Gorakhpur News: तानाशाही रवैये को लेकर चर्चाओं में रहे हैं गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति, यूं ही नहीं फूटा छात्रों का गुस्सा

Gorakhpur News: भ्रष्टाचार की शिकायतों के बीच तीन साल बिहार के पुर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो.राजेश सिंह को कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति का प्रभार दिया था।

Purnima Srivastava
Published on: 21 July 2023 5:25 PM GMT (Updated on: 22 July 2023 2:27 AM GMT)

Gorakhpur News: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि वापसी को लेकर आंदोलित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने जिस तरह कुलपति समेत पुलिस के जिम्मेदारों ने हाथापाई की, उसे किसी सभ्य समाज में जायज नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन पिछले तीन वर्षों से कुलपति प्रो.राजेश सिंह जिस तानाशाही तरीके से विश्वविद्यालय को संचालित कर रहे हैं, उसे देखते हुए उनके साथ हुए बदसलूकी पर शिक्षकों का बड़ा तबका उनके समर्थन में खड़ा नहीं दिख रहा है।

भ्रष्टाचार की शिकायतों के बीच तीन साल बिहार के पुर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो.राजेश सिंह को कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति का प्रभार दिया था। कार्यभार संभालने के साथ ही कुलपति विवादों में रहे हैं। छात्रों, शिक्षकों से लेकर कर्मचारियों से उनके संबंधों में कही मिठास नहीं दिखती है। जिस किसी ने कुलपति के खिलाफ आवाज उठाई उसके विरूद्ध उन्होंने तानाशाही रवैया ही अपनाया। हिन्दी विभाग के प्रोफेसर कमलेश सोशल मीडिया पर यूनिवर्सिटी की कमियों को उजागर करते आ रहे हैं। उन्होंने कुलपति पर मनमाने फैसले लेने का आरोप लगाया है। जनवरी में पहली बार धरने पर बैठे थे।

इसके बाद उन्हें ​यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से निलंबित कर दिया गया था। हालांकि बाद में विवाद बढ़ने के बाद उनका निलंबन कुलपति ने वापस ले लिया था। लेकिन प्रोफेसर कमलेश का धरना खत्म नहीं हुआ। पिछले दिनों दीक्षांत समारोह के कुछ दिन पहले प्रो.कमलेश का निलंबन खत्म हुआ। लेकिन जैसे ही कार्यक्रम खत्म हुआ, प्रो.कमलेश को तत्काल निलंबित कर दिया गया। कुलपति की तानाशाही ही है कि प्रोफ़ेसर कमलेश का समर्थन करने वालों पर भी कार्रवाई की गई। प्रो.कमलेश के पक्षमें आवाज उठाने वाले प्रोफ़ेसर चंद्रभूषण अंकुर, प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो. अजेय कुमार गुप्ता, प्रो. सुधीर कुमार श्रीवास्तव, प्रो. वीएस वर्मा, प्रो. विजय कुमार, प्रो. अरविंद त्रिपाठी को भी नोटिस जारी कर दिया गया। सभी 7 शिक्षकों का एक दिन का वेतन भी काटने का आदेश जारी कर दिया गया। इससे पहले यूनिवर्सिटी के छात्र भी कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। छात्रों के ऊपर मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है। वे अपने निलंबन और मुकदमे को लेकर कोर्ट की शरण में हैं। कुलपति पर मनमाना फैसले लेने का भी आरोप लगता रहा है।

भ्रष्टाचार के आरोप को तानाशाही तरीके से दबाया

प्रो. कमलेश ने सोशल मीडिया के माध्यम से गम्भीर आरोप कुलपति प्रो. राजेश सिंह के खिलाफ लगाए हैं। उनका आरोप है कि स्नातक और स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर में पढ़ाई अभी शुरू ही हुई थी कि कुलपति ने मिड टर्म की परीक्षा तिथि घोषित करवा दी। मिड टर्म परीक्षा का यह प्रावधान विश्वविद्यालय के किसी निकाय से प्रस्तावित, संस्तुत और अनुमोदित नहीं है। वहीं कुलपति ने अपनी अनुपस्थिति में कार्यभार वरिष्ठता सूची में 22वें स्थान पर आने वाले प्रो अजय सिंह को सौंपा। ये वहीं प्रो.अजय सिंह हैं, जिनकी पिटाई शुक्रवार को छात्रों ने की। प्रो.कमलेश का आरोप है कि गोपनीय मुद्रण एवं परीक्षाफल निर्माण के बजट में अनावश्यक रूप से वृद्धि की गई। गोपनीय मुद्रण के मद में आवंटित धनराशि को 3 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया गया। परीक्षाफल निर्माण के लिये आवंटित धनराशि के बजट को 4 करोड़ से बढ़ाकर 6.5 करोड़ रुपये कर दिया गया। कुलपति ने विश्वविद्यालय की धारा 52 ( C ) का उल्लंघन कर बग़ैर राज्य सरकार की अनुमति के बीएससी एजी, एमएससी एजी और बीटेक जैसे नये वित्त पोषित पाठ्यक्रमों का संचालन आरंभ कर दिया। आरोप है कि मीडिया को मैनेज करने के लिए कुलपति ने बिना ज़रूरत के 75,000 रुपये मासिक पर कई सलाहकारों की नियुक्ति की गई है।

लोकायुक्त की जांच चल रही है कुलपति के खिलाफ

कुलपति प्रो.राजेश सिंह जब बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति थे तब उन पर आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे थे। उनके ख़िलाफ़ लोकायुक्त स्तर की जाँच चल रही थी। गोरखपुर विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिये यह तथ्य उन्होंने आवेदन के दौरान छिपा लिया था। प्रो.कमलेश से इन आरोपों को लेकर पिछले वर्ष 23 अगस्त को फ़ेसबुक पर पूर्णिया ज़िले के एक अख़बार की कटिंग शेयर की थी, जो पूर्णिया विश्वविद्यालय में अनियमितता से संबंधित थी।

शिक्षकों को मीडिया से बात करने की मनाही

5 अगस्त 2021 को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक आदेश जारी किया था। जिसमें सभी शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आदेशित किया गया था कि विश्वविद्यालय से संबंधित कोई भी तथ्य या समाचार मीडिया अथवा सोशल मीडिया में भेजने से पहले विश्वविद्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ के सामने उसे प्रस्तुत किया जाये। उल्लंघन करने वाले पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 27 नवंबर 2021 को कुलपति के आदेश से एक अन्य पत्र जारी कर शिक्षकों, अधिकारियों व कर्मचारियों को राजनीतिक कार्यक्रमों में भागीदारी नहीं करने को कहा।

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के नैक ग्रेडिंग को लेकर सवाल

कुलपति प्रो. राजेश सिंह पिछले दिनों तब भी आरोपों के घिरे थे, जब गोरखपुर यूनिवर्सिटी को नैक ग्रेडिंग में A++ स्कोर मिला। तब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने कुलपति पर गभीर आरोप लगाया था। प्रोफेसर के मुताबिक नैक मुल्यांकन में अच्छे ग्रेड के लिए हजारों विद्यार्थियों की फर्जी ईमेल आईडी तैयार की गई है, जिससे की शैक्षिक व्यवस्था को लेकर लगातार बरती गई लापरवाही व अनियमितता पर पर्दा डालकर बेहतर नैक ग्रेडिंग का ढिंढोरा पीटा जा सके।

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