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Gorakhpur: कोरोना संक्रमितों में खून की आपूर्ति कम होने से गल रहीं हड्डियां, जवानी में हो रहा बुढ़ापे का रोग
Gorakhpur News: वैक्सीन लगवाने वाले भी एवैस्कुलर नैक्रोसिस के शिकार हो रहे हैं। बीआरडी में तीन साल में चार गुना से अधिक ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
Gorakhpur News: कोविशील्ड वैक्सीन से हार्ट अटैक की खबरों के बीच गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का दावा परेशान करने वाला है। हड्डीरोग विभाग के डॉक्टरों का दावा है कि कोरोना संक्रमितों में खून की आपूर्ति कम होने से उनकी हड्डियां गल रही हैं। हड्डियों को खून पहुंचाने वाली धमनियां सूख रही हैं। वैक्सीन लगवाने वाले भी एवैस्कुलर नैक्रोसिस के शिकार हो रहे हैं। बीआरडी में तीन साल में चार गुना से अधिक ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
कोरोना से गंभीर संक्रमितों की हड्डियों का जीवन कम हो रहा हैं। हड्डियों को खून की आपूर्ति करने वाली धमनियां सूख रही है। कोरोना के अलाक्षणिक (एसिम्टोमेटिक) और हल्के लक्षण (माइल्ड सिम्टोमेटिक) मरीजों में भी कूल्हे की हड्डियां सूखने के मामले सामने आ रहे हैं। मरीजों की कमर में दर्द बढ़ गया है। लोगों के कूल्हे बदलने तक की नौबत आ गई है। इस बीमारी को एवैस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) कहते हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोरोना से पहले और अब में एवीएन के मरीजों की संख्या चार गुना तक बढ़ गई है। बीआरडी मेडिकल कालेज के हड्डीरोग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवन प्रधान ने बताया कि कोरोना संक्रमण से मरीजों के शरीर का खून गाढ़ा हो गया। थक्के बनने लगे। वायरस से बने वैक्सीन से भी कुछ लोगों के खून में थक्के बने। वहीं इलाज में बेतहाशा स्टेरॉयड का प्रयोग हुआ। स्टेरॉयड से शरीर में हार्मोन का स्राव तेजी से होने लगता है। अत्यधिक सेवन से शरीर में रक्त प्रवाह करने वाली नसें सूखने लगती हैं। हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.अमित कुमार मिश्राा ने बताया कि बड़े चिकित्सकों के साथ झोलाछापों ने कोरोना में मरीजों को बेतहाशा स्टेरॉयड दिया। इसका नतीजा अब तक मिल रहा है। लोगों को कमर दर्द परेशान कर रहा हैं। यह एवीएन का पहला चरण है। जांच में उनकी कमर की हड्डियां कमजोर मिल रहीं है।
शराब के सेवन से बढ़ी दिक्कतें, जवानी में बुढ़ापे का रोग
चिकित्सकों ने कहा कि संक्रमण से उबरने वाले शराब का सेवन करने लगे। युवा शरीर बनाने के लिए प्रोटीन व मल्टी विटामिन खाने लगे। यह सभी हड्डियों को खून पहुंचाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज की वजह बने। हड्डियों को खून की आपूर्ति कम हुई तो वह गलने लगीं। डॉ.अमित का कहना है कि कोरोना के बाद हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। वही पैटर्न हड्डियों के खून की आपूर्ति करने वाली धमनियों में मिल रहा है। एवीएन बुढ़ापे की बीमारी मानी जाती थी। कोविड से पहले 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र से लोग ही इसके शिकार होते थे। ओपीडी में 30 से 35 वर्ष तक के मरीज इसका इलाज कराने पहुंच रहे हैं।