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Gorakhpur: कालानमक की प्रजाति विकसित करने वाले डॉ. राम चेत को पद्मश्री, सीएम योगी ने दी बधाई
Gorakhpur News: डॉ. रामचेत की कृषि पर आधारित 56 शोधपरक किताबें प्रकाशित हैं। 390 अनुसंधान प्रकाशित हो चुके हैं।
Gorakhpur News: भगवान बुद्ध का प्रसाद कहे जाने वाले काला नमक की कई प्रजाति को विकसित कर दुनिया में प्रसिद्धि दिलाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ.रामचेत को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों सोमवार को पद्मश्री का पुरस्कार मिला। उनकी इस उपलब्धि पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर बधाई दी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक्स हेंडल @ myogiadityanath पर डॉ राम चेत चौधरी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी द्वारा आज नई दिल्ली में प्रतिष्ठित ‘पद्म पुरस्कार-2024’ के अंतर्गत ‘पद्म श्री’ सम्मान से विभूषित होने पर उत्तर प्रदेश के सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर (डॉ) राम चेत चौधरी जी को हार्दिक बधाई! कृषि विकास के क्षेत्र में किए गए आपके शोधपरक कार्य अभिनंदनीय व प्रशंसनीय हैं।
डॉ. राम चेत चौधरी ने कहा कि उन किसानों को साधुवाद जिन्होंने कालानमक धान की प्रगतिशील खेती के उनके आह्वान को स्वीकार किया। बता दें कि डॉ. रामचेत की कृषि पर आधारित 56 शोधपरक किताबें प्रकाशित हैं। 390 अनुसंधान प्रकाशित हो चुके हैं। कालानमक धान पर रिसर्च संबंधी दो पुस्तकें प्रकाशित हैं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सदस्य डॉ रामचेत 11 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थाओं के सदस्य हैं। उन्होंने नाइजीरिया, फिलीपींस , इंडोनेशिया, कंबोडिया, म्यांमार के साथ भारत में चावल और अन्य फसलों के उत्पादन का अध्ययन किया है।
कालानमक को मिला जीआई टैग
पद्मश्री से सम्मानित डॉ. राम चेत को काला नमक धान को नवजीवन देने का श्रेय है। कालानमक को महराजगंज, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, बाराबंकी, देवरिया और गोंडा का जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) टैग दिला प्रतिष्ठित किया।उन्होंने काला नमक धान की प्रजाति-101, काला नमक-102, कालानमक 103 एवं कालानमक किरण प्रजाति विकसित की। केंद्र सरकार ने इन प्रजातियों को अधिसूचित किया।
ओडीओपी उत्पाद में शामिल है काला नमक
कालानमक धान को केंद्र सरकार ने गोरखपुर समेत चार जिलों का एक जिला एक उत्पाद घोषित कर रखा है। डॉ. राम चेत ने इस योजना के प्रति किसानों को प्रेरित कर कालानमक धान का रकबा 80 हजार हेक्टेयर पहुंचा दिया। इन दिनों वह कालानमक चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। फिलहाल 1000 टन कालानमक चावल के गैर बासमती राइस श्रेणी में निर्यात से छूट भी मिली।