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Gorakhpur News: भूसा से भी सस्ती बिक रही गोभी, जानें क्या है इसका बिहार कनेक्शन
Gorakhpur News: पशुओं को खिलाने वाला भूसा 10 से 12 रुपये किलो तो वहीं सर्वप्रिय सब्जी गोभी सिर्फ 2 से 4 रुपये किलो। दाम सुनकर चौंकिये नहीं।
Gorakhpur News: पशुओं को खिलाने वाला भूसा 10 से 12 रुपये किलो तो वहीं सर्वप्रिय सब्जी गोभी सिर्फ 2 से 4 रुपये किलो। दाम सुनकर चौंकिये नहीं। झूठ लग रहा है तो गोरखपुर के थोक सब्जी मंडियों की पड़ताल कर लीजिये। सस्ती गोभी के पीछे मौसम तो जिम्मेदार है ही, इसका बिहार कनेक्शन भी है। गोभी की बंपर पैदावार के चलते किसानों ने फसल को जोत कर नए पौधों को लगाना शुरू कर दिया है।
पूर्वांचल के जिलों में गोभी की बंपर पैदावार ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। दो महीने पहले तक 100 रुपये किलो बिकने वाली गोभी कौड़ियों के भाव बिक रही है। महेवा, रजही और भगवानपुर के थोक मंडी में गोभी गुरुवार को 2 से 4 रुपये किलो बिक रही है। तमाम किसानों ने तो गोभी की फसल जोत कर दोबारा बुआई शुरू कर दी है। जिससे फरवरी में अच्छी कमाई हो सके।
जिले में कुसम्ही, पीपीगंज, कैम्पियरगंज से लेकर राप्ती किनारे के गांवों में सब्जी की अच्छी फसल होती है। ठंड में गोभी की फसल की बुआई बड़े पैमाने पर हुई है। लेकिन मांग से अधिक पैदावार होने से किसानों को भाव नहीं मिल रहा है। पीपीगंज क्षेत्र के भगवानपुर और कुसम्ही के रजही स्थित थोक सब्जी मंडी में गोभी 3 से 4 रुपये किलो बिकी। 750 से एक किलो तक वजन वाले गोभी तो दो रुपये तक में बिकती दिखी। पीपीगंज के किसान आलोक चौहान ने बताया कि बिहार से सीएसएफ कंपनी का 98, 100, 85 नम्बर का पौधा और बीज लगाते हैं। इस बार कम ठंड पड़ने से तीनों प्रजातियां एक ही साथ तैयार हो गईं। जबकि ठंड की स्थिति में गोभी तैयार होने की गति थोड़ी कम होती है। अधिक पैदावार के चलते थोक में गोभी 2 से 4 रुपये किलो बिकी है। खजनी के किसान राम सकल यादव बताते हैं कि पिछले साल दो बीघा गोभी में 3 लाख रुपये की कमाई हो गई थी, इस बार लागत निकालना भी मुश्किल है। महेवा में व्यापारी नेता संजय सिंघानिया का कहना है कि पिछले पांच साल में पहली बार गोभी दो रुपये किलो बिक रही है। लोकल किसान पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। बाहर के कारोबारियों ने इसी मंडी में 40 से 60 रुपये किलो तक गोभी बेची थी।
खिचड़ी से अधिक मांग की थी उम्मीद
रजही के किसान ओम प्रकाश ने गोभी की फसल की खेत को जोत दिया है। अब लेट वेराइटी की गोभी की बुआई कर रहे हैं। कहते हैं कि तीन एकड़ में गोभी की फसल की बुआई की थी। मंडी में जो कीमत मिल रही है, उससे लागत निकालना मुश्किल है। खिचड़ी के बाद गोभी की मांग बढ़ती, लेकिन मौसम के चलते गोभी पहले ही तैयार हो गई। अब खेत की जुताई कर लेट वेराइटी की फसल की बुआई कर रहे हैं।