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Gorakhpur News: विदेशी छात्रों को MMMUT में मिलेगा प्रवेश, देना होगा 1.25 लाख रुपये शुल्क
Gorakhpur News: केंद्र सरकार की इन दोनों संस्थाओं के जरिए ही विदेशी छात्रों को भारतीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश मिलता है।
गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सत्र 2024-25 से विदेशी छात्रों को प्रवेश मिलेगा। एमएमएमयूटी में विदेशी छात्रों के प्रवेश के लिए पहले ही प्रबंध बोर्ड की बैठक में मंजूरी मिल गई है। इसके तहत आईसीसीआर और डासा से अपने पैनल में शामिल करने का आग्रह किया गया था। केंद्र सरकार की इन दोनों संस्थाओं के जरिए ही विदेशी छात्रों को भारतीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश मिलता है।
आईसीसीआर ने एमएमएमयूटी को इम्पैनल्ड नहीं किया लेकिन ‘डासा’ ने आग्रह को स्वीकार कर लिया है। डासा के माध्यम से आए आवेदनों के बाद की रिक्त सीटों पर अन्य देशों के छात्रों का मेरिट पर प्रवेश होगा। डायरेक्ट एडमिशन ऑफ स्टूडेंट अब्रॉड (डासा) के जरिए प्रवेश के लिए एनआईटी रायपुर ने एमएमएमयूटी को पैनल में शामिल कर लिया है। अब कुल सीटों का 15 प्रतिशत विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित किया गया है। खाड़ी देशों में कमाने वाले लोगों के बच्चों को भी इसी 15 प्रतिशत में से एक तिहाई यानी 5 कोटा प्रवेश में मिलेगा। कुलपति एमएमएमयूटी कुलपति प्रो.जेपी सैनी का कहना है कि विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों के लिए 15 प्रतिशत कोटा तय किया गया है। गल्फ देशों में कमाने वाले लोगों के बच्चों को इसी में से एक तिहाई यानी 5 प्रतिशत कोटा दिया जाएगा। पहली बार ‘डासा’ के जरिए प्रवेश के लिए एनआईटी ने एमएमएमयूटी को पैनल में शामिल किया है।
बच्चों को देना होगा 1.25 लाख रुपये शुल्क
डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. वीके द्विवेदी ने बताया कि खाड़ी देशों में काम करने वाले लोगों के बच्चों का शुल्क 1.25 लाख रुपये होगा। इन्हें एमएमएमयूटी में आवेदन करना होगा। दूसरी तरफ एनआईटी रायपुर द्वारा काउंसलिंग के बाद विदेशी छात्रों को एमएमएमयूटी में प्रवेश के लिए भेजा जाएगा। विदेशी छात्रों के लिए अंबेडकर छात्रावास में नए कक्ष का निर्माण कराया गया है। डासा के जरिए देश के 66 संस्थानों में विदेशी छात्रों का प्रवेश लिया जाना है। इसके अलावा 20 प्रीमियर टेक्निकल इंस्टीट्यूट को एनआईटी रायपुर ने इम्पैनल्ड किया गया है।
सार्क देशों के छात्रों को सहूलियत
खाड़ी देशों (यूएई, बहरीन, इरान, इराक, कुवैत, ओमान, कतर और सउदी अरब) में काम करने वाले लोगों के बच्चों को प्रवेश में लाभ मिलेगा। सार्क देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका) के छात्रों को सालाना 4 हजार डॉलर शुल्क देना होगा। जबकि डासा के जरिए प्रवेश लेने वाले दूसरे देशों के छात्रों का सालाना शुल्क 8 हजार डॉलर होगा