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Gorakhpur: 'नर्तक और कवि एक जैसे', 'आखिर क्यों' के विमोचन पर बोले पद्मश्री प्रो.विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

Gorakhpur News: पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा, 'जो लोग कहने या अभिव्यक्त करने की समस्या को सुलझा लेते हैं, वह कवि होते हैं। जैसे एक नर्तक अपने मंच पर सीमित स्थान में घूम कर ही बड़ी कथाओं को व्यक्त कर लेता है।'

Purnima Srivastava
Published on: 24 Nov 2023 7:39 PM IST
Gorakhpur News
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 डॉ. चारुशीला सिंह की पहली काव्य कृति 'आखिर क्यों' का विमोचन 

Gorakhpur News: साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (Vishwanath Prasad Tiwari) ने कवि और नर्तक की तुलना की है। उन्होंने कहा कि, 'जो लोग कहने या अभिव्यक्त करने की समस्या को सुलझा लेते हैं, वह कवि होते हैं। जैसे एक नर्तक अपने मंच पर सीमित स्थान में घूम कर ही बड़ी कथाओं को व्यक्त कर लेता है, वैसे ही कवि सीमित शब्दों में अपनी भावना को अभिव्यक्त करता है'।

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी शुक्रवार (24 नवंबर) को दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में अयोध्या दास माध्यमिक कन्या विद्यालय में प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत डॉ. चारुशीला सिंह के प्रथम काव्य कृति 'आखिर क्यों?' के लोकार्पण के अवसर पर बोल रहे थे।

'सार्थक प्रेम को अभिव्यक्त किया'

इसके पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। साहित्यकारों के कहने पर कवयित्री डॉ.चारुशिला सिंह (Poet Dr. Charushila Singh) ने पुस्तक से कुछ कविताओं का पाठ किया। जिसमें स्त्री के बहुरंग, नई पीढ़ी, प्रेम के गीत आदि प्रमुख थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात कथाकार प्रो. रामदेव शुक्ल ने कहा कि, 'पुस्तक में प्रकाशित एक कविता के काले एवं गुलाबी रंग के मिलन पर कबीर जैसे प्रेमाभिव्यक्ति का निदर्शन होता है। कवयित्री ने पुस्तक में बड़े सार्थक प्रेम को अभिव्यक्त किया है। जिसमें पाने का नहीं देने का परिपक्व भाव निहित है।'


कविताओं में चारुता का दर्शन

हिन्दी विभाग के पूर्व आचार्य प्रो.राम दरस राय (Prof. Ramdarsh Rai) ने कहा कि, 'अर्थ गौरव, पद लालित्य और सुंदर गेयता चारु को एक समृद्ध कवियत्री बनाती हैं। कविता में सहजता बहुत बड़ा गुण हैं। यह गुण चारु की कविता में कूट-कूट कर भरी है। हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केसी लाल ने बड़े विस्तार से पुस्तक पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि, 'उनकी कविताओं ने चारुता का दर्शन प्रतिपादित किया है इस पुस्तक में। उनकी कविता का सौंदर्य बहुत विशेष है। कविताओं में जीवन अपनी पूरी विविधता के साथ गुलजार हुआ है।'

पुस्तक के विमोचन के पश्चात पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए डॉ. वेद प्रकाश पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि, 'उनकी काव्य प्रतिभा बहुमुखी है। समाज और साहित्य के अंतर्संबंध को वे भली-भांति पहचानती हैं। उनको ढेरों शुभकामनाएं। वे अपने इस काव्य सफर को निरंतर आगे बढ़ती रहें। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो विमलेश मिश्र ने किया।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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