Gorakhpur News: जब गुरु महंत अवेद्यनाथ ने शिष्य योगी आदित्यनाथ से कहा, ..अब तुम मेरा भार उठा सकते हो

Gorakhpur News: महंत अवेद्यनाथ के बीमार रहते हुए कही गई बात अभी भी मुख्यमंत्री को ठीक से याद है। वे कई बार सार्वजनिक तौर पर इसका जिक्र कर चुके हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 12 Sep 2024 4:08 AM GMT
Gorakhpur News: जब गुरु महंत अवेद्यनाथ ने शिष्य योगी आदित्यनाथ से कहा, ..अब तुम मेरा भार उठा सकते हो
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CM Yogi with guru Brahmalin Mahant Avaidyanath (PHOTO: social media )

Gorakhpur News: गोरक्षपीठाधीश्वर और देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का रिश्ता अतुलनीय है। तमाम व्यस्तता के बाद भी योगी के पास अपने गुरु के लिए पर्याप्त समय होता था। आज भी जब भी वह गोरखपुर पहुंचते हैं तो सबसे पहले अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ के समाधि स्थल पर पहुंचकर नतमस्तक होते हैं। महंत अवेद्यनाथ के बीमार रहते हुए कही गई बात अभी भी मुख्यमंत्री को ठीक से याद है। वे कई बार सार्वजनिक तौर पर इसका जिक्र कर चुके हैं। दिल्ली के अस्पताल में गुरु महंत अवेद्यनाथ ने योगी से कहा था, अब तुम मेरा भार उठा सकते हो।

दरअसल एक बार रूटीन चिकित्सकीय जांच के बाद दिल्ली में बड़े महाराज यानी महंत अवेद्यनाथ एक भक्त के घर गए। वहां वे कुछ देर के लिए बेहोश हो गए। इस दौरान साथ में मौजूद रहे योगी आदित्यनाथ ने उन्हें कुर्सी पर बिठा दिया। होश आने पर महंत ने योगी से पूछा मेरा वजन कितना है। वजन बताने के बाद गुरु ने शिष्य योगी से आत्मीय आत्मीय अंदाज में कहा, लगता है कि अब तुम मेरा भार उठा सकते हो।’ इतना ही नहीं एक बार मेदांता अस्पताल में याददाश्त परीक्षण के दौरान डाक्टरों ने महंत अवेद्यनाथ से पूछा कि आप किस पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं। उनकी नजरें योगी पर टिक गईं। चिकित्सकों से कहे अब जो पूछना हो इनसे ही पूछो। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ के प्रति संबंध बहुत गहरे थे। वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह बताते हैं कि जितना सम्मान अपने गुरु के प्रति योगी आदित्यनाथ का रहा, उससे कही बढ़कर स्नेह गुरु ने शिष्य को दिया। एक बार योगी जी को सांस की दिक्कत हुई। उन्हें डॉक्टर के पास दिखाने से लेकर सोने तक महंत अवेद्यनाथ परेशान रहे।

कल आपको गोरखपुर ले चलूंगा, सुनते ही चैतन्य हो गए महंत अवेद्यनाथ

गोरक्षपीठ को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय बताते हैं कि गोरक्षनाथ मंदिर में हर साल ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्यतिथि सप्ताह समारोह का आयोजन होता है। 2014 में इसी कार्यक्रम के समापन समारोह के बाद उसी दिन फ्लाइट से योगी आदित्यनाथ शाम को दिल्ली और फिर गुड़गांव स्थित मेदांता में भर्ती अपने गुरुदेव का हाल चाल लेने गए। वहां उनके कान में पुण्यतिथि के कार्यक्रम के समापन के बाबत जानकारी दी। कुछ देर वहां रहे। चिकित्सकों से बात किए। सेहत रोज जैसी ही स्थिर थी। लिहाजा योगीजी अपने दिल्ली स्थित सांसद के रूप में मिले सरकारी आवास पर लौट आए। रात करीब 10 बजे उनके पास मेदांता से फोन आया कि उनके गुरु की सेहत बिगड़ गई है। पहुंचे तो देखा, वेंटीलेटर में जीवन का कोई लक्षण नहीं हैं। चिकित्सकों के कहने के बावजूद वे मानने को तैयार नहीं थे। वहीं महामृत्युंजय का जाप शुरू किया। करीब आधे घंटे बाद वेंटीलेटर पर जीवन के लक्षण लौट आए। योगी को अहसास हो गया कि गुरुदेव के विदाई का समय आ गया है। उन्होंने धीरे से उनके कान में कहा, कल आपको गोरखपुर ले चलूंगा। यह सुनकर उनकी आंखों के कोर पर आंसू ढलक आए। योगीजी ने उसे साफ किया और लाने की तैयारी में लग गए। दूसरे दिन एयर एंबुलेंस से गोरखपुर लाने के बाद उनके कान में कहा, आप मंदिर में आ चुके हैं। बड़े महाराज के चेहरे पर तसल्ली का भाव आया। इसके करीब घंटे भर के भीतर उनका शरीर शांत हो गया।


उत्तराखंड के गढ़वाल में हुआ था महंत अवेद्यनाथ का जन्म

महंत अवेद्यनाथ का जन्म 28 मई 1921 को गढ़वाल (उत्तरांचल) जिले के कांडी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम राय सिंह विष्ट था। अपने पिता के वे इकलौते पुत्र थे। उनके बचपन का नाम कृपाल सिंह विष्ट था। नाथ परंपरा में दीक्षित होने के बाद वे अवेद्यनाथ हो गए। कहा जाता है कि, ईश्वर जिसको सबका नाथ बनाना चाहता है, परीक्षा के लिए उसे बचपन में अनाथ बना देता है। कृपाल सिंह के साथ भी यही हुआ। बचपन में माता-पिता का निधन हो गया। कुछ बड़े हुए तो पाल्य दादी नहीं रहीं। इसके बाद उनका मन विरक्त हो गया। ऋषिकेश में सन्यासियों के सत्संग से हिंदू धर्म, दर्शन, संस्कृत और संस्कृति के प्रति रुचि जगी तो शांति की तलाश में केदारनाथ, ब्रदीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और कैलाश मानसरोवर की यात्रा की। वापसी में हैजा होने पर साथी उनको मृत समझ आगे बढ़ गए। ठीक हुए तो मन और विरक्त हो उठा। इसके बाद नाथ पंथ के जानकार योगी निवृत्तिनाथ, अक्षयकुमार बनर्जी और गोरक्षपीठ के सिद्ध महंत रहे गंभीरनाथ के शिष्य योगी शांतिनाथ से भेंट (1940 में) हुई। निवृत्तिनाथ द्वारा ही उनकी मुलाकात तबके गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ से हुई। पहली मुलाकात में में उन्होंने शिष्य बनने के प्रति अनिच्छा जताई। कुछ दिन करांची में एक सेठ के यहां रहे। सेठ की उपेक्षा के बाद शांतिनाथ की सलाह पर वह गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ में आकर नाथपंथ में दीक्षित हुए।


चार बार सांसद एवं पांच बार रहे विधायक

महंत अवेद्यनाथ ने चार बार (1969, 1989, 1991 और 1996) गोरखपुर सदर संसदीय सीट से यहां के लोगों का प्रतिनिधित्व किया। लोकसभा के अलावा उन्होंने पांच बार (1962, 1967,19 69,19 74 और 1977) में मानीराम विधानसभा का भी प्रतिनिधित्व किया था।



Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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