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रवि किशन या काजल! वोटिंग का ट्रेंड बता रहा वीआईपी सीट गोरखपुर में इस बार होगी रोचक जंग

Gorakhpur News: इस बार की जंग बेहद रोचक हो सकती है। काजल निषाद की छवि लड़ाकू नेता हैं। जातीय समीकरण के साथ ही ज्वलंत मुद्दों को उठाकर वह रवि किशन को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 17 March 2024 2:45 PM GMT
Direct contest between BJP candidate Ravi Kishan Shukla and Samajwadi Partys Kajal Nishad
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भाजपा के प्रत्त्याशी रवि किशन शुक्ला और समाजवादी पार्टी की काजल निषाद की सीधी टक्कर: Photo- Social Media

Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला होने के साथ ही फिल्म अभिनेता रवि किशन शुक्ला के चलते गोरखपुर देश के हॉट लोकसभा सीट में शुमार है। पिछले दो लोकसभा चुनाव से जिस प्रकार सपा का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है, वह ट्रेंड बरकरार रहा था इस बार की जंग बेहद रोचक हो सकती है। काजल निषाद की छवि लड़ाकू नेता है। जातीय समीकरण के साथ ही ज्वलंत मुद्दों को उठाकर वह रवि किशन को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं।

पिछले तीन लोकसभा चुनाव का ट्रेंड साबित करता है तो गोरखपुर सीट पर भाजपा और सपा की सीधी टक्कर होती रही है। उपचुनाव को छोड़ दें तो भाजपा के जीत का अंतर 3 लाख वोट से अधिक का रहा है। लेकिन दो बार के आंकड़े यह बता रहे हैं कि सपा का वोट लगातार बढ़ रहा है। 2014 में सपा की राजमती निषाद को 2,26,344 वोट मिले थे, वहीं 2019 में सपा प्रत्याशी राम भुआल निषाद ने वोट के आकड़े को 4,15,458 लाख तक पहुंचा दिया।

गोरखपुर लोकसभा सीट के तहत कैम्पियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण और सहजनवा यानी गोरखपुर जिले की पांच विधानसभा सीटें आती हैं। वर्ष 2014 में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था। इस चुनाव में योगी आदित्यनाथ को कुल पड़े मत का 51.83% मत मिले थे। इस चुनाव में सपा की राजमति निषाद 21.76% वोट हासिल कर दूसरा स्थान हासिल किया था। बसपा को 16.96% तो कांग्रेस को सिर्फ 4.40% वोट ही मिले। इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार और फिल्म अभिनेता रवि किशन शुक्ल ने 3, 01664 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की। उन्हें कुल 7,17,122 वोट मिले। जबकि दूसरे स्थान पर रहे समाजवादी पार्टी के राम भुआल निषाद को 4,15,458 मत। सपा और बसपा ने वह चुनाव गठबंधन में लड़ा था। वहीं तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार मधुसूदन तिवारी ने 22,972 मत हासिल किए। वर्ष 2018 में हुए उपचुनाव में सपा और भाजपा के कड़ी टक्कर दिखी थी। सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद को 4,56,513 वोट तो बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ल 4,34,632 मिले थे। वहीं कांग्रेस की सुरहिता करीम सिर्फ 18,858 वोट पर सिमट गईं थीं।

उपचुनाव को छोड़ दें तो 35 साल से लहरा रहा है भगवा

साल 1951-52 में देश में हुए पहले लोकसभा चुनावों में गोरखपुर दक्षिण सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सिंहासन सिंह ने जीत हासिल की थी। सिंहासन सिंह इस सीट से लगातार तीन बार सांसद चुने गए। 1962 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ हिन्दू महासभा के टिकट पर मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें हार मिली। 1967 के चुनाव में उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया। महंत दिग्विजयनाथ ने वह चुनाव 42 हजार वोटों के अंतर से जीता था। उनके निधन के बाद 1969-70 में हुए उपचुनाव में उनके उत्तराधिकारी और उनके बाद गोरक्षपीठाधीश्वर बने महंत अवेद्यनाथ ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल की। 1971 में एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर नरसिंह नरायण पांडेय को जीत मिली। इसके बाद हरिकेश बहादुर और मदन पांडेय ने क्रमशः भारतीय लोकदल और कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीता।

1989 से गोरक्षपीठ का पूरा दबदबा

गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने राममंदिर आंदोलन की गूंज के बीच 1989 के चुनाव हिन्दू महासभा के टिकट पर जीत हासिल की। 1989 से 2018 तक इस सीट पर लगातार गोरक्षपीठ और बीजेपी का कब्जा रहा। गोरक्षपीठाधीध्वर महंत अवेद्यनाथ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ नाथ 1998 से ही लगातार 19 सालों तक यहां से सांसद रहे। उन्होंने 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनावों में जीत दर्ज की। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद 2018 में हुए उप चुनाव में उपचुनाव में सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद (वर्तमान में संतकबीरनगर से भाजपा सांसद) ने चुनाव जीत लिया। 2019 के आम लोकसभा चुनाव में रविकिशन शुक्ल के जरिए एक बार फिर भाजपा ने इस सीट पर वापसी की।

Shashi kant gautam

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