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Gorakhpur News: रिंग रोड के लिए जमीन का मुआवजा दिया नहीं, बुलडोजर लेकर पहुंच गए, एनएचएआई के खिलाफ फूटा किसानों का गुस्सा
Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर जिले में रिंग रोड के लिए एनएचएआई को किसानों से औने-पौने दाम पर जमीन का अधिग्रहण भारी पड़ रहा है। किसानों के विरोध के बीच अधिकारी जबरिया किसानों की जमीन को बुलडोजर से समतल कर रहे हैं।
Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर जिले में रिंग रोड के लिए एनएचएआई को किसानों से औने-पौने दाम पर जमीन का अधिग्रहण भारी पड़ रहा है। किसानों के विरोध के बीच अधिकारी जबरिया किसानों की जमीन को बुलडोजर से समतल कर रहे हैं। किसानों की दलील है कि जब मामला कोर्ट में है तो फिर प्रशासन दबंगई क्यों कर रहा है?
जगदीशपुर से लेकर जंगल कौड़िया तक फोरलेन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके साथ ही करीब 72 किलोमीटर लंबे रिंग रोड का निर्माण पूरा हो जाएगा। लेकिन किसान रिंग रोड के लिए जमीन देने को तैयार नहीं है। बुधवार को एनएचएआई और प्रशासन के अधिकारी बुलडोजर लेकर जमीन समतल करने के लिए पहुंच गए। भारी पुलिस के बीच किसान विरोध तो नहीं कर सके लेकिन उनमें प्रशासन और सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है। किसानों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से 2016 के सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है।
क्यों है किसानों का विरोध
ऐसे में किसानों को 80 हजार से लेकर 1.35 लाख रुपये प्रति डिसमिल की दर से जमीन का मुआवजा मिल रहा है। लेकिन बाजार मूल्य 2 से लेकर 6 लाख रुपये तक है। इसी को लेकर किसानों का विरोध है। जंगल कौड़िया से जगदीशपुर कोनी तक रिंग रोड से प्रभावित किसान नए दर से मुआवजा के लिए लंबे समय से परेशान हैं। किसान बहादुर का कहना है कि बीते दिनों वे सीएम से मुलाक़ात किये थे मगर उसका कोई फायदा नहीं हुआ। अधिकारियों के निर्देश पर वे नए दर से मुआवजा के लिए आर्बिटेशन दाखिल किए हैं। मगर अब तक उसका कोई फैसला नहीं आया है।
26 किमी फोरलेन बनना है रिंग रोड के लिए
जंगल कौड़िया से जगदीशपुर कोनी तक 26 किमी रिंग रोड के लिए चिन्हित भूमि का बुधवार को अधिकारियों की मौजूदगी में एनएचआई का बुलडोजर चला। इस दौरान लगभग दो किमी रिंग रोड की जमीन का समतलीकरण किया गया। हालांकि एनएचआई का बुलडोजर देख प्रभावित किसान मौके पर आकर बिना मुआवजा भुगतान किए ही जमीन पर कब्जा किये जाने का विरोध करने लगे। मौके पर दर्जनों की संख्या में किसान पहुंच गए। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। नए दर से मुआवजा के लिए कोर्ट में आर्बिटेशन दाखिल किया गया है। आर्बिटेशन का फैसला आया नहीं है। बिना मुआवजा भुगतान किए ही उनकी जमीनों पर एनएचआई द्वारा कब्जा पूरी तरह से गलत है।