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Gorakhpur News: डॉक्टर देंगी परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी, अपडेट करेंगी हेल्थ विभाग का पोर्टल
Gorakhpur News: परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ करने में निजी अस्पतालों की प्रमुख भूमिका है। अस्पतालों के चिकित्सक प्रसव पूर्व जांच के दौरान और संस्थागत प्रसव के ठीक पहले दंपति को परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी देकर प्रेरित करें तो अच्छे परिणाम सामने आएंगे। यह बात अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी ने कही।
Gorakhpur News: परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ करने में निजी अस्पतालों की प्रमुख भूमिका है। अस्पतालों के चिकित्सक प्रसव पूर्व जांच के दौरान और संस्थागत प्रसव के ठीक पहले दंपति को परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी देकर प्रेरित करें तो अच्छे परिणाम सामने आएंगे। यह बात अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी ने कही।
वह निजी क्षेत्र के सम्बद्ध सेवा प्रदाताओं के साथ हुई समन्वय एवं क्षमता संवर्धन बैठक को प्रेरणा श्री सभागार में बुधवार शाम को सम्बोधित कर रहे थे। पीएसआई इंडिया संस्था के सहयोग से हुई इस बैठक में आए हुए सभी निजी सेवा प्रदाताओं को फैमिली प्लानिंग रजिस्टर भी दिये गये। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि प्रसव पूर्व और प्रसवकालीन सेवा लेने के लिए निजी क्षेत्र के अस्पतालों में बड़ी संख्या में दंपति आते हैं। चिकित्सक का उन पर गहरा प्रभाव होता है और गर्भधारण के दौरान परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति उनके द्वारा ग्राह्यता की संभावना कहीं अधिक होती है।
ऐसे दंपति को समझाना होगा कि दो बच्चों में कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए। ऐसा करने से मां और बच्चे की सेहत ठीक रहती है और दोनों का कुपोषण व बीमारियों से बचाव होता है। ऐसे दंपति को परिवार नियोजन के सभी साधनों के बारे में जानकारी दी जाए और जो मनपसंद साधन उनके द्वारा चुना जाए प्रसव के तुरंत बाद उसे लाभार्थी को दिया जाए। ऐसे दंपति का रिकॉर्ड भी रखा जाए और उसे स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा किया जाए। जिन दंपति का परिवार पूरा हो जाए उन्हें प्रसव पश्चात नसबंदी के फायदे के बारे में बताया जाए।
रिकॉर्ड मेंटेन पर पोर्टल पर अपडेट करें
डॉ चौधरी ने कहा कि फैमिली प्लानिंग रजिस्टर में निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाता अपना रिकॉर्ड मेंटेन करें और उसे ही स्वास्थ्य विभाग को पोर्टल के जरिये भी भेजें । रजिस्टर में चार साल तक का रिकॉर्ड रखा जा सकता है। साझा किये गये डेटा की मदद से सरकार को कार्ययोजना बनाने में मदद मिलती है। दंपति को यह संदेश अवश्य दिया जाए कि इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल कम से कम करना है। बच्चे की चाहत न रखने वाले दंपति आईयूसीडी, कंडोम, छाया, अंतरा, माला एन जैसे किसी न किसी साधन का इस्तेमाल अवश्य करें।
बैठक को जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद, एनयूएचएम समन्वयक सुरेश सिंह चौहान, मास्टर कोच डॉ एके वर्मा, पीएसआई इंडिया संस्था की राज्य पदाधिकारी शुभ्रा, संस्था की प्रतिनिधि कृति पाठक और प्रियंका सिंह ने भी संबोधित किया। बैठक में दो दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों ने प्रतिभाग किया। फाग्सी की गोरखपुर इकाई की अध्यक्ष डॉ सविता अग्रवाल ने स्वास्थ्य विभाग को आश्वस्त किया कि डेटा और परामर्श संबंधी हर तरह का सहयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ करने में निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाता मदद करेंगे। इसके लिए संगठन के स्तर पर भी कोशिश होगी।