोजपुरी भाषा-साहित्य की सेवा स्मरणीय है। प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि जुगानी भाई लोक में अमर रहेंगे। राकेश सिंह पहलवान ने कहा कि साहित्यकार, खिलाडी के साथ ही जुगानी भाई आध्यात्मिक प्रवृत्ति के भी थे। उनपर सिद्धसन्त देवराहा बाबा की विशेष कृपा थी।

अखिलेश चन्द ने कहा कि जुगानी भाई के मर्म में अपनी माटी अपनी भाषा भोजपुरी के प्रति अगाध प्रेम था।रंगकर्मी अशोक महर्षि ने कहा कि जुगानी भाई देखने में तो किसी हीरो से कम नहीं थे पर,श्रोताओं की कल्पना के अनुसार बूढे थे। बागेश्वरी प्रसाद मिश्र ने अपनी कविता के माध्यम से श्रद्धापूर्वक याद किया। डा.लालमणि त्रिपाठी, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, डा.वरुण वर्मा वैरागी, प्रसून कुमार मल्ल, सुधीर श्रीवास्तव, इ.राजेश्वर सिंह, नर्बदेश्वर सिंह, डा.अजय अनजान, डा.शाकिर अली खां आदि ने भी जुगानी भाई को श्रद्धांजलि दी।

कार्यक्रम का संयोजन और संचालन डा.फूलचन्द प्रसाद गुप्त ने किया। इस अवसर पर डा.जयप्रकाश नायक, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, अरविन्द यादव, अरविन्द अकेला,रामसुधार सिंह, डा.अंगद कुमार सिंह, रामसमुझ सांवरा, केशव पाठक, अनुस्वार श्रीवास्तव, अग्रिम श्रीवास्तव, प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष भूपेंद्र द्विवेदी, महामंत्री पंकज कुमार श्रीवास्तव, संयुक्त मंत्री अंगद कुमार प्रजापति, कोषाध्यक्ष प्रिंस पांडेय, पुस्तकालय मंत्री विनय सिंह, कार्यकारिणी सदस्य राजीव पांडेय, विवेक कुमार आदि उपस्थित रहे। अन्त दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।

Ramkrishna Vajpei

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