Gorakhpur News: लुम्बिनी में अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम में बौद्ध धर्म में पर्यावरण चिंतन विषय पर चर्चा, भारत-नेपाल संबंधों पर हुआ संवाद

Gorakhpur News:दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्यों एवं शोधकर्ताओं ने नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बौद्ध धर्म में पर्यावरण चिन्तन एवं सतत विकास, योग तथा मानवीय दर्शन तथा भारत-नेपाल संबंध जैसे समकालीन विषयों पर अपने विचार रखे। इसके साथ ही भारत-नेपाल के संबंधों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।

Purnima Srivastava
Published on: 16 Feb 2024 4:30 PM GMT
Discussion on environmental thinking in Buddhism at the International Symposium in Lumbini, dialogue on India-Nepal relations
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लुम्बिनी में अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम में बौद्ध धर्म में पर्यावरण चिंतन विषय पर चर्चा, भारत-नेपाल संबंधों पर हुआ संवाद: Photo- Newstrack

Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्यों एवं शोधकर्ताओं ने नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बौद्ध धर्म में पर्यावरण चिन्तन एवं सतत विकास, योग तथा मानवीय दर्शन तथा भारत-नेपाल संबंध जैसे समकालीन विषयों पर अपने विचार रखे। इसके साथ ही भारत-नेपाल के संबंधों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।

पहले दिन उद्घाटन सत्र के उपरान्त विश्वविद्यालय के सहायक आचार्यों में डॉ. संजय कुमार तिवारी, डॉ.दीपक कुमार गुप्ता, डॉ.विनोद कुमार एंव शोधार्थियों में सुश्री अर्चना, सुश्री नेहा मिश्रा, सुश्री रूबी नायक श्री प्रफुल्ल चन्द्र, श्री कुंवर सिंह ने कुल आठ शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन शोध पत्रों में प्रमुख रूप से योग दर्शन को स्वास्थ्य से जोड़ते हुए योग की प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया तथा मानवीय दर्शन पर विस्तार से चर्चा की गयी। इसके साथ शोध पत्रों में बौद्ध धर्म में पर्यावरण चिन्तन एवं सतत विकास को विश्लेषित किया गया तथा भारत और नेपाल के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक सम्बन्धों के आधार पर यह स्थापित किया गया कि दोनों देश राजनीतिक सीमा को छोड़कर पूर्णतः समान हैं।

इस संगोष्ठी में भारत, नेपाल, चीन, कोरिया एवं अन्य देशों के प्रतिभागियों ने शोध आलेखों पर अनेक प्रश्न किये। जिसका समुचित उत्तर आचार्यों एवं शोधार्थियों द्वारा दिया गया। प्रश्नोत्तर काल में अपनी सक्रिय सहभागिता से विश्वविद्यालय के आचार्यों ने उक्त अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर गोरखपुर विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ायी। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र का थीम ‘बौद्ध धर्म एवं पारिस्थितिकी’ था, जिसकी अध्यक्षता डॉ. रामवंत गुप्ता ने की।


लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के आचार्यों, विषय विशेषज्ञों से चर्चा

इसके बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि समूह ने लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के आचार्यों, विषय विशेषज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही संगोष्ठी में आए हुए विभिन्न देशों के विद्वानों, प्रतिनिधियों एवं शोधार्थियों के साथ संपर्क स्थापित किया और सभी से गोरखपुर विश्वविद्यालय की विशेषताओं एवं उपलब्धियों को साझा करते हुये संगोष्ठी के मूल विषय एवं उप विषयों पर परिचर्चा भी की। उल्लेखनीय है कि कुलपति प्रो पूनम टण्डन के सद्प्रयास से जनवरी में लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय, नेपाल तथा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया था, जिसमें दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक एवं अनुसंधान के विकास एवं विनिमय के लिए समझौता हुआ। इस समझौते के आलोक में 1 महीने के अंदर ही गोरखपुर विश्वविद्यालय का शैक्षणिक प्रतिनिधिमण्डल लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय, नेपाल के उक्त अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिभागिता की है।

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दल कर रहा है प्रतिनिधित्व

कुलपति प्रो पूनम टंडन के दिशानिर्देशन में विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग तथा दर्शनशास्त्र विभाग के आचार्यों एवं शोध छात्रों का एक 30-सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल नेपाल के लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय में 'एशियाई प्राकृतिक दर्शन: प्रकृति और सभ्यता’ ‘Asian Natural Philosophy: Nature and Civilization’ विषय पर आयोजित 5th International Symposium (15-17 Feb 2024) में सहभागिता कर रहा है। प्राचीन इतिहास विभाग के प्रो. डी.एन.दूबे तथा डॉ.रामवंत गुप्ता (निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय प्रकोष्ठ) के नेतृत्व में डॉ. पद्मजा सिंह, डॉ. मणिन्द्र यादव, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. संजय कुमार तिवारी, डॉ. दीपक कुमार गुप्ता एवं शोधार्थियों का दल संगोष्ठी में प्रतिभाग कर रहा है।

Shashi kant gautam

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