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Gorakhpur Dussehra 2023: गोरखनाथ मंदिर में लगेगी संतों की अदालत, दंडाधिकारी की भूमिका में आज होंगे सीएम योगी

Gorakhpur Dussehra 2023: आज यहां संतों की अदालत लगेगी और सूबे के मुखिया एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ दंडाधिकारी की भूमिका में होंगे। सीएम योगी इस अदालत में संतों के विवाद का निपटारा करेंगे।

Krishna Chaudhary
Published on: 24 Oct 2023 5:05 AM GMT (Updated on: 24 Oct 2023 7:15 AM GMT)
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Gorakhpur Dussehra 2023

Gorakhpur Dussehra 2023: आज विजयदशमी का दिन है। देशभर में हर्षोउल्लास के साथ इसे मनाया जा रहा है। इस मौके पर मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर का नजारा कुछ अलग ही होता है। आज शाम यहां संतों की अदालत लगेगी और सूबे के मुखिया एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ दंडाधिकारी की भूमिका में होंगे। सीएम योगी इस अदालत में संतों के विवाद का निपटारा करेंगे। नाथपंथ की परंपरा के मुताबिक हर साल विजयदशमी के मौके पर गोरखनाथ मंदिर में ऐसी अदालत लगती है और गोरक्षपीठाधीश्वर संतों के विवाद का निस्तारण करत हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। इसी पद पर विराजमान व्यक्ति दंडाधिकारी भूमिका में होते हैं। सीएम योगी से पहले उनके गुरू इस भूमिका को निभाया करते थे। परंपरा के अनुसार, विवादों के निस्तारण से पहले संतगण पात्र देव के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर (योगी आदित्यनाथ) की पूजा करते हैं। पात्र देवता के सामने सुनवाई के दौरान कोई भी झूठ नहीं बोलता। पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन के लिए भी जाना जाता है।


तीन घंटे चलती है संतों की अदलत

यदि किसी संत के खिलाफ कोई शिकायत सही पाई जाती है या कोई नाथ परंपरा के विरूद्ध किसी गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है तो गोरक्षपीठाधीश्वर संबंधित संत पर कार्रवाई करने का निर्णय लेते हैं। सजा व माफी देना दोनों का अधिकार पात्र देवता के पास होता है। पात्र पूजा के दौरान संतों की अदालत करीब तीन घंटे लगती है। इस दौरान किसी को भी पूजा परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती। पूजा में केवल वही संत व पुजारी हिस्सा लेते हैं, जिन्होंने नाथ पंथ के किसी योगी से दीक्षा ग्रहण की है। पूजा के दौरान सभी को अपने गुरू का नाम बताना पड़ता है।


कब हुई थी योगी महासभा की स्थापना ?

नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा की स्थापना सन् 1939 में महंत दिग्विजय नाथ द्वारा की गई थी। वह इसके आजीवन राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद 1969 में यह जिम्मेदारी उनके उत्तराधिकारी महंत अवेधनाथ के पास आ गई। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद 25 सितंबर 2014 को इसकी जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ के पास आ गई।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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