Gorakhpur News: नोएडा की राह पर गीडा, छह साल में गीडा के उत्पादों का निर्यात 5 गुना बढ़ा, ये है बड़ी वजह

Gorakhpur News: गीडा के 34 वें स्थापना दिवस को लेकर आयोजित हो रहे कार्यक्रमों के जरिये यहां से निर्यात होने वाली वस्तुओं को लेकर चर्चा होगी। निर्यात होने वाले प्रमुख वस्तुओं को लेकर 20 स्टॉल तो लगेंगे ही, कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा।

Purnima Srivastava
Published on: 30 Nov 2023 2:02 AM GMT (Updated on: 30 Nov 2023 2:04 AM GMT)
Gorakhpur News
X

गीडा का प्रशानिक कार्यालय (Newstrack)

Gorakhpur News: पांच साल पहले तक गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) के उत्पादों के निर्यात की बात भी बेमानी लगती थी। बीएन डायर्स जहां कपड़ों का निर्यात करता था, वहीं नेपाल को भी एआरपी चप्पल के उत्पादों का निर्यात होता था। आकड़े बताते हैं कि पांच साल पहले तक गीडा से लेकर इंडस्ट्रियल एरिया की यूनिटों में बने करीब 20 करोड़ रुपये के उत्पादों का देश के विभिन्न हिस्सों में निर्यात होता था। लेकिन बदले हालात में 100 करोड़ से अधिक मूल्य के उत्पादों का निर्यात दुनिया के 20 से अधिक देशों में हो रहा है।

गीडा के 34 वें स्थापना दिवस को लेकर आयोजित हो रहे कार्यक्रमों के जरिये यहां से निर्यात होने वाली वस्तुओं को लेकर चर्चा होगी। निर्यात होने वाले प्रमुख वस्तुओं को लेकर 20 स्टॉल तो लगेंगे ही, कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा। उत्पादों की प्रदर्शनी से मिलने वाले बेहतर प्लेटफार्म को लेकर भी उद्यमी उत्साहित हैं। पिछले दिनों नोएडा में आयोजित हुए इंटरनेशनल ट्रेड शो-2023 में शिरकत करने वाले उद्यमी वहां मिले रिस्पांस से काफी खुश हैं। देश में पहचान बना चुके डैक फर्नीचर और स्पाइस प्लाई गीडा दिवस पर स्टाल लगा रहे हैं। दोनों फैक्ट्रियों से करीब 20 करोड़ के उत्पाद का निर्यात हर साल हो रहा है। उद्यमी सनूप साहू की फैक्ट्री में बने सिलाई मशीन, पंखे और कूलर का भी निर्यात विदेशों को हो रहा है। गीडा में बनने वाला नाइन सेनेटरी नैपकीन बड़ा ब्रांड बन चुका है। गीडा दिवस में इन उत्पादों की भी प्रदर्शनी लगेगी।

गीडा में उद्यमी हरिहर सिंह की फैक्ट्री में कमर्शियल ट्रांसफार्मर का उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है। पहले से इसका निर्यात विभिन्न देशों को हो रहा है। गीडा दिवस पर उद्यमी को व्यापक फलक मिलने की उम्मीद है। हाल ही में गीडा में तत्वा प्लास्टिक का शुभारंभ हुआ है। यहां करीब 100 करोड़ रुपये के निवेश से पीवीसी पाइप बन रही है। इसी तरह एसडी इंटरनेशनल के विनय अग्रवाल पिछले काफी दिनों से फूड कंटेनर और पीवीसी पाइप बना रहे हैं। नेपाल के साथ ही गीडा के उत्पाद का निर्यात दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, थाईलैंड, केन्या और सऊदी अरब आदि देशों को होता हैं। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष विष्णु अजीत सरिया की फैक्ट्री में बना धागा दक्षिण अफ्रीका को निर्यात होता है। कोरोना काल में गीडा में बने डिस्पोजल सीरिंज का दर्जन भर से अधिक देशों में निर्यात हुआ था।

एशियन पेट्स गोरखपुर को बना रहा है केन्द्र

देश की अग्रणी पेंट कंपनी एशियन पेट्स के प्रतिनिधि गोरखपुर को केन्द्र बनाकर निर्यात की संभावनाओं को देख रहे हैं। प्रबंधन ने चौरीचौरा में बड़ा बेयर हाउस किराये पर लिया है। अब कंपनी प्लांट लगाने के लिए गीडा और औद्योगिक गलियारे में जमीन की तलाश कर रहा है। उम्मीद है कि गीडा दिवस के अवसर पर फैक्ट्री को लेकर बड़ी घोषणा हो सकती है। इसी तरह पेप्सिको और तत्वा प्लास्टिक के प्लांट से निर्यात की संभावना के द्वार खुल रहे हैं।

सोनौली बॉर्डर से होता है 2000 करोड़ का ट्रेड

नेपाल से व्यापार के लिए बीरगंज के बाद सोनौली बार्डर निर्यात का दूसरा बड़ा केन्द्र है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल बताते हैं कि सोनौली बॉर्डर से भारत का नेपाल के साथ 2000 करोड़ का कारोबार होता है। इसमें गोरखपुर का हिस्सा 150 करोड़ का है। गीडा में जिस तरह फूड और टेक्सटाइल के उद्योग लग रहे हैं, उससे गोरखपुर का कारोबारी हिस्सा आसानी से 600 करोड़ का हो सकता है। अभी गीडा में बनी चप्पल, हार्डवेयर, सेनेटरी नैपकिन, गुटखा और रेडीमेड गारमेंट का निर्यात नेपाल को होता है। गीडा दिवस को व्यापक फलक मिलने से निर्यात की संभावना को पंख लगेंगे।

सुविधाएं मिलने से उद्यमी भी हैं खुश

निर्यात को लेकर सुविधाएं मिलने से उद्यमी भी काफी खुश हैं। डैक फर्नीचर के एमडी डॉ.आरिफ साबिर का कहना है कि पिछले दिनों आयोजित नोएडा ट्रेड शो के साथ प्रगति मैदान में लगे शो से निर्यात को लेकर काफी मदद मिली है। फर्नीचर का निर्यात आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, नेपाल के साथ अरब देशों को हो रहा है। हम चाइना से बेहतर क्वालिटी दे रहे हैं। गीडा दिवस में देश भर के उद्यमी जुटेंगे तो निर्यात की संभावना को जरूर पंख लगेंगे। पैकेजिंग का काम करने वाली महिला उद्यमी संगीता पांडेय का कहना है कि पिछले दिनों नोएडा ट्रेड शो में पैकेजिंग उत्पादों का डिस्प्ले किया था। हजारों के उत्पाद बिकने के साथ ही नये ऑर्डर भी मिले हैं। बेहतर ट्रांसर्पोटेशन और तकनीक के दौर में दूरी और स्थान का कोई मतलब नहीं रह गया है। गीडा के उत्पादों को दुनिया के विभिन्न देश पसंद कर रहे हैं। गीडा दिवस की प्रदर्शनी से बेहतर प्लेटफार्म मिलेगा।

उत्पादन का 20 फीसदी विदेशों में होता है निर्यात

अंकुर उद्योग की यूनिट में बनने वाले धागे का निर्यात भी विदेशों में होता है। यूनिट के एमडी निखिल जालान कहते हैं कि पिछले पांच से सात सालों से निर्यात प्रभावित था। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक बार फिर निर्यात बढ़ा है। उनकी कंपनी से तुर्की व कुछ अन्य देशों में प्रतिमाह होने वाले कुल उत्पाद का करीब 20 फीसद निर्यात किया जाता है। अंकुर उद्योग में हर महीने 1500 टन धागा का उत्पादन होता है। सहजनवा के महावीर जूट मिल में बने धागे इजिप्ट, पेरू आदि देशों भेजे जा है। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी धागा एवं जूट के बोरे की आपूर्ति की जाती है। प्रोसेसिंग हाउस वीएन डायर्स के एमडी एवं चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष विष्णु प्रसाद अजितसरिया बताते हैं कि उनके यहां तैयार कपड़ा दक्षिण अफ्रीका के देशों में जाता है। अपने देश में कोलकाता, दिल्ली में अधिक मांग होती है। कई दक्षिण अफ्रीकी देशों में भी यहां तैयार कपड़ा जाता है। हर महीने करीब चार कंटेनर कपड़ा बाहर जाता है।

निर्यात को बढ़ावा देने को गोरखपुर में बनेगा प्रदेश का दूसरा टेस्टिंग स्टेशन

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए गीडा में जल्द ही प्रदेश का दूसरा टेस्टिंग स्टेशन बनेगा। इससे निर्यात की संभावना को भी पंख लगेंगे। अभी तक निर्यात होने वाले उत्पादों को गाजियाबाद में बने लैब से सर्टिफिकेट लेना होता है। चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने बताया कि गाजियाबाद के बाद गोरखपुर में दूसरा टेस्टिंग स्टेशन बनेगा। स्टील, टेक्सटाइल से लेकर फूड से जुड़े उद्योगों के लिए टेस्टिंग जरूरी है। इससे विदेशों में निर्यात के साथ ही सरकारी सप्लाई में गीडा की सहभागिता बढ़ेगी। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के सहायक निदेशक का कहना है कि फैक्ट्री के आसपास सुरक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण आदि को लेकर बेहतर व्यवस्था के लिए यह प्रमाणीकरण कराया जाता है। इसके लिए आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। लघु उद्योग भारती के मंडल अध्यक्ष दीपक कारीवाल का कहना है कि शुरू में कांस्य, उसके बाद रजत व बाद में स्वर्ण के रूप में प्रमाणीकरण होता है। इससे उत्पाद को विश्वसनीयता बढ़ती है। अंतरराष्ट्रीय हो या राष्ट्रीय ट्रेड फेयर, वहां जाने में छूट मिलती है। जेम पोर्टल पर पंजीकरण के शुल्क में छूट, ट्रेड मार्क के शुल्क में छूट भी मिलती है। प्रमाणीकरण से उत्पाद की विश्वसनियता बढ़ेगी। भारतीय उपमहाद्वीप में यह सबसे विश्वसनीय मानक है। इसे लेने से निर्यात में उत्पाद को विश्वसनीयता हासिल होती है। प्रमाणीकरण न होने से उत्पादों की अच्छी कीमत भी नहीं मिलती। जीवन की सुरक्षा से जुड़े उत्पादों के लिए यह अनिवार्य होता है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

Next Story