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Gorakhpur News: ‘बीमार’ मछली और अंडे बेचकर हो रहा सेहत से खिलवाड़, जांच कर जिम्मेदारी भूल गए साहब

Gorakhpur News: आंध्र प्रदेश से बर्फ में ढककर आई मछलियों और अंडे में कालरा फैलाने वाले बैक्टीरिया मिले हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 18 March 2025 8:30 AM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Image From Social Media)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बीमार मछलियों और अंडों की सप्लाई हो रही है। खाद्य विभाग की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। बर्फ से ढककर लाई गई मछलियों और पुराने अंडे में बैक्टीरिया मिले हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने दिसंबर में 60 नमूने लिये थे, इनमें से तीन रिपोर्ट मानक विहीन मिला है।

आंध्र प्रदेश से बर्फ में ढककर आई मछलियों और अंडे में कालरा फैलाने वाले बैक्टीरिया मिले हैं। दो माह पहले खाद्य सुरक्षा विभाग के सर्विलांस सैंपल में मछली मंडी में दो स्थानों की मछलियों और एक दुकान से लिए गए अंडे के नमूने की रिपोर्ट जांच में फेल आई है। अब दोबारा नमूने लेकर इनकी लैब में जांच कराई जाएगी। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा लिए 60 सैंपल में मछली और अंडे के तीन नमूने फेल आए हैं। इनमें बिब्रियो कालरी बैक्टीरिया मिलने की पुष्टि हुई है। जानकार बता रहे हैं कि तेज गर्मी और नम वातावरण में मांस-मछली में बैक्टीरिया पनपने की आशंका बढ़ जाती है। मौसम गर्म हो गया है, एक बार बारिश के बाद मौसम बदलेगा तो ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता होगी, इसलिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने जांच कराने की तैयारी की है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अतंर्गत सैंपल असुरक्षित होने के बाद आरोप साबित होता है तो छह माह की सजा व पांच लाख तक जुर्माना हो सकता है। खाद्य सुरक्षा विभाग में सहायक आयुक्त डॉ.सुधीर कुमार सिंह का कहना है कि सर्विलांस सैंपल की जांच में कालरा फैलाने वाले बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। इससे यह भी पता चलता है कुछ मछली और अंडा विक्रेता लापरवाही कर रहे हैं। अब अभियान चलाकर सैंपल की जांच खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला में कराई जाएगी और रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई होगी। सभी मछली व्यापारियों को अनिवार्य रूप से लाइसेंस लेना होगा।

को फर्मलीन रसायन में डुबो दिया जाता है

मछलियां और अंडे दूसरे राज्यों से आते हैं। आंध्रप्रदेश से आने वाली मछलियों को पानी में तैराकर शिकार किया जाता है तो उनका पेट खाली रहता है। इस कारण वहां की मछलियां बर्फ में 6-7 दिन और स्थानीय मछलियां दो दिन तक सुरक्षित रहती हैं। इसमें मछलियों के डिब्बों को बिना धोए बार-बार इस्तेमाल करने या मछली को अधिक समय तक रखने से बैक्टीरिया पनप जाते हैं। इसके साथ ही ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए मछलियों को फर्मलीन रसायन में डुबो दिया जाता है। ऐसी मछलियों को खाने से आंत में घाव हो सकता है। इसी प्रकार अंडे ज्यादा पुराने हो जाते हैं तो उसमें बैक्टीरिया पनप जाते हैं। यही कारण है कि अंडे का परिवहन करने में डीप फ्रीजर का उपयोग करने का नियम है। अंडा ज्यादा पुराना है तो उसे हिलाने पर आवाज आने लगती है।

Ramkrishna Vajpei

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