Gorakhpur: भारत-नेपाल के सांस्कृतिक संबंध सीमाओं से परे, इंटरनेशनल सेमिनार में बोले प्रो. भागवत ढकाल

Gorakhpur: वाल्मीकि विद्यापीठ, काठमांडू (नेपाल) के प्राचार्य प्रो. भागवत ढकाल ने कहा कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध सीमाओं से परे हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 2 March 2024 9:58 AM GMT
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इंटरनेशनल सेमिनार में पहुंचे प्रो. भागवत ढकाल (न्यूजट्रैक)

Gorakhpur News: वाल्मीकि विद्यापीठ, काठमांडू (नेपाल) के प्राचार्य प्रो. भागवत ढकाल ने कहा कि भारत और नेपाल भौगोलिक रूप से भले ही सीमाओं के विभक्त हैं लेकिन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध सीमाओं से परे हैं। दोनों के आध्यात्मिक दर्शन-चिंतन का मूल विश्व शांति और चराचर जगत का कल्याण है। प्रो. ढकाल महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ में आयोजित ’भारत-नेपाल सांस्कृतिक अंतर्संबंधों की विकास यात्रा : अतीत से वर्तमान तक’ विषयक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन एक तकनीकी सत्र को संबोधित कर रहे थे।

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ के संयुक्त तत्वावधान में हो रहे इस सेमिनार में प्रो. ढकाल ने आध्यात्मिक-सांस्कृतिक अंतर्संबंधों को उदाहरणों से समझाते हुए कहा कि भारत में सर्वपूज्य गुरु गोरखनाथ नेपाल के भी आदिगुरु हैं। नेपाल के गोरखा लोगों का ’गोरखा’ नाम गुरु गोरखनाथ जी के नाम से ही संबंध रखता है। इसी क्रम में मध्य पश्चिम विश्वविद्यालय, सुर्खेत, नेपाल के उप कुलपति नंद बहादुर सिंह ने कहा कि भारत और नेपाल के आपसी संबंध इतने गहरे और मजबूत हैं कि दोनों में खाई पैदा करने की कोशिश करने वाले विस्तारवादी नीतियों के पोषक देश अपनी किसी भी साजिश में सफल नहीं हो सकते।

भारत-नेपाल के संबंधों का आधार सनातन धर्म-संस्कृति :-डॉ. शिवाकांत

इस सत्र के विषय विशेषज्ञ लुंबिनी विश्वविद्यालय नेपाल के सहायक आचार्य डॉ. शिवकांत दूबे ने कहा कि भारत नेपाल का संबंध रोटी-बेटी का है। इन संबंधों का मुख्य आधार सनातन धर्म एवं संस्कृति है। वर्तमान में दोनों देशों की सरकारें अपने संबंधों को लेकर काफी सक्रिय हैं। इस सत्र की अध्यक्षता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कला संकाय की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय ने की। इसमें गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सेवानिवृत आचार्य प्रो. सुधाकर लाल श्रीवास्तव, चंद्रकांति रामावती देवी आर्य महिला पीजी कॉलेज में राजनीतिशास्त्र विभाग की सहायक आचार्य डॉ. प्रीति त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किए। सत्र में तीन शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए जबकि संचालन डॉ. अर्चना गुप्ता ने किया।

पारस्परिक सहयोग से और मजबूत होंगे दोनों देशों के संबंध : कंडेल

इसके पूर्व एक विशिष्ट सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में नेपाल के पूर्व गृह राज्यमंत्री देवेंद्र राज कंडेल ने कहा कि भारत और नेपाल, दोनों राष्ट्रों के संबंध को एक दूसरे के पारस्परिक सहयोग से और मजबूत बनाया जा सकेगा। इसका एक उदाहरण गोरक्षपीठ की भूमिका है जो इस संबंध को मजबूत बनाने में सराहनीय योगदान देती है। एक अन्य विषय विशेषज्ञ नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय सदस्य श्रीमती पुष्पा भुषाल ने कहा कि दोनों देशों की संसदीय गठन और प्रणाली सामान आधार पर ही है। राजनीतिक तंत्र, कूटनीतिक तंत्र, आर्थिक तंत्र दोनों ही राष्ट्रों की लगभग एक समान है। ऐसे में सरल विदेश नीति से दोनों के बीच संबंध और प्रगाढ़ होंगे।

विधायक कोसी प्रदेश (नेपाल) भीम पराजुली ने कहा कि भारत-नेपाल संबंध केवल राजनीतिक नहीं है बल्कि यह दोनों देशों के जनमानस का संबंध है। ग्रामीण विकास अध्ययन दांग, नेपाल के प्राध्यापक डॉ शरद शर्मा ने कहा कि युवा शक्ति की भागीदारी से दोनों राष्ट्रों के मध्य व्यावहारिक संबंधों को मजबूती मिलेगी। नेपाल के प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार कृष्णा अनिरुद्ध गौतम ने आर्थिक संबंधों की भी मजबूती पर जोर दिया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं आचार्य प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत-नेपाल संबंधों की उन्नति में बहुआयामी पक्ष की जानकारी आवश्यक है। संचालन डॉ. अवंतिका पाठक ने किया।

भारत-नेपाल का संबंध हवा और पानी का भी : प्रो पौडेल

शनिवार को एक तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, नेपाल के कार्यकारी निदेशक प्रो. सुधन पौडेल ने कहा कि भारत नेपाल का संबंध हवा व पानी का भी है। हमारा पानी भारत तक आता है तो यहां की हवाएं नेपाल तक पहुंचती हैं। विषय विशेषज्ञ नेपाल के प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता नवीन बंधु पहाड़ी ने कहा कि दोनों देश पौराणिक काल से एक संस्कृति के पोषक हैं। भगवान राम भारत में पुत्र हैं तो नेपाल में जमाता। इस सत्र में त्रिभुवन विश्वविद्यालय कीर्तिपुर, काठमांडू के सेवानिवृत्ति आचार्य प्रो. राजाराम सुवेदी, गणेश राय पीजी कॉलेज जौनपुर के सहायक आचार्य डॉ. प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. हनुमान प्रसाद उपाध्याय ने किया।

तकनीकी सत्रों की कड़ी में एक महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राजवंत राव, गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग की सहायक आचार्य डॉ. पद्मजा सिंह, डॉ विनोद कुमार ने भारत-नेपाल के मैत्री संबंधों की ऐतिहासिकता पर मंथन किया। संचालन इक्ष्वाकु प्रताप सिंह ने किया। एक अन्य सत्र की अध्यक्षता त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू के संस्कृत विभाग के आचार्य प्रो. सुबोध शुक्ला ने की। इस सत्र मेंमहायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्रा, सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह, गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य प्रकाश प्रियदर्शी ने दोनों देशों के संबंधों पर चर्चा को आगे बढ़ाया। संचालन विनय कुमार सिंह ने किया। सभी सत्रों में प्रस्तुत शोध पत्रों पर विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन किया। सभी सत्रों में अध्यक्ष, सह अध्यक्ष व विषय विशेषज्ञों का स्वागत महाराणा प्रताप महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने किया।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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