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Gorakhpur: DDU में हिन्दी के प्रोफेसर ने क्यों कहा- सभी भाषाओं को राष्ट्रभाषा के रूप में घोषित करने की जरूरत?

DDU Gorakhpur University: कुलपति प्रो.पूनम टंडन ने कहा कि, 'गोरखपुर डीडीयू में अब सभी पाठ्यक्रमों की किताबें क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, विश्वविद्यालय में 'माई सिग्नेचर इज माई मदर टंग' अभियान की भी शुरुआत करने जा रहा है।'

Purnima Srivastava
Published on: 11 Dec 2023 6:10 PM IST
DDU Gorakhpur University
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दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम (Social Media)

Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU Gorakhpur University) के हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग में महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती की जयंती पर आयोजित भारतीय भाषा उत्सव के दौरान हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो.अनिल राय द्वारा दिये गए बयान की अलग-अलग तरीके से व्याख्या हो रही है।

बतौर मुख्य वक्ता प्रो.राय ने कहा कि, 'भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन समस्त भाषाओं की भूमिका, परस्पर संबंध और बौद्धिक संपदा का राष्ट्र के पुनर्निर्माण में भूमिका को लेकर किया गया है। भारत के राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की भूमिका किसी एक भाषा के बल पर संभव नहीं है। इसके लिए उन्होंने भाषाओं के बीच के अंतर को खत्म करने के लिए सभी भाषाओं को राष्ट्रभाषा के रूप घोषित कर दिए जाने की जरूरत बताई।'

माई सिग्नेचर इज माई मदर टंग' अभियान

कुलपति प्रो.पूनम टंडन (VC Prof. Poonam Tandon) ने कहा कि, 'गोरखपुर डीडीयू में अब सभी पाठ्यक्रमों की किताबें क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, विश्वविद्यालय में 'माई सिग्नेचर इज माई मदर टंग' अभियान की भी शुरुआत करने जा रहा है। कुलपति ने कहा कि, भाषा और साहित्य समाज को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। भाषा एवं संस्कृति को लेकर हमें विदेशों से गर्व बोध सीखने की जरूरत है। बताया कि सबसे अच्छा ज्ञान अपने क्षेत्रीय भाषा में ही मिल सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जोर भी क्षेत्रीय भाषा पर है। उन्होंने विद्यार्थियों से हस्ताक्षर अभियान से जुड़ने की अपील की।'

सुब्रमण्यम भारती ने समाज सुधार- राष्ट्र जागरण का स्वर मुखर किया

विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. दीपक त्यागी ने कहा कि, 'भारतीय भाषा भारतीय भाषा उत्सव मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य है कि तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की रचनात्मकता, स्वाधीनता आंदोलन में उनके योगदान एवं सामाजिक सांस्कृतिक जागरण में उनकी भूमिका को रेखांकित करने के साथ-साथ भारतीय भाषाओं के सौंदर्य का उद्घाटन एवं साक्षात्कार करना तथा उसकी विविधता के स्वरूप को अनुभव करना है। भारतीय संस्कृति कला ,संगीत, विचार की एकता एवं विविधता के सौंदर्य का उद्घाटन करते हुए भारत के लोगों के बीच सद्भाव का प्रचार करना इस भाषा उत्सव का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि, सुब्रमण्यम भारती ने समाज सुधार एवं राष्ट्र जागरण का स्वर मुखरित किया।

भोजपुरी का तेवर शुरू से विद्रोही

भोजपुरी के सुप्रसिद्ध, कवि एवं लेखक रविन्द्र श्रीवास्तव जुगानी भाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि भोजपुरी को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां है। भोजपुरी की उत्पत्ति भोज शब्द से हुई है। भोजपुरी में लिखना बहुत बाद में शुरू हुआ, नहीं तो इसका साहित्य भी किसी अन्य भाषा की तुलना में कहीं कम नहीं है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी शुरू से विद्रोही तेवर की रही है। भोजपुरी के एक- एक रचनाकर और उनकी रचनाओं को उन्होंने देश की क्रांति को समर्पित बताया।

अंग्रेजी विभाग के प्रो. गौरहरि बेहरा, उर्दू विभाग के प्रो. डॉ. साजिद व संस्कृत विभाग के प्रो० डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने भी अपने विचार विद्यार्थियों के बीच रखे। इसके पूर्व सभी आगुंतक अतिथियों का विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने स्वागत किया। मंच संचालन पत्रकारिता पाठ्यक्रम के समन्वयक प्रो. राजेश मल्ल और आभार ज्ञापन डॉ० राम नरेश राम ने किया। इस अवसर पर सभी शिक्षकों के साथ हिंदी और पत्रकारिता के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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