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Gorakhpur News: योगी सरकार के प्रयासों से इंसेफेलाइटिस नियंत्रण में, इसपर शोध की जरूरत, बोले डॉ. वाजपेयी

Gorakhpur news: सातवें दिन के प्रथम सत्र में व्याख्यान देते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. विमल दूबे ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पौधों पर आधारित है।

Purnima Srivastava
Published on: 12 Nov 2024 7:39 PM IST
Gorakhpur News: योगी सरकार के प्रयासों से इंसेफेलाइटिस नियंत्रण में, इसपर शोध की जरूरत, बोले डॉ. वाजपेयी
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gorakhpur news (newstrack)

Gorakhpur News: महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के नवप्रवेशित विद्यार्थियों के पंद्रह दिवसीय दीक्षारंभ समारोह के सातवें दिन मंगलवार को एक विशिष्ट सत्र में ‘बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन और इंसेफेलाइटिस की यात्रा’ विषय पर व्याख्यान देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह क्षेत्र दशकों तक इंसेफेलाइटिस की चपेट में रहा लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से किए गए गंभीर प्रयासों से इंसेफेलाइटिस अब नियंत्रण में है।

डॉ. वाजपेयी ने कहा कि कुछ वर्ष पहले तक बच्चों में इंसेफेलाइटिस के कारण बड़े पैमाने पर मौतें होती थीं। यह रोग, मुख्यतः बच्चों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को प्रभावित करता है और इसमें मस्तिष्क में सूजन आ जाता है। इस रोग के फैलने के पीछे गंदगी, स्वच्छता की कमी, मच्छरों का प्रकोप और जलवायु संबंधी कारण माने जाते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार, अस्पतालों में ज़रूरी उपकरणों की व्यवस्था, स्वच्छता अभियान और जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाकर इंसेफेलाइटिस को नियंत्रण में ला दिया है। कुलपति ने बीएएमएस के विद्यार्थियों इंसेफेलाइटिस और ऐसे अन्य रोगों पर शोध के लिए प्रेरित किया।

हर्बल इंडस्ट्री के लिए कई अवसर

सातवें दिन के प्रथम सत्र में व्याख्यान देते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. विमल दूबे ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पौधों पर आधारित है। आहार को स्वयं औषधि कहा गया है। डॉ. दूबे ने कहा कि सूक्ष्म से लेकर स्थूल तक पूरा वैश्विक जगत आहार पर आधारित है। आज उन्नत कृषि विज्ञान के कारण भारत अतिरिक्त पैदावार कर रहा है। उन्होंने कहा कि बीएएमएस विद्यार्थियों को औषधीय पौधों का पहचान करने आना चाहिए। इसके लिए क्लास रूम से बाहर निकलना पड़ेगा। डॉ. दूबे ने कहा कि कृषि और औषधि विज्ञान के बारे में ऋषि मुनियों को हजारों वर्ष पहले से पता था। आज तीन हजार औषधीय पौधों में से केवल नौ सो पौधों का ही पैदावार हो रहा है। ऐसे में बीएएमएस विद्यार्थियों के लिए हर्बल इंडस्ट्री में बहुत अधिक अवसर है।

बाल उत्पीड़न एक गंभीर समस्या

दूसरे सत्र में लैंगिक संवेदनशीलता और बाल उत्पीड़न विषय पर चर्चा करते हुए समाधान अभियान की निदेशक डॉ. शीलम वाजपेयी ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो, पुरुष हो, या अन्य लिंग का, समान गरिमा और सम्मान का अधिकारी है। लैंगिक संवेदनशीलता के तहत शिक्षा, कार्यक्षेत्र, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को कम करना शामिल है। उन्होंने कहा कि आज भी बाल उत्पीड़न एक गंभीर समस्या है, जिसमें बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से दुर्व्यवहार किया जाता है। यह उत्पीड़न परिवार, स्कूल या किसी अन्य स्थान पर हो सकता है और इसके कारण बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बाल उत्पीड़न रोकने के लिए जरूरी उपायों पर भी चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन श्रेया सिंह व आभार ज्ञापन डॉ. गोपीकृष्ण ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डा. गिरिधर वेदांतम, डॉ. साध्वी नन्दन पाण्डेय, डॉ. शान्तिभूषण, डॉ. दीपू मनोहर समेत कई शिक्षक और बीएएमएस के सभी नवप्रवेशित विद्यार्थी उपस्थित रहे।



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Ragini Sinha

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