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World Earth Day 2024: प्लास्टिक वेस्ट से जुड़ेगी हड्डी, त्वचा भी बनेगी, MMMUT के शोध का पेटेंट
World Earth Day 2024: प्रो. राजेश यादव ने बताया कि अस्पतालों से निकलने वाले संक्रमित कचरे से ऐसा विशेष पदार्थ बना रही है, जिसका प्रयोग कृत्रिम त्वचा के साथ ही प्लास्टर ऑफ पेरिस के रूप में प्रयोग हो सकेगा।
World Earth Day 2024: प्लास्टिक से पर्यावरण को जबरदस्त नुकसान हो रहा है। नालियां चोक हो रही हैं तो भूगर्भ जल में इसके मिश्रित होने से कई गम्भीर बीमारियां हो रही हैं। लेकिन, अब मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) के शिक्षकों के शोध के परिणाम काफी राहत देने वाले हैं। अस्पतालों में निकलने वाले कचरे से अब हड्डी जुड़ सकेगी और इससे कृतिम त्वचा भी बन सकेगा। इस शोध के पेटेंट के लिए वैज्ञानिकों ने आवेदन भी कर दिया है।
गोरखपुर में एमएमएमयूट के शिक्षक टिश्यू इंजीनियरिंग के जरिए संक्रमित कचरे से प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसा पदार्थ तैयार कर रहे हैं। यह पदार्थ बायोडिग्रेडेबल है यानि फेंकने पर मिट्टी में ही तब्दील हो जाएगा। इस रिसर्च का पहला पेपर ब्रिटेन के रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री में प्रकाशित हो चुका है। टीम में रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर राजेश यादव और फिजिक्स के शिक्षक प्रो. डीके द्विवेदी शामिल हैं। डॉ. राजेश ने बताया कि अस्पतालों के मेडिकल वेस्ट में ज्यादातर प्लास्टिक और पॉलिथीन होती है। मिट्टी में मिलने पर यह प्रदूषण व कैंसर का कारक बनता है। इसका अब अच्छा प्रयोग हो सकेगा। प्रो. राजेश यादव ने बताया कि अस्पतालों से निकलने वाले संक्रमित कचरे से ऐसा विशेष पदार्थ बना रही है, जिसका प्रयोग कृत्रिम त्वचा के साथ ही प्लास्टर ऑफ पेरिस के रूप में प्रयोग हो सकेगा। तकनीक के पेटेंट के लिए भी आवेदन किया जा चुका है।
मेडिकल वेस्ट में एलोवेरा मिश्रित कर बन रहा सॉल्यूशन
डॉ. राजेश ने बताया कि दो साल के शोध में संक्रमित कचरे से कंपोजिट मटेरियल तैयार करने में सफलता मिली है। इसके लिए बायो मेडिकल वेस्ट को 600 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जलाया जाता है। उससे प्राप्त पदार्थ को ग्रिफिन कहते हैं। ग्रिफिन को ग्रीन सॉल्वेंट (इथेनॉल/अल्कोहल) और एलोवेरा जेल के साथ मिलाकर सॉल्यूशन तैयार किया जाता है। इसे पॉलीमर वेस्ट कंपोजिट मटेरियल या बायोमेडिकल वेस्ट कंपोजिट मटेरियल कहते हैं।
अस्पतालों से निकलता है सैकड़ों टन कचरा
गोरखपुर में विभिन्न अस्पतालों से लोग 2 टन से अधिक मेडिकल वेस्ट निकलता है। इसके प्लास्टिक वेस्ट करीब 30 फीसदी होता है। मेडिकल वेस्ट में अच्छी क्वालिटी का प्लास्टिक प्रयोग होता है ऐसे में इसका दोबारा प्रयोग आसान है।